[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
जेपी नड्डा से इजाजत लेकर ही नेपाल पर बोलें पार्टी के नेता…, भाजपा आलाकमान का सख्त आदेश
PM Modi मणिपुर आए तो महिलाओं का ग्रुप विरोध को तैयार
नफरती और धर्म का मजाक उड़ाने वाली फिल्मों को प्रदर्शन की इजाजत देने से हाईकोर्ट का इनकार
ट्रंप के करीबी युवा नेता चार्ली किर्क की गोली मारकर हत्‍या, आखिरी पोस्‍ट भी मृत्‍यु से जुड़ी थी
गरियाबंद में बड़ी नक्सली मुठभेड़, नक्सली कमांडर भास्कर और प्रमोद सहित 10 नक्सली ढेर
IED ब्लास्ट में CRPF के दो जवान घायल, इलाज के लिए लाए गए रायपुर
‘अपनी सुरक्षा को गंभीरता से नहीं ले रहे राहुल गांधी’, CRPF ने जताई चिंता, लिखी चिट्ठी
विधायक की गिरफ्तारी के विरोध में कश्मीर पहुंचे संजय सिंह नजरबंद, देखिए वीडियो
झुकेंगे नहीं, कोर्ट में अपनी रिपोर्टिंग पूरे दम से बचाएंगे: परंजॉय गुहा ठाकुरता
ब्राह्मणों-क्षत्रियों को ज्यादातर रोजगार, दलितों-पिछड़ों की हकतलफी, नेपाल में जातिवाद का डरावना सच
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
दुनिया

ब्राह्मणों-क्षत्रियों को ज्यादातर रोजगार, दलितों-पिछड़ों की हकतलफी, नेपाल में जातिवाद का डरावना सच

आवेश तिवारी
Last updated: September 11, 2025 3:05 pm
आवेश तिवारी
Share
Nepal
SHARE

नई दिल्ली। नेपाल (Nepal) की आधुनिक राजनीतिक और नौकरशाही संस्थाओं पर खस आर्य समूह के सदस्यों, विशेष रूप से ब्राह्मणों और क्षत्रियों का प्रभुत्व बना हुआ है । कुल जनसंख्या का केवल 28-29 फीसदी हिस्सा होने के बावजूद, वे सरकार, राजनीति और लोक प्रशासन में उच्च-स्तरीय पदों पर आसीन हैं।

आंकड़े बताते हैं कि नेपाल में सभी सरकारी नौकरियों में ब्राह्मणों की संख्या 33.3 फीसदी और छेत्री की 20.0 फीसदी थी। हाशिए पर पड़े समुदायों के प्रतिनिधित्व में सुधार लाने के उद्देश्य से आरक्षण नीतियों की मौजूदगी को देखते हुए ये आंकड़े विशेष रूप से चिंताजनक हैं।

दरअसल, एक विश्लेषण से पता चला है कि 91.2 फीसदी शीर्ष सरकारी पद जैसे सचिवों, न्यायाधीशों, राजनयिकों और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों सहित—उच्च जातियों, खासकर ब्राह्मणों और छेत्रियों के पास हैं। इससे दलितों, जो आबादी का 12.8 फीसदी हिस्सा हैं , को प्रमुख निर्णय लेने वाले पदों पर बहुत कम या नगण्य प्रतिनिधित्व मिलता है। कुछ क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय प्रभुत्व और भी स्पष्ट है।

नेपाल के पहाड़ी जिलों में, क्षत्रिय कुल जनसंख्या का 41 फीसदी तक हैं, उसके बाद 31 फीसदी ब्राह्मण हैं, जबकि हाशिए पर पड़ी जातियाँ और जातीय समूह केवल 27 फीसदी हैं। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि जातिगत पदानुक्रम न केवल संस्कृति में, बल्कि राज्य के रोज़मर्रा के कामकाज में भी अंतर्निहित है ।

नेपाल शिक्षा तक पहुंच अभी भी गंभीर रूप से असमान है। जहां 88 फीसदी से ज़्यादा खास ब्राह्मणों और क्षेत्रियों की स्कूली शिक्षा तक पहुंच है, वहीं लगभग 52% पहाड़ी दलित, 47% तराई दलित, 48% मुसलमान और 30% पहाड़ी जनजातियां कभी स्कूल नहीं गईं।

यह असमानता पीढ़ी दर पीढ़ी होने वाले बहिष्कार का सीधा नतीजा है। इन समूहों के उत्थान के लिए बनाई गई आरक्षण नीतियां व्यवहार में विफल रही हैं। सशक्तिकरण के रास्ते बनने के बजाय, अक्सर अभिजात वर्ग द्वारा खामियों या पक्षपात के ज़रिए इन पर कब्ज़ा कर लिया जाता है या इन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है।

