रायपुर। आयुष्मान भारत योजना जो देश के गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त इलाज देने का वादा करती है, छत्तीसगढ़ में गंभीर समस्याओं का सामना कर रही है। इस योजना के तहत निजी अस्पताल मरीजों को इलाज तो दे रहे हैं, लेकिन भुगतान में देरी और बजट की कमी ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया की छत्तीसगढ़ इकाई की 19 अगस्त 2025 को हुई बैठक में इन समस्याओं पर गहन चर्चा हुई। PM-JAY and IMA
क्या है आयुष्मान भारत योजना?
आयुष्मान भारत योजना जिसे प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) भी कहा जाता है, गरीब परिवारों को हर साल 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी। छत्तीसगढ़ में कई निजी अस्पताल इस योजना से जुड़े हैं और मरीजों को इलाज दे रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से अस्पतालों को भुगतान न मिलने के कारण उनकी स्थिति खराब हो रही है।
भुगतान में देरी: अस्पतालों का दर्द
बैठक में सामने आया कि मार्च 2025 से भुगतान रुका हुआ है। सितंबर-अक्टूबर 2024 तक का भुगतान आंशिक रूप से मिला था, लेकिन उसके बाद कोई पैसा नहीं आया। कुछ अस्पतालों का कहना है कि 2023 से उनके पैसे अटके हैं। जबकि कुछ अस्पतालों में मार्च 2025 से पहले के बकाया भुगतानों को भी अब नहीं देने की बात कही जा रही है। कई बार पहले से मंजूर किए गए दावों को गलत तरीके से खारिज कर दिया जाता है, जिससे अस्पतालों को भारी नुकसान हो रहा है।
बजट की कमी: योजना पर खतरा
छत्तीसगढ़ में इस योजना के तहत हर महीने करीब 250 करोड़ रुपये का इलाज हो रहा है लेकिन सरकार की ओर से केवल 100 करोड़ रुपये का बजट उपलब्ध है। इस साल योजना के लिए 1500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए जो पिछले साल के 3000 करोड़ रुपये से आधे से भी कम है। अब सवाल ये है की इतने कम बजट में कैसे चलेगी यह योजना? क्या सरकार गरीबों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं दे रही?
पैकेज दरें पुरानी, लागत बढ़ी
TPA के टेंडर में बार-बार देरी हो रही है, जिससे भुगतान प्रक्रिया और जटिल हो गई है। MoU में देर से भुगतान पर 1% ब्याज देने का नियम है लेकिन TPA इसका पालन नहीं कर रहा। पिछले 7-8 सालों से आयुष्मान योजना की पैकेज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जबकि दवाइयों, जांच और उपकरणों की कीमतें कई गुना बढ़ गई हैं। इससे अस्पतालों को अपनी जेब से खर्च करना पड़ रहा है।
भुगतान में देरी के कारण अस्पताल मरीजों का इलाज करने में असमर्थ हो रहे हैं। कई बार मरीजों को इलाज के लिए इंतजार करना पड़ता है या उन्हें अन्य जगह जाना पड़ता है। इसके अलावा, विभिन्न नियमों के नाम पर अस्पतालों पर कार्रवाई हो रही है, जिससे उनका काम और मुश्किल हो रहा है।
IMA और हॉस्पिटल बोर्ड ने सरकार से कुछ महत्वपूर्ण मांगें की हैं:
- योजना को ट्रस्ट मोड में चलाया जाए।
- बजट बढ़ाया जाए और इलाज की दरों की समीक्षा हो। बकाया भुगतान ब्याज सहित जल्दी किया जाए।
- IMA और हॉस्पिटल बोर्ड के प्रतिनिधियों को शामिल कर समीक्षा समिति बनाई जाए।
- राज्य और जिला स्तर पर निगरानी और शिकायत निवारण समितियां बनें।
- 2019 से अब तक के क्लेम डेटा को ऑनलाइन डैशबोर्ड पर रोजाना अपडेट किया जाए।
- 2019 से अब तक की ऑडिट रिपोर्ट वेबसाइट पर डाली जाए।
- 2018 से अब तक का क्लेम डेटा IMA को अध्ययन के लिए दिया जाए।
IMA और हॉस्पिटल बोर्ड ने सरकार से 31 अगस्त 2025 तक भुगतान की व्यवस्था सुधारने की मांग की है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो अस्पताल इस योजना के तहत इलाज जारी रखने में असमर्थता जताएंगे और अपने अस्पतालों में इसकी सूचना सार्वजनिक करेंगे। सितंबर 2025 के पहले हफ्ते में अगली बैठक होगी, जिसमें हड़ताल जैसे कदमों पर विचार किया जाएगा। आयुष्मान भारत योजना गरीबों के लिए एक वरदान हो सकती है, लेकिन भुगतान में देरी, बजट की कमी और प्रशासनिक लापरवाही ने इसे संकट में डाल दिया है। छत्तीसगढ़ के निजी अस्पताल अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन बिना सरकारी सहयोग के वे कितने दिन और सेवा दे पाएंगे? सरकार को तुरंत कदम उठाने की जरूरत है वरना यह योजना सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाएगी।