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मराठा आरक्षण: सीएम फडणवीस तो मान गए, लेकिन मंत्री भुजबल क्‍यों हैं नाराज?

अरुण पांडेय
अरुण पांडेय
Published: September 3, 2025 8:10 PM
Last updated: September 3, 2025 8:15 PM
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मुंबई। महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार द्वारा मराठा समुदाय को कुनबी जाति का दर्जा देकर आरक्षण देने के फैसले ने कैबिनेट में ही मतभेद पैदा कर दिए हैं। ओबीसी समुदाय के प्रमुख नेता और राज्य मंत्री छगन भुजबल इस फैसले से बेहद नाराज हैं।

भुजबल की नाराजगी इतनी ज्यादा है कि 3 सितंबर को कैबिनेट बैठक से पहले ही वे गुस्से में बाहर निकल गए और बांद्रा के एमईटी शिक्षा संस्थान चले गए, जहां वे ट्रस्टी हैं। इससे पहले 2 सितंबर को उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ओबीसी आरक्षण में कोई कटौती हुई तो बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन होंगे।

1 सितंबर को ओबीसी नेताओं के साथ बैठक में उन्होंने आरक्षण पर चर्चा की थी। भुजबल ने आरोप लगाया कि सरकार और कैबिनेट उपसमिति ने इस फैसले से पहले न तो मंत्रिमंडल को विश्वास में लिया और न ही ओबीसी समुदाय से कोई बातचीत की।

भुजबल की मांग है कि मराठाओं को आरक्षण देने के लिए ओबीसी समुदाय के मौजूदा कोटे में किसी तरह की छेड़छाड़ न की जाए, क्योंकि इससे ओबीसी वर्ग के हितों को नुकसान पहुंचेगा। इस मुद्दे पर सरकार के सामने बड़ी चुनौती है, क्योंकि ओबीसी नेताओं की नाराजगी वह मोल लेने की स्थिति में नहीं है।

फडणवीस सरकार के सामने क्‍या है मुश्किल

इस फैसले से फडणवीस सरकार के सामने कई मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। एक तरफ मराठा समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी करने के लिए सरकार ने हैदराबाद गजट जारी कर कुनबी दर्जा देने का ऐलान किया, जिससे मराठा सदस्य ओबीसी आरक्षण का दावा कर सकेंगे।

लेकिन दूसरी तरफ ओबीसी समुदाय में असंतोष फैल रहा है। सरकार ने ओबीसी की चिंताओं को शांत करने के लिए एक छह सदस्यीय कैबिनेट उपसमिति बनाने का फैसला किया है, जिसमें हर दल से दो-दो मंत्री शामिल होंगे। इस समिति का उद्देश्य ओबीसी वर्ग की शिकायतों का समाधान करना है, ताकि मराठा आरक्षण से कोई विवाद न बढ़े।

सरकार ने मनोज जरांगे की मांगों को मानते हुए 2 सितंबर को सरकारी आदेश जारी किया गया, जिसमें मराठा समुदाय के उन सदस्यों को कुनबी प्रमाणपत्र देने के लिए एक समिति बनाई गई है, जो दस्तावेजी सबूत पेश कर सकें।

जरांगे ने 29 अगस्त को मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल शुरू की थी, जिसके बाद सरकार ने उनकी मांगें मान लीं और उन्होंने अनशन खत्म कर दिया।

लेकिन भुजबल जैसे ओबीसी नेताओं की नाराजगी से सरकार को राजनीतिक संतुलन बनाए रखने में दिक्कत हो रही है, क्योंकि इससे कैबिनेट में एकता प्रभावित हो सकती है और विपक्ष को हमला करने का मौका मिल सकता है।

छगन भुजबल की मांगें और विरोध

छगन भुजबल ने साफ कहा है कि ओबीसी आरक्षण को सुरक्षित रखा जाए। उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र में 374 समुदायों के लिए केवल 17 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध है, जबकि ईडब्ल्यूएस कोटे में 8 प्रतिशत लाभार्थी मराठा समुदाय से हैं।

भुजबल ने मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पर निशाना साधते हुए कहा कि मराठा और कुनबी को एक बताना मूर्खता है, और हाई कोर्ट ने भी ऐसा ही कहा था। उन्होंने सरकार के सरकारी आदेश (जीआर) का अध्ययन करने की बात कही और जरूरत पड़ने पर कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ने की चेतावनी दी।

वहीं राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के अध्यक्ष बबनराव तायवाडे ने भी धमकी दी है कि अगर इस फैसले से ओबीसी आरक्षण प्रभावित हुआ तो ओबीसी समाज सड़क पर प्रदर्शन करेगा।

यह भी देखें : मराठा आरक्षण आंदोलन: जरांगे का ऐलान-‘सरकारी आदेश लाइए, खत्म कर देंगे आंदोलन, उड़ाएंगे गुलाल’

TAGGED:Chhagan BhujbalDevendra Fadnavismaratha reservationobc reservationTop_News
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