[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
बिहार चुनाव में नामांकन शुरू लेकिन महागठबंधन और NDA में सीट बंटवारे पर घमासान जारी
क्या है ननकी राम कंवर का नया सनसनी खेज आरोप?
EOW अफसरों पर धारा-164 के नाम पर कूटरचना का आरोप, कोर्ट ने एजेंसी चीफ सहित 3 को जारी किया नोटिस
रायपुर रेलवे स्टेशन पर लाइसेंसी कुलियों का धरना खत्म, DRM ने मानी मांगे, बैटरी कार में नहीं ढोया जाएगा लगेज
तालिबान के दबाव में विदेश मंत्रालय की प्रेस कांफ्रेंस में महिला पत्रकारों की एंट्री बैन
छत्तीसगढ़ संवाद के दफ्तर में झूमाझटकी, मामला पुलिस तक
काबुल में पाकिस्‍तान की एयर स्‍ट्राइक से क्‍यों चौकन्‍ना हुआ चीन, जारी की सुरक्षा चेतावनी
नक्सलियों के आईईडी ने फिर ली मासूम की जान
TATA में ट्रस्‍ट का संकट, जानिए क्‍या है विवाद?
CG Cabinet : 15 नवंबर से 31 सौ रुपए की दर से धान खरीदेगी सरकार
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
लेंस संपादकीय

लालकिले से आरएसएस की तारीफ

Editorial Board
Last updated: August 16, 2025 9:10 pm
Editorial Board
Share
PM Modi Speech
SHARE
The Lens को अपना न्यूज सोर्स बनाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की आजादी की 78 वीं वर्षगांठ के मौके पर लालकिले से अब तक दिए गए अपने सबसे लंबे भाषण में ऑपरेशन सिंदूर से लेकर सेमीकंडक्टर और किसानों से लेकर महिला स्वसहायता समूह तक की बात की, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और आपातकाल को लेकर उन्होंने जो कहा है, उस पर गौर करने की जरूरत है। अटल बिहारी वाजपेयी के बाद नरेंद्र मोदी आरएसएस के दूसरे स्वयंसेवक हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री बनने के मौका मिला है, लेकिन पिछले 11 सालों में यह पहला मौका है, जब उन्होंने लाल किले से आरएसएस की तारीफ की है। बेशक, इस साल आरएसएस की स्थापना की शताब्दी है और इसका जिक्र करते हुए मोदी ने इसके राष्ट्र को दिए गए योगदान को याद करते हुए इसे दुनिया का सबसे बड़ा गैरसरकारी संगठन बताया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आजादी के आंदोलन में आरएसएस का क्या योगदान था? महात्मा गांधी की अगुआई में जब देश की तमाम धाराएं देश की आजादी के लिए संघर्ष कर रही थीं, हमारे राष्ट्रीय नायक जेल जा रहे थे, तब आरएसएस की भूमिका कहीं नजर नहीं आती है और यदि उससे जुड़े लोगों का जिक्र भी कहीं आता है, तो वह विवादों से जुड़ा रहा है। लालकिले से 15 अगस्त को दिए जाने वाले प्रधानमंत्री के भाषण का ऐतिहासिक संदर्भ है और यह हमारी देश की आजादी से जुड़ा हुआ है और ऐसे विशिष्ट मौके पर आरएसएस का महिमांडन दरअसल इतिहास को नए सिरे से लिखने की परियोजना का हिस्सा ही लगता है, जिस पर पिछले एक दशक से काम चल रहा है। वास्तविकता यह है कि आजादी मिलने के महज छह महीने बाद ही महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई थी और तब तत्कालीन उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह तथ्य है कि आजादी के आंदोलन के दौरान आरएसएस ने हिन्दू राष्ट्र की वकालत की थी और यह आज भी उसके एजेंडे में सबसे ऊपर है। आरएसएस खुद को गैरराजनीतिक संगठन बताता है, लेकिन उसकी राजनीतिक गतिविधियां छिपी नहीं हैं। यह जगजाहिर है कि पहले भारतीय जनसंघ और अब भाजपा आरएसएस की राजनीतिक शाखाएं हैं। यही नहीं, उसके सौ से अधिक अनुषांगिक संगठन हैं और उनमें बीएमएस से लेकर एबीवीपी जैसे संगठन हैं जो अपनी प्रकृति में राजनीतिक संगठन हैं। वास्तविकता यह है कि वृहत संघ परिवार भाजपा की सबसे बड़ी ताकत है। दरअसल भाजपा की राजनीतिक सफलता में आरएसएस के योगदान को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। इस पर चर्चा करने से पहले यह भी जानना जरूरी है कि जनसंघ और उसके बाद भाजपा के लिए रास्ता बनाने में आरएसएस की अपनी अहम भूमिका रही है, जिसे खासतौर से आपातकाल और जेपी आंदोलन के दौर से समझा जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में आपातकाल को भी याद कर कांग्रेस पर हमला किया है। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि आरएसएस के तीसरे सरसंचालक बालासाहेब देवरस ने न केवल आपातकाल का समर्थन किया था, बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लिखे पत्र में उन्होंने जेपी आंदोलन में हिस्सेदारी से भी इनकार कर दिया था! यहां यह भी दर्ज किया ही जाना चाहिए कि जेपी ने 1974 से 77 के दौरान अपने आंदोलन में आरएसएस को साथ जरूर लिया था, लेकिन उन्होंने हिंदू राष्ट्र की उसकी विचारधारा का विरोध किया था। यही नहीं, जनता पार्टी की सरकार के आने के बाद और अपने मृत्यु से कुछ समय पूर्व जेपी ने इस बात पर अफसोस जताया था कि आरएसएस ने हिंदू राष्ट्र की अपनी विचारधारा से किनारा नहीं किया है। लालकिले के प्राचीर से आरएसएस की तारीफ करते प्रधानमंत्री मोदी को यह एहसास तो हुआ ही होगा कि आरएसएस की हिन्दू राष्ट्र की कल्पना संविधान निर्माताओं के सपने से मेल नहीं खाती। वास्तव में लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी भाजपा और संघ के इतिहास के सबसे बडे नेता हैं, ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर उन्हें आरएसएस के कसीदे पढ़ने की जरूरत क्यों पड़ गई? क्या इसकी वजह बिहार और पश्चिम बंगाल के आगामी चुनाव हैं, जहां भाजपा को जमीनी स्तर पर आरएसएस की जरूरत है? यह नहीं भूलना चाहिए कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटें न केवल घटकर 240 रह गईं बल्कि उसे दो सहयोगी दलों के सहारे टिकना पड़ा है।

TAGGED:Editorialindependence dayPM Modi SpeechRed Fortrss
Previous Article Reality reckons Trump Reality reckons Trump
Next Article Vote Adhikar Yatra 1300 किलोमीटर की वोट अधिकार यात्रा को लेकर कांग्रेस नेता क्या कह रहे हैं?
Lens poster

Popular Posts

बापू के बनाये ‘राष्ट्र’ के नाश की सैनिक तैयारी है आरएसएस!

इस साल पंद्रह अगस्त पर लाल क़िले से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र…

By पंकज श्रीवास्तव

ईरान पर इजरायली हमले से जुड़े दस सवाल और उनके जवाब

द लेंस डेस्क। ईरानी अखबार तेहरान टाइम्स (Tehran Times) ने अपनी वेबसाइट पर शुक्रवार को…

By Lens News

वोट अधिकार यात्रा: औरंगाबाद में की पूजा, गया में गरजे राहुल गांधी

पटना। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा दूसरे दिन सोमवार को धार्मिक महत्‍व…

By अरुण पांडेय

You Might Also Like

Emergency in India
लेंस रिपोर्ट

जनता सरकार का आना और फिर बिखर जाना

By Lens News
DK Shivakumar
अन्‍य राज्‍य

डीके शिवकुमार ने गाया ‘नमस्ते सदा वत्सले’, जानिए फिर क्‍या हुआ? देखिए वीडियो

By अरुण पांडेय
Chandrachud interview
English

Chandrachud interview: admission of guilt

By Editorial Board
GenZ
लेंस संपादकीय

नेपाल में भड़की हिंसाः सड़कों पर उतरे Gen-Z का दर्द

By Editorial Board

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?