रायपुर। छत्तीसगढ़ में बीजेपी की नई टीम की घोषणा के बाद अब मंत्रिमंडल विस्तार का शोर जोरों पर है। सुनने में आ रहा है कि 18 अगस्त को सुबह 10 बजे ये विस्तार हो सकता है। अगर 18 को न हुआ, तो 19 या 20 अगस्त तक इसके हो जाने की बात कही जा रही है। लेकिन, इसे लेकर छत्तीसगढ़ में बेसब्री बढ़ती जा रही है.. तारीख से ज्यादा हलचल नामों को लेकर है… ये चर्चाएं हैं भी बड़ी दिलचस्प।
हम इस चर्चा की शुरुआत करें, उससे पहले एक डिस्क्लेमर पढ़ लीजिए। यह डिस्क्लेमर दिलचस्प है लेकिन अटकल नहीं। आगे हम जो कहने जा रहे हैं वह सब चर्चाएं हैं अटकलें हैं। लेकिन डिस्क्लेमर यह है कि बीजेपी में होगा वही जो चाहेगी मोदी – शाह की जोड़ी। और मोदी शाह जो चाहेंगे, उसका अनुमान भी लगाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। दिल्ली से आएगा फैसला, जिसे सुनाएंगे विष्णुदेव साय।

सबसे पहले बीजेपी संगठन की नई टीम की बात।
बीजेपी ने दो तीन लोगों को छोड़ कर सारे नए चेहरों के साथ प्रदेश की अपनी नई टीम खड़ी कर दी है।यह पार्टी नेतृत्व की अगली पंक्ति है। इस नई टीम में तीन बार मुख्यमंत्री और अभी विधानसभा अध्यक्ष डॉ.रमन सिंह के पुत्र जो पिछली कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष थे, इस बार किसी भी पद से वंचित रहे!
गौरीशंकर अग्रवाल, शिवरतन शर्मा, लाभचंद बाफना, अनुराग सिंहदेव, भूपेंद्र सवन्नी से लेकर श्रीचंद सुंदरानी जैसे ढेरों दिग्गज संगठन के पदों से दूर हैं। अभिषेक सिंह को लेकर एक हल्ला यह है कि उन्हें मार्कफेड जैसी किसी कुर्सी पर बिठाए जाने का दबाव भी डाला जा रहा है। दरअसल अभिषेक सिंह को कोई पद मिलने के मामले को डॉ.रमन सिंह के अपने कद से जोड़ कर देखा जा रहा है लेकिन यह बात वहां तक भी जाती है जहां बीजेपी कांग्रेस पर वंशवाद के आरोप उछालती है।
जानकार कहते हैं कि छत्तीसगढ़ बीजेपी की कार्यकारिणी मोदी–शाह की कार्यशैली की झलक ही है।
बीजेपी के सूत्र कहते हैं कि यही बात अब मंत्रिमंडल के विस्तार में नजर आने वाली है। हालांकि इस विस्तार में कौन खुशकिस्मत होगा यह बाद में पता चलेगा लेकिन अभी पार्टी के भीतर अलग–अलग नजरिए के साथ नाम उछल रहे हैं।
सबसे पहले दावेदारों की बात करें तो यह सूची बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल से शुरू होती है।अमर अग्रवाल छत्तीसगढ़ बीजेपी के पितृ पुरुष माने जाने वाले स्व.लखीराम अग्रवाल के पुत्र हैं। अनुभव नेता हैं। डॉ.रमन सिंह की सरकार में लगातार मंत्री रहे।एक बार गुस्से में मंत्री पद छोड़ भी चुके थे लेकिन बाद में फिर मंत्री बना लिए गए थे। उनका नाम काफी दिनों से ‘पक्का बनेंगे’ वाली सूची में था लेकिन अब इस चर्चा में किंतु–परन्तु जुड़ने लगे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि नए चेहरों को मंत्री बनाने का फॉर्मूला चलेगा तो अमर अग्रवाल को अवसर नहीं मिलेगा। दूसरा सवाल है जाति का है।बृजमोहन अग्रवाल को मंत्री पद से हटाए जाने के बाद यह चर्चा थी कि वैश्य समाज से कम से कम एक प्रतिनिधित्व तो होगा। इस क्रम में अमर अग्रवाल की वरिष्ठता और दिल्ली में उनके संपर्क उनकी दावेदारी को मजबूत बना रहे थे।
अमर अग्रवाल को लेकर पिछले दिनों एक दिलचस्प चर्चा यह सुनाई दी कि उनकी तो विभाग को लेकर भी मुख्यमंत्री के साथ बातचीत हो चुकी थी जिसमें उन्होंने कथित रूप से आबकारी विभाग ना लेने की इच्छा जताई थी!यह सुनी सुनाई ही है और इसकी पुष्टि भी नहीं हो सकती लेकिन सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दिल्ली से लौट आने के बाद इन चर्चाओं की दिशा बदल चुकी है।
