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Home » Malegaon Case : साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित सहित सभी सात आरोपी बरी, जज ने कहा – ‘आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता’

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Malegaon Case : साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित सहित सभी सात आरोपी बरी, जज ने कहा – ‘आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता’

Poonam Ritu Sen
Last updated: August 1, 2025 2:00 am
Poonam Ritu Sen
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Malegaon Blast Case
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लेंस डेस्क। आज 31 जुलाई को 17 साल बाद मालेगांव बम धमाके (Malegaon Blast Case) मामले में मुंबई की विशेष NIA कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत और 101 लोग घायल हुए थे। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष इस मामले में पुख्ता सबूत पेश नहीं कर सका इसलिए सभी आरोपियों को संदेह का लाभ दिया गया।

न्यायाधीश एके लाहोटी ने अपने फैसले में कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और किसी को केवल धारणा के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने माना कि विस्फोट हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं हो सका कि धमाका मोटरसाइकिल पर रखे बम से हुआ या वह बाइक साध्वी प्रज्ञा की थी। इसके अलावा कर्नल पुरोहित के घर में विस्फोटक होने या अभिनव भारत संगठन द्वारा आतंकी गतिविधियों के लिए धन का उपयोग करने का भी कोई सबूत नहीं मिला। कोर्ट ने जांच में कई खामियां भी उजागर कीं, जैसे घटनास्थल का स्केच न बनाना और नमूनों में गड़बड़ी।

इस फैसले के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। पार्टी ने कहा कि कांग्रेस ने ‘भगवा आतंकवाद’ का झूठा नैरेटिव बनाकर साध्वी प्रज्ञा और अन्य आरोपियों को गलत तरीके से फंसाने की कोशिश की। बीजेपी ने इसे राजनीति से प्रेरित साजिश करार दिया। वहीं, पीड़ित परिवारों के वकील शाहिद नदीम ने फैसले पर असंतोष जताते हुए कहा कि वे इसे बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। कोर्ट ने पीड़ितों के परिवारों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये मुआवजे का आदेश भी दिया।

मालेगांव ब्लास्ट केस की शुरुआती जांच महाराष्ट्र एटीएस ने की थी जिसे 2011 में एनआईए को सौंप दिया गया। इस मामले में कुल 12 आरोपी थे जिनमें से पांच पहले ही बरी हो चुके हैं। बरी हुए आरोपियों में साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल हैं। यह मामला शुरू से ही संवेदनशील रहा, क्योंकि इसमें ‘हिंदू आतंकवाद’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल हुआ, जिस पर बीजेपी ने हमेशा आपत्ति जताई।

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पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की उत्सुकता पत्रकारिता की ओर खींच लाई। विगत 5 वर्षों से वीमेन, एजुकेशन, पॉलिटिकल, लाइफस्टाइल से जुड़े मुद्दों पर लगातार खबर कर रहीं हैं और सेन्ट्रल इण्डिया के कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अलग-अलग पदों पर काम किया है। द लेंस में बतौर जर्नलिस्ट कुछ नया सीखने के उद्देश्य से फरवरी 2025 से सच की तलाश का सफर शुरू किया है।
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