dollar vs rupee: बिजनेस डेस्क। मौजूदा समय में डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल कमजोर भले ही दिखाई दे रही हो लेकिन 100 साल पहले 1925 में यह तस्वीर बिल्कुल अलग थी। ब्रिटिश काल में जब भारत की अमेरिका के साथ ट्रेड रेगुलटरी नहीं थी। कुछ मीडिया रिपोर्ट और इंटरनेट पर मौजूद जानकारियों के अनुसार तब एक डॉलर की कीमत 2.76 रुपये थी। उस समय रुपये और डॉलर की तुलना भी नहीं थी। ब्रिटिश राज्य के अधीन ब्रिटिश पाउंड की वैल्यू अधिक हुआ करती थी। आज के समय में डॉलर के मुकाबले रुपये ने 87 का स्तर छू लिया है। आजादी के बाद से रुपये में आ रही कमजोरी की मुख्य वजह मुद्रास्फीति, आर्थिक नीतियां और वैश्विक कारक हैं।
dollar vs rupee: आजादी के बाद की चुनौतियां
1947 में आजाद भारत में 1 डॉलर = 1 रुपया था। लेकिन भारत ने विकासशील अर्थव्यवस्था के कारण विदेशी ऋण लेना शुरू किया और 1950-60 के दशक में भारत ने औद्योगिकीकरण की नीति अपनाई, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ा। 1966 में भारत सरकार ने रुपये का पहला बड़ा अवमूल्यन किया।
यह अवमूल्यन इसलिए किया गया क्योंकि अमेरिकी आर्थिक सहायता मिलनी बंद हो गई थी और भारत पर अपनी अर्थव्यवस्था को उदार बनाने का दबाव था। इस फैसले के बाद रुपये की कीमत अचानक ₹4.76 से गिरकर ₹7.50 प्रति डॉलर हो गई। हालांकि इससे पहले 1962 में चीन और 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के कारण भारत की अर्थ व्यवस्था दबाव झेल चुकी थी।
28 फरवरी, 1966 को अपने बजट भाषण में तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री सचींद्र चौधरी ने कहा, ‘दुनिया के सर्वोत्तम भावना वाला देश होने और भरपूर प्रयासों के दम पर हम खुद में क्षमतावान हैं। अब हम निकट भविष्य में विदेशी मदद पर निर्भर नहीं करेंगे।’
1991 का आर्थिक संकट
dollar vs rupee: 1991 में भारत को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने की कगार पर था। राजकोषीय घाटा 8% और चालू खाता घाटा 2.5% तक पहुंच चुका था। इस स्थिति में विदेशी निवेशकों का भारत पर से भरोसा कमजोर होने लगा।
तत्कालीन वित्तमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने तत्काल प्रभाव वाले निर्णय लिए, भारतीय रिजर्व बैंक ने 67 टन सोना गिरवी रखकर लगभग 60 करोड़ डॉलर जुटाए साथ ही, रुपये का 20% अवमूल्यन किया गया। इस फैसले के बाद रुपये की कीमत ₹17.90 प्रति डॉलर तक गिर गई।
1991 के बजट भाषण में वित्तमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने देश को याद दिलाया कि हमारे पास सिर्फ 15 दिनों का विदेशी मुद्रा कोष रिजर्व है। यह समय गंवाने का वक्त नहीं है, न तो इकोनॉमी और न ही सरकार साल दर साल अपने साधानों से अलग इतर जाकर अपना वजूद कायम रख सकती है।
आजादी के बाद डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल
साल 1947 में ₹1
साल 1966 में ₹7.50
साल 1980 में ₹8.00
साल 1991 में ₹17.90
साल 2000 में ₹45.00
साल 2010 में ₹45-50
साल 2020 में ₹75-80
साल 2024 में ₹83 (लगभग)
dollar vs rupee: 2000 के बाद वैश्विक प्रभाव
2000 के दशक में भारत में आर्थिक सुधार हुए लेकिन डॉलर की तुलना में रुपया कमजोर ही होता गया। वैश्विक बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ीं, जिससे भारत के व्यापार घाटे में इजाफा हुआ। 2010 में 1 रुपया = 45 डॉलर और 2020 के बाद 1 रुपया = 75-80 डॉलर तक पहुंच गया।