वैसे पार्टी के भीतर वैश्य समाज से ही जो दूसरा नाम चर्चा में था वो भी दमदार है। ये नाम है राजेश मूणत का।अनुभवी और वरिष्ठ होने के साथ–साथ राजेश मूणत राजधानी रायपुर का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।
बीजेपी के भीतर राजेश मूणत की ताकत हैं डॉ.रमन सिंह। बताते हैं कि डॉ.रमन सिंह राजेश मूणत के लिए रायपुर से दिल्ली तक पूरी कोशिश कर रहे हैं और यह भी कि ऐसा वे अंतिम क्षणों तक करेंगे। इन दोनों नामों में से कोई एक बनेगा अगर नए चेहरों का फॉर्मूला पार्टी इस विस्तार में छोड़ती है तो। इस तबके से अचानक ही जो नाम तेजी से उभरा है वो है अंबिकापुर के विधायक राजेश अग्रवाल का।राजेश अग्रवाल कांग्रेस से ही बीजेपी में शामिल हुए थे और उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज,तत्कालीन उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को परास्त किया था। यह नया चेहरा है।
सरगुजा संभाग से ही एक मंत्री रामविचार नेताम को लेकर भी दिलचस्प चर्चाएं हैं। बताते हैं कि उनके खिलाफ एक व्यवस्थित अभियान छेड़ा गया है। उनकी कार्यशैली की दिल्ली में उच्च स्तरों पर शिकायतें की गईं हैं। चर्चा यह है कि रामविचार नेताम दिल्ली में घूम–घूम कर तमाम बड़े नेताओं से मिल रहे हैं। इसे बीजेपी में जनसंपर्क कवायद के रूप में देखा जा रहा है जो कितनी सार्थक होगी यह विस्तार के समय पता चलेगा। लेकिन अटकलों को सुनें तो बस्तर से भी आदिवासी नाम उछल रहें हैं। इनमें कांकेर से आशाराम नेताम और दंतेवाड़ा से चैत राम अटामी का है। इसी तरह सरगुजा संभाग की प्रेमनगर सीट के विधायक भुवन सिंह मरावी का नाम भी चर्चा में है।भुवन सिंह मरावी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के करीबी भी हैं।
दिलचस्प यह है कि इस प्रस्तावित विस्तार में जो नाम चर्चा में भी नहीं सुनने को मिल रहा है वो बीजेपी के मुखर विधायक अजय चंद्राकर का है। उन्हें पार्टी ने प्रवक्ता के पद से भी हटा दिया है। गौर करने वाली बात यह भी है कि अजय चंद्राकर विधानसभा के भीतर अपनी ही सरकार के मंत्रियों को भी घेरने से नहीं चूकते हैं।
अजय चंद्राकर का नाम उनके अनुभव और वरिष्ठता को देखते हुए लिया जा सकता था। लेकिन, बीजेपी के भीतर जातिगत समीकरणों की चर्चा करने वाले कहते हैं कि इस क्रम में अगर किसी नाम की दावेदारी ज्यादा पुख्ता कही जा रही है तो वह दुर्ग जिले स्पोर्टी विधायक गजेंद्र यादव हैं क्योंकि पिछड़े वर्ग से राज्य में साहू आबादी के बाद जिनकी संख्या सबसे ज्यादा है तो वो हैं यादव। साहू समाज के प्रतिनिधि के तौर पर तो स्वयं उप मुख्यमंत्री अरुण साव हैं ही। ऐसे में जातिगत समीकरणों को जरूरी मानने के दौर में छत्तीसगढ़ में यादवों को प्रतिनिधित्व देना पार्टी को ज्यादा तर्कसंगत लग सकता है।
अन्य पिछड़ा वर्ग से ओमप्रकाश चौधरी और लखन लाल देवांगन भी पहले ही मंत्री हैं ही। फिर भी छत्तीसगढ़ की राजनीति में अब सवर्णों से ज्यादा पिछड़े, आदिवासी या सतनामी समाज एक ऐसी संगठित ताकत के रूम में उभर रहे हैं। इन्हें नजरअंदाज कर सवर्णों को तवज्जो दे देना किसी भी राजनीतिक दल के लिए अब छत्तीसगढ़ में संभव नहीं रहा। कह सकते हैं कि छत्तीसगढ़ में सवर्ण दबदबे का युग बीत चला है।
बीजेपी के भीतर जिन नामों की चर्चा है उनमें एक नाम पुरंदर मिश्रा का लिया जाता है। राजधानी को प्रतिनिधित्व से लेकर नए चेहरे को मौका जैसे पैमानों पर तो पुरंदर मिश्रा का नाम बैठता है पर एक ब्राह्मण विजय शर्मा को उप मुख्यमंत्री बना देने के बाद क्या एक और ब्राह्मण को मंत्री बनाने का जोखिम सवर्णों की पार्टी के ठप्पे से उबरने की कोशिश करती बीजेपी उठा सकती है?