2020 में, रुकुम नरसंहार ने पूरे देश को झकझोर दिया था जब पश्चिमी नेपाल में एक शादी समारोह में शामिल होने गए छह युवक जिनमें ज़्यादातर दलित थे जाति-आधारित हमले में मारे गए थे। इस घटना से आक्रोश तो फैला, लेकिन यह कोई अकेला मामला नहीं था। जाति-आधारित हिंसा की रिपोर्टिंग और कार्रवाई कम ही होती है ।

रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी भेदभाव मौजूद है। एक बहुचर्चित मामला दलित मीडियाकर्मी रूपा सुनार का था, जिन्हें उनकी जाति के कारण मकान मालिक ने घर देने से मना कर दिया था। इस घटना के बाद विरोध प्रदर्शन हुए, लेकिन दोषियों को कोई गंभीर परिणाम नहीं भुगतना पड़ा, जिससे पता चलता है कि नेपाली समाज में इस तरह का व्यवहार कितना सामान्य है।

नेपाल की लगभग 20 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है, हाशिए पर पड़ी जातियों और दूरदराज के इलाकों की हालत तो और भी बदतर है। युवा बेरोज़गारी दर 22 फीसदी को पार कर गई है , जिससे देश की युवा पीढ़ी, खासकर निचली जातियों के लोग, हताशा में हैं, जो शिक्षा और रोज़गार दोनों से खुद को दोहरा रूप से वंचित महसूस करते हैं।

आय असमानता जातिगत विभाजन को प्रतिबिंबित करती है। खास ब्राह्मणों की औसत प्रति व्यक्ति आय लगभग 24,399 रुपये है , जबकि दलित लगभग 12,114 रुपये और मुसलमान 11,014 रुपये कमाते हैं । ये संख्याएं केवल आंकड़े नहीं हैं ये संघर्ष के चक्र में फंसे जीवन को दर्शाती हैं, जिसमें ऊपर की ओर बढ़ने की बहुत कम संभावना है।

हाशिए के इलाकों में बुनियादी ढांचे की कमी, स्कूलों की बदहाली और सीमित स्वास्थ्य सेवा इन असमानताओं को और मज़बूत करती है। जैसे-जैसे आर्थिक व्यवस्था एक छोटे, कुलीन वर्ग को फायदा पहुंचाती जा रही है, असंतोष और निराशा बढ़ती जा रही है, खासकर युवाओं में , जिन्हें मौजूदा ढांचे में कोई भविष्य नजर नहीं आता।

यह भी पढ़ें : सेना के हवाले नेपाल, कर्फ्यू के बीच हिंसा और तनाव का सिलसिला जारी, Gen Z ने की चुनाव की मांग

TAGGED:NEPALTop_News
Previous Article BJP leaders protest in UP यूपी में बत्ती बंद कर धरना दे रहे भाजपा नेताओं की पुलिस ने की पिटाई, एक की मौत
Next Article Paranjoy Guha Thakurta झुकेंगे नहीं, कोर्ट में अपनी रिपोर्टिंग पूरे दम से बचाएंगे: परंजॉय गुहा ठाकुरता

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!

Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
LinkedInFollow
MediumFollow
QuoraFollow

Popular Posts

एमबीए करते हुए आतंकी बन गया पहलगाम का मास्टर माइंड सज्जाद

लेंस ब्यूरो। दिल्ली यह बात हैरत में डालती है मगर सच है कि कश्मीर में…

By Lens News

पीएम का ऐलान, बिहार में डेमोग्राफी मिशन जल्‍द

पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी खास मेहरबान हैं। आज बोधगया में…

By अरुण पांडेय

मोदी ने ट्रंप का नाम लिए बगैर कहा – दुनिया के किसी नेता ने जंग नहीं रुकवाई

लेंस नेशनल डेस्क। संसद के मानसून सत्र का सातवां दिन आज मंगलवार 29 जुलाई को…

By Lens News Network

You Might Also Like

Bhupesh Baghel VS Vishnu Deo Sai
छत्तीसगढ़

अडानी और सीएम साय पर भूपेश बघेल का बड़ा हमला, पोस्ट कर बताया – किस बात के लिए करना पड़ा पांच साल इंतजार

By अरुण पांडेय
india pakistan war
दुनिया

न्यूयॉर्क टाइम्स का दावा, पाकिस्‍तान पर हमले से पहले अमेरिका को दी गई थी जानकारी

By Lens News Network
CG Cabinet Meeting
छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में बीएड सहायक शिक्षकों को मिली दोबारा नौकरी, कैबिनेट की बैठक में हुआ फैसला

By Lens News
Jail Fight Case
छत्तीसगढ़

रायपुर में जेल में कैदी के साथ मारपीट, FIR नहीं होने के विरोध में काली पट्टी बांधकर कुनबी समाज का मौन प्रदर्शन

By नितिन मिश्रा
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?