दरअसल इस देश ने विज्ञान और अनुसंधान को तिलांजलि ही दे दी है, वरना अतीत के तमाम अनुभवों के बाद तो कम से कम देश में एक ऐसा मॉडल खड़ा होता कि देश की राजधानी के एक प्रमुख स्टेशन – नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर भगदड़ में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ही 18 लोग ना मारे जाते ! मुद्दा आंकड़े नहीं हैं। मुद्दा है अतीत से सबक। मुद्दा है भीड़ प्रबंधन का विज्ञान और उस पर अमल, मुद्दा है एक ऐसा निकम्मा और अदूरदर्शी तंत्र जो प्रयागराज की ताजा घटना से भी सीख नहीं लेना जानता, मुद्दा है रेलवे की आपराधिक लापरवाही। जिम्मेदार कौन है ? क्या कोई मंत्री, कोई सरकार ? तय है कि ऐसा नहीं होने जा रहा है ! इस देश में जांच तो सिर्फ लीपापोती और राजनीतिक सुविधा–असुविधा का खेल रह गई है इसलिए न प्रयागराज हादसे की जिम्मेदारी तय हुई है, न नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में हुए हादसे में अपराध तय होने की कोई उम्मीद है। एक महत्वपूर्ण सवाल धर्म का भी है।आस्था की राह ने उन्माद और पागलपन का ऐसा दामन थाम लिया है कि इस तरह की दुर्भाग्यजनक मौतों को मोक्ष प्राप्ति का जरिए माना जाने लगा है। बाकायदा कथित धर्मगुरु ऐसा ज्ञान बांट रहे हैं और दुर्भाग्य से इसकी स्वीकार्यता भी नजर आती है। देश विज्ञान और अनुसंधान की राह से भटकता नजर आ रहा है और सब कुछ बाकायदा सत्ता की पसंद से है। यह स्थिति इस देश के भयावह भविष्य का संकेत हैं। ऐसी दुर्घटनाएं तो महज आंकड़ा रह जाएंगी।
हादसे और निकम्मा तंत्र
Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!
Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
Popular Posts
भारत ने रोका चिनाब का पानी, अब झेलम को रोकने की योजना
नई दिल्ली। पहलगाम आंतकी हमले के बाद देशभर में गुस्सा है। भारत ने सिंधु समझौता…
बेपरवाह नौकरशाही
एक संसदीय समिति ने अपनी संपत्ति के ब्योरे सार्वजनिक नहीं करने वाले आईएएस आधिकारियों के…
शेयर बाजार : सेंसेक्स 75000 से नीचे, निफ्टी भी फिसला
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में लगातार पांचवें दिन गिरावट जारी रही और बांबे स्टॉक…