रायपुर। जेल के अस्पतालों में फार्मासिस्ट के वेतनमान के मामले में प्रदेश के 4 आईएएस और एक आईपीएस पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कंटेप्ट ऑफ कोर्ट (contempt of court) के तहत सुनवाई शुरू की है। यह सुनवाई हाई कोर्ट के आदेश को 2 साल तक नहीं मानने को लेकर शुरू की गई है।
इस सुनवाई में कोर्ट का सख्त रुख तब देखने को मिला, जब सुनवाई के लिए 3 आईएएस की तरफ से कोर्ट में कोई हाजिर नहीं हुआ। ऐसा करने वाले तीनों आईएएस को कोर्ट में हाजिर होने के लिए 50 हजार रुपए का जमानती वारंट कोर्ट ने जारी किया है।
हाईकोर्ट के जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल के कोर्ट में इस कंटेप्ट ऑफ कोर्ट के मामले की सुनवाई हुई।
4 आईएएस अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह मनोज कुमार पिंगुआ, गृह सचिव हिमशिखर गुप्ता, जीएडी सचिव अविनाश चंपावत, स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया और एक आईपीएस जेल डीजी हिमांशु गुप्ता पर 2023 में जेल विभाग में कार्यरत फार्मासिस्ट को स्वास्थ्य विभाग के फार्मासिस्ट के समान वेतन देने का आदेश 2 साल तक नहीं मानने का केस चल रहा है।
18 अगस्त को इस मामले की जब सुनवाई होनी थी, तो कोर्ट में मनोज पिंगुआ और हिमांश गुप्ता की तरफ से अधिवक्ता तो कोर्ट में हाजिर हुए, लेकिन हिमशिखर गुप्ता, अविनाश चंपावत और अमित कटारिया की तरफ से कोई भी हाजिर नहीं हुआ। इस पर IAS हिमशिखर गुप्ता, IAS अविनाश चंपावत और IAS अमित कटारिया को 4 सितंबर को कोर्ट में उपस्थित होने के लिए 50 हजार रुपए का जमानती वारंट कोर्ट ने जारी किया।
इस पर जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल ने 4 सितंबर की अगली तारीख देते हुए ऑर्डर किया, ‘रिकॉर्ड से पता चलता है कि प्रतिवादी संख्या 2, 3 और 5 को जारी नोटिस उनके कार्यालयों में तामील करा दी गई है, लेकिन उनकी तरफ से कोई भी प्रतिनिधि नहीं आया। ऐसे में प्रतिवादी संख्या 2, 3 और 5 को 4 सितंबर, 2025 को इस न्यायालय में उपस्थित होने के लिए 50,000/- रुपये का जमानती वारंट जारी किया जाए।’
बता दें कि इससे पहले 22 मई को इस याचिका पर सुनवाई हो रही थी, जिस में याचिकाकर्ताओं की तरफ से तो अधिवक्ता पेश हुए थे, लेकिन अनावेदकों की तरफ से यानी कि पांचों अफसरों की तरफ से कोई पेश नहीं हुआ जिसके बाद अगली तारीख दी गई थी।
डबल बेंच और सुप्रीम कोर्ट में की अपील खारिज, अब कंटेप्ट ऑफ कोर्ट का केस
जेलों में होने वाले अस्पतालों में फार्मासिस्ट भी काम करते हैं। ये जेल विभाग के अधीन होते हैं। इन फार्मासिस्ट को 2013 में 1900 ग्रेड पे पर वेतन मिल रहा था। वहीं, स्वास्थ्य विभाग के फार्मासिस्ट 24 सौ ग्रेड पे पर वेतन कर रहे थे। इस पर 2013 में फार्मासिस्ट की तरफ से हाई कोर्ट में अपील की गई।
2013 में की गई अपील के बाद 2023 में हाई कोर्ट का इस पर फैसला आया, जिसमें जेल विभाग के फार्मासिस्ट को स्वास्थ्य विभाग के फार्मासिस्ट के समान वेतन देने का आदेश दिया गया।
इस आदेश के खिलाफ विभाग की तरफ से 2024 में हाई कोर्ट की डबल बेंच में अपील की गई, जिसे खारिज कर दिया गया। डबल बेंच से याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई। सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका भी खारिज हो गई।
इस दौरान फार्मासिस्टों की तरफ से हाई कोर्ट में कोर्ट का आदेश नहीं मानने पर कंटेप्ट ऑफ कोर्ट की याचिका दायर की गई, जिसकी सुनवाई के तहत ही पांचों अफसरों को नोटिस जारी किया गया है।
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