रायपुर। छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर 25 जुलाई को मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार दो ननों, प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस को बिलासपुर की NIA कोर्ट ने जमानत दे दी है। दोनों नन और एक अन्य आरोपी सुखमन मंडावी पिछले नौ दिनों से दुर्ग जेल में बंद थे।
बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की शिकायत पर रेलवे पुलिस ने तीनों को हिरासत में लिया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि वे नारायणपुर की तीन आदिवासी युवतियों को बहला-फुसलाकर आगरा ले जा रहे थे। ननों के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि युवतियां अपनी मर्जी से नौकरी के लिए जा रही थीं और उनके परिवारों को कोई आपत्ति नहीं थी। CG NUN ARREST CASE
इस मामले ने छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक हंगामा मचा दिया। केरल के सांसदों और मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने इसे फर्जी केस बताते हुए ननों की रिहाई की मांग की थी। एक युवती ने भी बयान दिया कि बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने उससे जबरन बयान बदलवाया और उसके साथ मारपीट की।
सीपीआई (एम) नेता वृंदा करात ने भी दुर्ग जेल में ननों से मुलाकात कर इस कार्रवाई को गलत बताया और कहा कि यह बजरंग दल के दबाव में की गई। NIA कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जमानत मंजूर की जिससे इस मामले में नया मोड़ आ गया है।
वकीलों ने मीडिया को क्या बताया
NIA के वकील दाऊराम चंद्रवंशी ने मीडिया को बताया कि अदालत ने माना है कि यह नन पहले कभी किसी आपराधिक घटना में शामिल नहीं रही हैं। अदालत ने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।
याचिकाकर्ता पक्ष के अधिवक्ता अमृतो दास ने जानकारी दी कि 50 हजार रुपये की जमानत राशि जमा करनी होगी। साथ ही, नन को अपना पासपोर्ट जमा करना होगा और वे देश छोड़कर विदेश नहीं जा सकतीं। जांच आगे बढ़ने पर मामले की और स्पष्टता आएगी।
याचिकाकर्ता पक्ष के अन्य वकील के.बी. गोपाकुमार ने कहा कि हमने कल अदालत में अपना पक्ष मजबूती से रखा। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हमारे तर्कों को गंभीरता से सुना और जमानत मंजूर की। नन को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा। यह एक स्पष्ट जमानत आदेश है। लगाए गए आरोप और धाराएं गलत थीं और कोर्ट ने सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद जमानत दी।
तारीख दर तारीख समझिए कब क्या हुआ
- 25 जुलाई : छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के सदस्यों ने हंगामा मचाया। उन्होंने आरोप लगाया कि केरल की दो नन एक आदिवासी युवती को बहला-फुसलाकर उत्तर प्रदेश के आगरा ले जा रही थीं, ताकि उसका धर्म परिवर्तन कराया जा सके। बजरंग दल की शिकायत पर पुलिस ने दो ननों सहित तीन लोगों के खिलाफ धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोप में मामला दर्ज कर उन्हें हिरासत में ले लिया।
- 28 जुलाई: दिल्ली में संसद भवन के बाहर ननों की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन हुआ। कांग्रेस नेताओं प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल ने इस गिरफ्तारी की निंदा की और छत्तीसगढ़ की साय सरकार पर सवाल उठाए।
- 29 जुलाई: इंडिया गठबंधन के सांसदों का एक दल दुर्ग सेंट्रल जेल पहुंचा और वहां बंद ननों से मुलाकात की। इस दल में केरल की विधायक रोजी एम जॉन, कांग्रेस की सह-प्रभारी जरिता लेतफलांग, सांसद सप्तगिरी उल्का, फ्रांसिस जॉर्ज, एनके प्रेमचंदन और कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के नेता अनिल ए थॉमस शामिल थे।
- 29 जुलाई: जैसे ही कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल ननों से मिलकर जेल से बाहर निकला, सीपीआई का एक दल भी ननों से मिलने पहुंचा। हालांकि, जेल प्रशासन ने नियमों का हवाला देते हुए उन्हें मुलाकात की अनुमति नहीं दी। इस पर सीपीआई की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने कड़ा ऐतराज जताया।
- 29 जुलाई: ननों की गिरफ्तारी को लेकर राजनीतिक माहौल गरमाने लगा। विपक्ष ने संसद में इस मुद्दे को उठाते हुए इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया।
- 30 जुलाई : सीपीआई नेता वृंदा करात को जेल में बंद ननों से मिलने की अनुमति मिली। मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि नन निर्दोष हैं और उन्हें जल्द रिहा किया जाना चाहिए।
- 30 जुलाई: कांग्रेस ने संसद भवन के बाहर ननों की रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में प्रियंका गांधी भी शामिल हुईं।
- 30 जुलाई: ननों की जमानत याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हुई, लेकिन सेशन कोर्ट ने उनकी जमानत खारिज कर दी। इसके बाद मामला एनआईए कोर्ट को स्थानांतरित कर दिया गया।
- 31 जुलाई: विपक्षी सांसदों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस मामले में दखल देने की मांग की।
- 2 अगस्त: स्पेशल कोर्ट का फैसला आने से पहले सीपीआई के पी संतोष कुमार, सीपीआई-एम के जॉन ब्रिटाश और नन वंदना फ्रांसिस के भाई जोसेफ मैथ्यू ने दुर्ग सेंट्रल जेल में ननों से मुलाकात की। सभी ने उम्मीद जताई कि फैसला उनके पक्ष में होगा। केरल बीजेपी के उपाध्यक्ष सन जॉर्ज भी जेल पहुंचे थे।