द लेंस डेस्क। कर्नाटक के हासन लोकसभा क्षेत्र से पूर्व सांसद और JD(S) नेता प्रज्वल रेवन्ना को अदालत से करारा झटका मिला है। यौन शोषण और बलात्कार के मामले में उसे दोषी ठहराया गया है। फैसला सुनते ही वह कोर्ट में रोने लगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रज्वल दोषी है, लेकिन सजा का ऐलान 2 अगस्त को होगा।
देवेगौड़ा परिवार के इस पूर्व सांसद पर कई महिलाओं के साथ यौन शोषण और बलात्कार के गंभीर आरोप थे। वह पिछले 14 महीनों से जेल में है। मामला तब सुर्खियों में आया जब उनका कई आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।
इसके बाद उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ और पुलिस ने उसे हिरासत में लिया। कोर्ट ने 26 गवाहों के बयान, मेडिकल रिपोर्ट्स और अन्य सबूतों के आधार पर फैसला सुनाया। जज संतोष गजानन भट ने कहा कि प्रज्वल बलात्कार के मामले में दोषी है।
इस मामले की सबसे खास बात यह रही कि केवल 14 महीनों में सुनवाई पूरी हो गई और कोर्ट ने फैसला सुना दिया। आमतौर पर ऐसे मामलों में सालों लग जाते हैं, लेकिन इस केस में कार्रवाई बहुत तेजी से हुई।
लोकसभा चुनाव में उछला था मामला
2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान, 26 अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान से पहले प्रज्वल के आपत्तिजनक वीडियो वायरल हुए थे। इसके बाद कर्नाटक राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष नागलक्ष्मी चौधरी ने जांच की मांग की और कांग्रेस सरकार को पत्र लिखा। सरकार ने तुरंत जांच के आदेश दिए थे।
प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ बलात्कार के मामले में एक साड़ी को अहम सबूत के तौर पर अदालत में प्रस्तुत किया गया। आरोप है कि पूर्व सांसद ने अपनी घरेलू सहायिका के साथ दो बार जबरदस्ती की। पीड़िता ने इस घटना का वीडियो रिकॉर्ड किया और उस साड़ी को भी सुरक्षित रखा, जो उसने उस दौरान पहनी थी।
जांच में साड़ी पर वीर्य के निशान मिले, जिससे मामला और पुख्ता हो गया। कोर्ट में इस साड़ी को निर्णायक साक्ष्य के रूप में रखा गया। प्रज्वल रेवन्ना पर भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए। अदालत कल सजा की अवधि पर फैसला सुनाएगी।
जांच में मिले 123 साक्ष्य
यह मामला मैसूरु के केआर नगर की एक घरेलू सहायिका की शिकायत पर सीआईडी साइबर क्राइम थाने में दर्ज हुआ था। आरोप है कि पूर्व सांसद ने पीड़िता के साथ बलात्कार किया और उसका वीडियो भी बनाया। सीआईडी की विशेष जांच टीम ने इसकी जांच की और लगभग 2,000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की। जांच के दौरान 123 साक्ष्य इकट्ठा किए गए।
जांच का जिम्मा सीआईडी इंस्पेक्टर शोभा और उनकी टीम ने संभाला। सुनवाई 31 दिसंबर 2024 को शुरू हुई, जिसमें 23 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। कोर्ट ने वीडियो क्लिप की फॉरेंसिक जांच और घटनास्थल की रिपोर्ट भी देखी। मुकदमे की सुनवाई सात महीने में पूरी हुई।
दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश संतोष गजानन भट्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। प्रज्वल के वकीलों ने कई बार जमानत की मांग की, लेकिन हर बार कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। कोर्ट का कहना था कि उसका प्रभावशाली परिवार केस को प्रभावित कर सकता है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी जमानत अर्जी ठुकरा दी थी।