भिलाई। बोधगया, बिहार में स्थित महाबोधि महाविहार, जहां भगवान बुद्ध ने बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया, बौद्ध समुदाय की आस्था का सबसे पवित्र केंद्र है। लेकिन 1949 में लागू बोधगया टेम्पल मैनेजमेंट कमेटी एक्ट (BTMC Act) के तहत इस मंदिर का प्रबंधन आंशिक रूप से गैर-बौद्धों के नियंत्रण में है, जिसे बौद्ध समुदाय अन्याय मानता है।
इस ऐतिहासिक अन्याय को खत्म करने के लिए ऑल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम के नेतृत्व में महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन (Buddhist protests) पिछले कई वर्षों से चल रहा है। इस आंदोलन ने 200 दिन पूरे कर लिए हैं, और इस मौके पर देश के विभिन्न जगहों में विशाल जुलूस निकाले गए, जिसमें सैकड़ों बौद्ध भिक्षु, महिलाएं और पुरुष शामिल हुए। आंदोलनकारी मांग कर रहे हैं कि BTMC एक्ट 1949 को निरस्त कर महाबोधि महाविहार का पूर्ण प्रबंधन बौद्ध समुदाय को सौंपा जाए।
इसी कड़ी में, छत्तीसगढ़ के दुर्ग-भिलाई में 14 सितंबर 2025 रविवार को सुबह 11 बजे एक विशाल शांतिमार्च और मशाल रैली का आयोजन किया जा रहा है।
ऑल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम, दुर्ग-भिलाई के तत्वावधान में और आदरणीय आकाश लामा जी के मार्गदर्शन में यह रैली बुद्ध विहार, शंकर नगर से शुरू होकर अग्रसेन चौक, ग्रीन चौक, गुरुद्वारा रोड, राजेंद्र पार्क चौक, बस स्टैंड, और इंदिरा मार्केट होते हुए वापस बुद्ध विहार, शंकर नगर में समाप्त होगी।
रैली के बाद आकाश लामा जी का उद्बोधन होगा, जिसमें वह इस आंदोलन की दिशा और मांगों को और स्पष्ट करेंगे। इसके बाद भोजन दान का आयोजन भी होगा। यह रैली बौद्ध समुदाय की एकता और उनकी धार्मिक विरासत को वापस पाने की दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक है।
यह आंदोलन केवल बिहार या छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं है। यह जुलूस देश के अन्य राज्यों में निकाला जाएगा, जो अंततः दिसंबर 2025 में दिल्ली पहुंचकर समाप्त होगा। बौद्ध समुदाय का कहना है कि महाबोधि महाविहार विश्व धरोहर है और इसका प्रबंधन बौद्धों के हाथों में होना चाहिए, जैसे कि अन्य धर्मों के पवित्र स्थलों का प्रबंधन उनके समुदायों के पास है।
इस मांग को और बल देने के लिए बौद्ध अनुयायी शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज उठा रहे हैं। ऑल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम ने दुर्ग, भिलाई, चरोदा और आसपास के सभी बौद्ध उपासक-उपासिकाओं से अपील की है कि वे इस रैली में पूरे परिवार के साथ शामिल होकर अपनी एकजुटता दिखाएं और इस ऐतिहासिक आंदोलन का हिस्सा बनें।
महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन न केवल एक धार्मिक मांग है बल्कि यह धार्मिक स्वतंत्रता और समानता का प्रतीक भी है। बौद्ध समुदाय का मानना है कि यह अधिनियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन करता है जो धार्मिक स्वतंत्रता और अपने धार्मिक स्थलों के प्रबंधन का अधिकार देता है। इस आंदोलन ने देश भर में लाखों लोगों को एकजुट किया है, और यह शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है।