[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
‘भूपेश है तो भरोसा है’ फेसबुक पेज से वायरल वीडियो पर FIR, भाजपा ने कहा – प्रदेश में दंगा कराने की कोशिश
क्या DG कॉन्फ्रेंस तक मेजबान छत्तीसगढ़ को स्थायी डीजीपी मिल जाएंगे?
पाकिस्तान ने सलमान खान को आतंकवादी घोषित किया
राहुल, प्रियंका, खड़गे, भूपेश, खेड़ा, पटवारी समेत कई दलित नेता कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची में
महाराष्ट्र में सड़क पर उतरे वंचित बहुजन आघाड़ी के कार्यकर्ता, RSS पर बैन लगाने की मांग
लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर AC बस में लगी भयानक आग, 70 यात्री बाल-बाल बचे
कांकेर में 21 माओवादियों ने किया सरेंडर
RTI के 20 साल, पारदर्शिता का हथियार अब हाशिए पर क्यों?
दिल्ली में 15.8 डिग्री पर रिकॉर्ड ठंड, बंगाल की खाड़ी में ‘मोंथा’ तूफान को लेकर अलर्ट जारी
करूर भगदड़ हादसा, CBI ने फिर दर्ज की FIR, विजय कल पीड़ित परिवारों से करेंगे मुलाकात
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
धर्म

डॉ. दिनेश मिश्र ने छात्रों के साथ देखा चंद्रग्रहण, बताया – यह राहू-केतू का निगलना नहीं बल्कि खगोलीय घटना है

Lens News
Lens News
ByLens News
Follow:
Published: September 8, 2025 11:48 PM
Last updated: September 9, 2025 4:44 AM
Share
Dr Dinesh Mishra
SHARE
The Lens को अपना न्यूज सोर्स बनाएं

रायपुर। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में चंद्रग्रहण के मौके पर रविवार को खगोल विज्ञान के छात्रों को टेलीस्कोप से चंद्रग्रहण की पूरी प्रक्रिया को दिखाया गया। इस दौरान अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र चंद्रग्रहण में छात्रों से मिल कर उनसे चंद्रग्रहण जैसी खगोलीय घटना पर चर्चा की। टेलीस्कोप, ग्रहण पर आधारित खुद की लिखी किताबें दी और छात्रों से संवाद किया।

विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के प्राध्यापक डॉ. एन के चक्रधारी से मिलकर उस जगह पहुंचे जहां टेलीस्कोप से ग्रहण देखने की तैयारियां थी। साथ ही बरसात के मौसम को देखते हुए ग्रहण को स्क्रीन पर भी देखा जा रहा था। डॉ. एन के चक्रधारी ने ग्रहण की खगोलीय प्रक्रिया को छात्रों को समझाया।

डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा कि चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है। पर शुरुआत में यह माना जा रहा था कि चंद्रग्रहण राहू-केतू के चंद्रमा को निगलने से होता है। इससे -धीरे विभिन्न अंधविश्वास व मान्यताएं जुड़ती चली गईं। बाद में विज्ञान ने यह सिद्ध किया कि चंद्रग्रहण पृथ्वी की छाया के कारण होता है।

डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया कि जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है, तब उसका एक किनारा जिस पर छाया पड़ने लगती है, काला होना शुरू हो जाता है। इसे स्पर्श कहते हैं। जब पूरा चंद्रमा छाया में आ जाता है तब पूर्णग्रहण हो जाता है।

डॉ. मिश्र ने बताया कि कुछ लोगों ने इस चंद्र ग्रहण के रंग को लेकर इसे खूनी चंद्र ग्रहण कहा है और इसके दुष्प्रभाव की आशंका जाहिर की है। पर यह सब आशंकाएं और भविष्यवाणियां सही नहीं हैं।

उन्होंने आगे कहा कि वास्तव में चंद्र ग्रहण में पूर्णता के दौरान चंद्रमा का लाल रंग पृथ्वी के किनारे के चारों ओर वायुमंडल से होकर गुजरने वाले सूर्य के प्रकाश के कारण होता है।

डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा चंद्रग्रहण का कोई दुष्प्रभाव नहीं है। इसे लेकर तरह-तरह के भ्रम व अंधविश्वास हैं। लेकिन, लोगों को इन अंधविश्वासों में नहीं पड़ना चाहिए। ग्रहण को देखा जा सकता है और वैज्ञानिक इसका अध्ययन भी करते हैं।

भारत के महान खगोलविद् आर्यभट्ट ने आज से करीब 1500 वर्ष पहले 499 ईस्वी में यह सिद्ध कर दिया था कि चन्द्रग्रहण सिर्फ एक खगोलीय घटना है जो कि चन्द्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ने से होती है। उन्होंने अपने ग्रंथ आर्यभट्टीय के गोलाध्याय में इस बात का वर्णन किया है। इसके बाद भी चन्द्रग्रहण की प्रक्रिया को लेकर विभिन्न भ्रम और अंधविश्वास कायम है।

डॉ. मिश्र ने कहा कि यह एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है। सभी नागरिकों को इसे बिना किसी डर या संशय के देखना चाहिए। चंद्रग्रहण देखना पूर्णत: सुरक्षित है।

डॉ. मिश्र ने कहा जब चंद्रग्रहण होने वाला होता है तब विभिन्न भविष्यवाणियां सामने आने लगती हैं। इससे आम लोग संशय में पड़ जाते हैं। जबकि, चंद्रग्रहण में खाने-पीने, बाहर निकलने की बंदिशों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। ग्रहण से खाद्य वस्तुएं अशुद्ध नहीं होती तथा उनका सेवन करना उतना ही सुरक्षित है जितना किसी सामान्य दिन या रात में भोजन करना।

उन्होंने आगे बताया कि इस धारणा का भी कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है कि गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे शिशु के लिए चंद्रग्रहण हानिकारक होता है। और ग्रहण की वजह से स्नान करना कोई जरूरी नहीं है। अर्थात इस प्रकार की आवश्यकता का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। ग्रहण का अलग-अलग व्यक्तियों पर भिन्न प्रभाव पड़ने की मान्यता भी काल्पनिक है। यह सब बातें केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी पुस्तिका में भी दर्शायी गयी है।

TAGGED:Dr Dinesh Mishra
Previous Article CG Cabinet Controversy CG कैबिनेट में 14वें मंत्री की नियुक्ति पर हाई कोर्ट में सुनवाई, कांग्रेस की याचिका डबल बेंच से कनेक्ट
Next Article नेपाल में सोशल मीडिया से प्रतिबंध हटे, घायलों की संख्या 300 तक पहुंची
Lens poster

Popular Posts

ट्रंप टैरिफ की मार: संकट में कपास किसान और कपड़ा उद्योग

नई दिल्‍ली। कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क हटाने के सरकार के फैसले को किसान…

By अरुण पांडेय

बीजापुर में नक्सलियों ने दो ग्रामीणों की बेरहमी से की हत्या

बस्तर/रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में एक बार फिर माओवादियों की क्रूरता सामने…

By बप्पी राय

चीन में हॉलीवुड या बॉलीवुड ! क्या भारतीय सिनेमा को मिलेगा अमेरिकी-चीन टैरिफ वॉर का फायदा ?

हॉलीवुड

By पूनम ऋतु सेन

You Might Also Like

Dr sanjay shrama
धर्म

दुनिया की सबसे पुरानी विष्णु प्रतिमा छत्तीसगढ़ में पर आम लोग जानते नहीं

By पूनम ऋतु सेन
धर्म

कट्टरता ने सभ्यताओं का विनाश किया

By The Lens Desk
Durga Puja
धर्मलेंस रिपोर्ट

बिहार में चंपारण से शुरू हुई दुर्गा पूजा कैसे बनी परंपराओं और संस्कृति की अनोखी मिसाल?

By विश्वजीत मुखर्जी
धर्म

मुख्‍यमंत्री साय ने पत्‍नी संग महाकुंभ में लगाई डुबकी, कांग्रेस विधायक भी साथ

By The Lens Desk

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?