लेह। लद्दाख को छठीं अनुसूची में शामिल करने की मांग फिर से जोर पकड़ रही है। समाजिक और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की अगुवाई में आंदोलन के तीसरे दिन देश भर से कई सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता लद्दाख पहुंच चुके हैं।
लद्दाख के शहीद पार्क में जारी इस 35 दिनी आंदोलन को समर्थन देने के लिए सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया), नेशनल एलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट्स और हम भारत के लोग जैसे संगठनों के कार्यकर्ता पहुंचे है। इस पार्क में सोनम वांगचुक और उनके 15 साथी अनशन कर रहे हैं।
सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर को अनशन के पहले दिन पोस्ट कर बताया कि लेह-दिल्ली पदयात्रा और 16 दिन के अनशन के एक साल बाद लद्दाख और केंद्र के बीच वार्ता फिर से बुरी तरह विफल रही। लेह के शहीद पार्क में चल रहे अनशन में सात भारतीय सेना के पूर्व सैनिक भी शामिल हैं।
लद्दाख के लोगों की लंबे समय से मांग है कि राज्य को भारत के संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए, लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले, अपना पब्लिक सर्विस कमीशन बने और दो लोकसभा सीटें दी जाएं, एक कारगिल के लिए और दूसरी लेह के लिए।
सोशलिस्ट पार्टी के महासचिव संदीप पांडेय, हम भारत के लोग की गुड्डी एस.एल. और राष्ट्रीय जन आंदोलन गठबंधन की अरुंधति धुरु जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि 2019 में अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाए जाने के बाद लद्दाख के प्राकृतिक संसाधनों का बाहरी कंपनियों द्वारा शोषण हो रहा है।
इन संसाधनों के बारे में फैसले लद्दाख के बाहर बैठे अधिकारी ले रहे हैं। लद्दाख में लेह और कारगिल के लिए दो स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद हैं, लेकिन ये परिषदें स्वतंत्र नहीं हैं। इनके फैसलों को केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त लेफ्टिनेंट गवर्नर और वरिष्ठ नौकरशाह बदल देते हैं।
इसलिए लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा चाहिए, ताकि वहां अपनी विधानसभा हो और यह विधानसभा जम्मू-कश्मीर की तरह लेफ्टिनेंट गवर्नर के अधीन न रहे।
पिछले 6 सालों से लद्दाख में कोई नई सरकारी नियुक्तियां नहीं हुई हैं। बाहर से आए नौकरशाह यहां प्रशासन चला रहे हैं। इसलिए लद्दाख के लिए अपना पब्लिक सर्विस कमीशन जरूरी है। साथ ही, लद्दाख इतना बड़ा क्षेत्र है कि एक सांसद पूरे क्षेत्र की देखभाल नहीं कर सकता। इसीलिए दो लोकसभा सीटों की मांग की जा रही है।
कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार के रवैये की निंदा की है। उनका कहना है कि सरकार आंदोलन को कमजोर करने के लिए देरी करने, धार्मिक या जातीय आधार पर बांटने और कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के खिलाफ बदले की कार्रवाई कर रही है।
लद्दाख के आंदोलन को समर्थन देने के लिए उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, दिल्ली, पंजाब, आंध्र प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से कार्यकर्ता पहुंचे हैं। इनमें शाहिद सलीम, मणिमाला, मीरा संघमित्रा, सरबजीत सिंह, पूर्णिमा बिसिनीर, गंगा, मयूरी, महेश, गुंजन सिंह, कुणाल गढ़ालय और सुमीरा भट शामिल हैं।