बुलंदशहर। Bulandshahr Sayana violence: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में 2018 के चर्चित स्याना हिंसा मामले में आज 38 दोषियों को सजा सुनाई गई। शुक्रवार को बुलंदशहर की एडीजे कोर्ट-12 के न्यायाधीश गोपाल ने सात साल पुरानी इस घटना में इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या के पांच दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। 33 अन्य दोषियों को दंगा, आगजनी और जानलेवा हमले जैसे अपराधों के लिए सात साल की जेल होगी। कोर्ट ने 30 जुलाई को इन 38 लोगों को दोषी ठहराया था और सजा के लिए एक अगस्त की तारीख तय की थी।
शहीद इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की पत्नी रजनी सिंह ने कहा कि अदालत ने न्याय किया है, लेकिन वे हत्यारों के लिए और सख्त सजा की आशा रखती थीं। यह घटना 3 दिसंबर 2018 को स्याना के चिंगरावठी गांव में गोवंश के अवशेष मिलने के बाद भड़की हिंसा के दौरान हुई थी। गुस्साई भीड़ ने पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया और तत्कालीन स्याना कोतवाली प्रभारी सुबोध सिंह व एक स्थानीय युवक सुमित की हत्या कर दी थी।
सात साल पहले क्या हुआ था
3 दिसंबर 2018 को स्याना क्षेत्र के चिंगरावठी गांव में कथित गोहत्या की अफवाह के बाद हिंसा भड़क उठी थी। स्थिति को नियंत्रित करने के दौरान इंस्पेक्टर सुबोध सिंह और 20 वर्षीय सुमित को गोली लगने से उनकी मृत्यु हो गई थी। एसएसपी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि भीड़ ने अफवाह फैलाकर लोगों को भड़काया, जिससे जाम और उपद्रव की स्थिति बन गई।
पुलिस के समझाने पर भीड़ ने पथराव किया, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और वाहनों में आग लगा दी। इस दौरान इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या कर दी गई।
विशेष लोक अभियोजक यशपाल सिंह राघव ने बताया कि 44 आरोपियों में से 38 के खिलाफ अपराध सिद्ध हुए। एक आरोपी नाबालिग होने के कारण उसका मुकदमा किशोर न्यायालय में चल रहा है, जबकि पांच आरोपियों की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई। पांच दोषियों प्रशांत नट, डेविड, जॉनी, राहुल और लोकेंद्र मामा को हत्या के लिए दोषी ठहराया गया, जबकि शेष 33 को अन्य अपराधों जैसे दंगा, आगजनी और हत्या के प्रयास में सजा दी गई।
नाबालिग का मामला किशोर न्यायालय में
एएसपी ऋजुल ने बताया कि पुलिस ने 44 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, जिनमें से पांच की मृत्यु हो चुकी है और एक नाबालिग का केस किशोर न्यायालय में विचाराधीन है। 30 जुलाई 2025 को कोर्ट ने 38 लोगों को हिंसा, आगजनी और हत्या के मामले में दोषी करार दिया। पांच लोगों पर इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या का आरोप सिद्ध हुआ, जबकि 33 अन्य पर दंगा और आगजनी जैसे अपराध साबित हुए।
जिला पंचायत सदस्य योगेश राज है मुख्य आरोपी
हिंसा को शांत करने के लिए पुलिस ने गोहत्या के आरोप में 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। सब-इंस्पेक्टर सुभाष सिंह ने हिंसा और हत्या की शिकायत दर्ज की। मुख्य आरोपी योगेश राज, जो वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य है, समेत 27 लोगों को नामजद किया गया था, जबकि 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ। जांच में 44 लोग ही आरोपी पाए गए।
16 लोगों के खिलाफ सबूत न मिलने पर उनका नाम हटा दिया गया। 44 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। साढ़े छह साल में पांच आरोपियों की मृत्यु हो गई। बचे 38 दोषियों में से चार जेल में हैं और 34 जमानत पर हैं। योगेश राज को सुप्रीम कोर्ट ने एक महीने पहले जमानत दी थी।