खासतौर पर तब जब इन दिनों ईसाई और आदिवासियों में बीजेपी के विरोध के स्वर सुने जा रहे हों और तब जब प्रदेश की एक बड़ी आबादी अनुसूचित जाति दूसरा मंत्री पद भी मांग रही हो? भूपेश बघेल की सरकार में अनुसूचित जाति से दो मंत्री थे और साय सरकार में अभी एक – दयालदास बघेल ही हैं। इस वर्ग से ही आरंग के विधायक खुशवंत गुरु का नाम चर्चा में है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि खुशवंत गुरु को बनाने से अनुसूचित जाति के साथ–साथ रायपुर जिले को प्रतिनिधित्व मिल जाएगा।
रायपुर के प्रतिनिधित्व की चर्चा के बीच बीजेपी के सूत्र मुख्यमंत्री की रायपुर शहर में निकली तिरंगा यात्रा से दिग्गज नेताओं की बेरुखी की ओर ध्यान आकृष्ट करते हैं। पार्टी के एक नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि यदि रायपुर के नेताओं में से किसी को यह भरोसा होता कि वे मंत्री बनेंगे तो भीड़ इतनी होती कि संभलती नहीं पर मुख्यमंत्री की रैली का प्रदर्शन बेहद फीका माना जा रहा है और कहा जा रहा है कि पार्टी के भीतर भी इसे गंभीरता के साथ दर्ज किया गया ही।
बीजेपी में यह कहने वाले लोग भी हैं कि अमर अग्रवाल और गजेंद्र यादव ये दो नाम तय हैं। राजेश अग्रवाल के नाम का हल्ला सिर्फ मीडिया में है और रायपुर से राजेश मूणत या पुरंदर मिश्रा मे से कोई एक ही तय होंगे। ऐसा कहने वाले सूत्र कहते हैं कि बीजेपी में डॉ रमन सिंह अभी हल्के नहीं हुए हैं।
कैबिनेट विस्तार में दिक्कत इसलिए भी आ रही है कि अधिकतम तीन मंत्री बनाए जा सकते हैं। मगर इस ऐसे सीनियर विधायकों की संख्या अधिक है, जो पहले भी मंत्री रह चुके हैं। इनमें बस्तर संभाग से विक्रम उसेंडी, लता उसेंडी हैं। चर्चा है कि विक्रम उसेंडी को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया गया था लेकिन उन्होंने विनम्रतापूर्वक इंकार कर दिया।
ऐसे ही पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, अमर अग्रवाल, राजेश मूणत और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक भी दौड़ में हैं। इन वजहों से सीनियर विधायकों की जगह नए चेहरों में मंत्री बनाने पर भी विचार चल रहा है।
प्रस्तावित मंत्रिमंडल विस्तार में कितने नए मंत्रियों को शामिल किया जाएगा इसे लेकर भी एक चर्चा हरियाणा फॉर्मुले की है।हरियाणा में भी 90 सीटें हैं लेकिन वहां मुख्यमंत्री को मिला कर 14 का मंत्रिमंडल है।छत्तीसगढ़ में भी यह गुंजाइश थी लेकिन पिछले मुख्यमंत्रियों ने हरियाणा फार्मूले से खुद को बचाए रखा। यदि हरियाणा की तर्ज पर विस्तार हुआ तो छत्तीसगढ़ को 3 मंत्री मिल सकते हैं नहीं तो 2 ही।
सरकार के सूत्र कहते हैं कि यह विस्तार जल्दी ही होना बेहतर है क्योंकि मुख्यमंत्री के पास ही बहुत से महत्वपूर्ण विभाग हो गए हैं और उनकी अपनी व्यस्तता के चलते सभी विभागों की समुचित मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है। बीजेपी ने संगठन की नई टीम के साथ ही अपनी नई शैली का साफ संदेश दिया।
अब मंत्रिमंडल विस्तार से यह पता चलेगा कि बीजेपी सरकार में नए चेहरों को महत्व देती है या कई पारी में सत्ता के हिस्सेदार रह चुके नेताओं के अनुभव का ही लाभ उठाएगी। तो चलिए इंतजार करते हैं कि उस फैसले का, जिससे पता चलेगा कि छत्तीसगढ़ में मोदी शाह को कैसा सुशासन पसंद है।
सीएम साय ने दिए संकेत
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर इशारा किया है। उन्होंने संकेत दिया कि कैबिनेट विस्तार पर जल्द निर्णय लिया जाएगा, लेकिन इसके लिए थोड़ा समय और चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि क्या यह उनके विदेश दौरे से पहले होगा, तो उन्होंने जवाब दिया, “संभव है कि ऐसा हो।”
जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री साय 21 अगस्त से 10 दिनों की विदेश यात्रा पर रवाना होंगे। यह उनकी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा होगी। उनके साथ मुख्य सचिव अमिताभ जैन, प्रमुख सचिव सुबोध सिंह और उद्योग सचिव रजत कुमार भी होंगे। सीएम 21 अगस्त को सुबह दिल्ली से जापान के लिए उड़ान भरेंगे, जहां वे स्थानीय उद्योगपतियों, निवेशकों और बुनियादी ढांचा विकास से जुड़े व्यवसायियों के साथ चर्चा करेंगे। इसके बाद वे दक्षिण कोरिया का दौरा करेंगे और 31 अगस्त की शाम को दिल्ली लौट आएंगे।