सीहोर में महोत्सव के दौरान अव्यवस्था के बाद प्रशासन से आवश्यक कदम उठाने की अपील
लेंस डेस्क। मध्यप्रदेश के सीहोर में कथावाचक प्रदीप मिश्रा के रुद्राक्ष महोत्सव में लाखों की भीड़ जमा होने की वजह से मची भगदड़ में 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। इसके अलावा हजारों लोगों के परेशान होने की खबर है। दरअसल, इस महोत्सव में रुद्राक्ष का पानी पीने से व्यक्तियों की आर्थिक, स्वास्थ्य, मानसिक समस्याओं के समाधान की खबर से बड़ी संख्या में भीड़ जमा हो गई। इस भारी भरकम भीड़ की वजह से भगदड़ मची और इसमें 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई।

इस घटना के बाद अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा कि रुद्राक्ष महोत्ससव में लाखों की भीड़ जमा होने और श्रद्धालुओं की मौत होने की खबर चिंतनीय है। इसके साथ ही डॉ. मिश्र ने कहा कि आजकल यह क्या चल रहा है? कथावाचकों को कथा सुनानी चाहिए। उन्हें लोगों को कर्म करने की शिक्षा दें, मेहनत कर सफलता पाने की सीख दें तो ठीक है। पर सिर्फ रुद्राक्ष का पानी पीने से कैसे सभी व्यक्तियों की आर्थिक, स्वास्थ्य, मानसिक समस्याओं का समाधान हो सकता है? इस प्रकार मजमा जमाकर हजारों लोगों को परेशानी में डालने का क्या मतलब है?
उन्होंने इसके साथ ही सवाल किया कि आस्था के नाम पर यह कैसा खेल चल रहा है? कथावाचन तो चलो ठीक है। पर लोगों की समस्याओं को दूर करने के चमत्कारिक टोटके बताना, सोशल मीडिया और चैनलों में प्रचार के माध्यम से, सब्जबाग दिखाकर, भीड़ इकठ्ठा करना कैसे सही हो सकता है?
डॉ. मिश्र ने कहा कि क्या टोटको से ही या रुद्राक्ष पा लेने से ही इंसान की सारी समस्याएं हल हो जाएंगी? सीहोर में ही लाखों आस्थावान एकत्र हो गए हैं और यातायात जाम हो रहे हैं। लोग बीमार हो रहे और भगदड़ मच रही है। पीने के पानी तक की समस्या हो रही है। इन परेशानियों को गिनाते हुए डॉ. मिश्र ने कहा कि क्या इन सभी का हल भी किसी टोटके या रुद्राक्ष का जल पीने से निकलेगा?
इसके साथ ही डॉ. दिनेश मिश्र ने आम लोगों से अपील की है कि धैर्य और विवेक से काम लें भीड़ और भगदड़ से बचें। आपका जीवन आपके और आपके परिवार महत्वपूर्ण है। बहुत सी प्रत्यक्ष और सोशल मीडिया की चर्चाओं में सुना, देखा जा रहा है। सीहोर में रुद्राक्ष पाने, सारे संकट मुक्त होने ककी आकांक्षा में जल्द पहुंचने, सबसे पहले सफल होने की उम्मीद में 7 से अधिक लोगों की मौत हो गई है।
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष ने कहा मात्र एक रुद्राक्ष से सब कुछ पाने की उम्मीद एक ऐसी प्रतिस्पर्धा है जिसका कोई अंत नहीं है। जहां कुछ लोगों को लगता है कि उनसे कोई चीज छूट रही है और वे जीवन में कहीं पीछे रह जा रहे हैं। यह प्रतिस्पर्धा ही एक भीड़ भाड़ और भगदड़, दुर्घटनाओं के कारण कुछ अकाल मौतों के रूप में अब सबके सामने हैं। सब कुछ तुरंत प्राप्त कर लेने, का ये चरम रूप है। वैसे हर व्यक्ति अपनी इच्छानुसार आचरण करने को स्वतंत्र है। पर स्वयं और दूसरों सुरक्षा, सुरक्षित यात्रा व सुरक्षित घर वापसी भी एक महत्वपूर्ण अंग है। प्रशासन अपनी तरफ से इंतजाम करता रहता है। लेकिन, एकदम भीड़ बढ़ने, आपाधापी, में पर यह न भूलें कि आध्यात्म में ज्ञान मार्ग की चर्चा भी होती है। ज्ञान, बुद्धि-विवेक के बिना जीवन में अनेक संकट आते हैं। भावुकता में इन संकटों को मनुष्य खुद आमंत्रित करता है। इस प्रवृत्ति से अन्य लोग भी संकट में हैं जो जरूरी कामों से ट्रेन, बसों या सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे हैं। लेकिन, बिना किसी कारण के परेशानियों में पड़ रहे है, ट्रैफिक जाम हो रहा है।
डाॅ. मिश्र ने कहा कि जिस तरह की भीड़ और भगदड़ से घायल होने मरने की खबरें मीडिया में तैर रही हैं, पूरा परिदृश्य उनके परिजनों और आम लोगों के लिए बहुत चिंतनीय और डरावना है। इन परिस्थितियों से बचा जाना चाहिए। हर इंसान का जीवन अमूल्य, महत्वपूर्ण है। इसे इस प्रकार से सड़कों पर गंवाने का भी क्या तुक है? धैर्य, विवेक, और सावधानी संतुलित विचारों से उद्देश्य पूर्ण जीवन जिया जा सकता है। शासन प्रशासन पर बड़ी जिम्मेदारी है कि वे तुरंत संज्ञान ले और लोगों की सुरक्षा, स्वास्थ्य के मद्देनजर आवश्यक कदम उठाए। पीड़ितों को न्याय के लिए आवश्यक कदम उठाएं।