नई दिल्ली। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर संसद में बहस खत्म हो गई है। लोकसभा की तरह राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने सदन को जवाब नहीं दिया। उनकी जगह गृहमंत्री अमित शाह ने सदन को जवाब दिया। राज्य सभा में पीएम के नहीं आने पर विपक्ष नाराज भी हुआ। राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सदन के सदस्य लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि 16 घंटे की चर्चा के बाद प्रधानमंत्री को सदन में आकर अपनी बात रखनी चाहिए और उठाए गए सवालों का जवाब देना चाहिए। parliament monsoon session 2025
खरगे ने स्पष्ट किया कि वे गृह मंत्री की क्षमता पर सवाल नहीं उठा रहे लेकिन प्रधानमंत्री का सदन में न आना सदन और इसके सदस्यों का अपमान है। जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस खरगे को महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोलने का मौका नहीं देती और अब वे मुद्दे उठा रहे हैं। खरगे ने पलटवार करते हुए कहा कि वे सदन में खेलने नहीं आए हैं और शाह प्रधानमंत्री को सदन में आने से रोकते हैं। शाह ने जिस पर जवाब दिया कि खरगे को पता है कि वे क्यों परेशान हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सालों तक आतंकवाद को खत्म करने के लिए कुछ नहीं किया और अब वे बहस में जवाब सुनने को तैयार नहीं हैं। इस पर विपक्ष नाराज हो गया और उसने कार्यवाही से वॉकआउट कर दिया।
इसके बाद अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने हमारे डीजीएमओ को फोन कर युद्ध रोकने को कहा है। तब जाकर युद्ध रुका।
इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि सिंधु जल संधि एक हैरान करने वाला समझौता है। उन्होंने बताया कि दुनिया में शायद ही कोई ऐसा समझौता हो जिसमें एक देश अपनी मुख्य नदियों का पानी बिना किसी नियंत्रण के दूसरे देश को दे दे। उन्होंने यह भी साफ किया कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को पूरी तरह बंद नहीं करता, तब तक यह संधि स्थगित रहेगी, क्योंकि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।
केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा में UPA सरकार पर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि 2005 के दिल्ली सीरियल बम धमाकों, 2006 के वाराणसी आतंकी हमले और मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोटों के बाद भी उस समय की सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उनका सवाल था कि उस दौर में भारत और पाकिस्तान के बीच आतंकवाद, व्यापार और पर्यटन सब कुछ साथ-साथ चलता रहा।
मनोज झा राज्यसभा में कहा, ‘पहलगाम में जो दुखद घटना हुई, वो पूरे देश की सामूहिक पीड़ा बन गई। हम इतिहास से सीख लेने में बार-बार चूक करते हैं, और इसके लिए संसद को माफी मांगनी चाहिए। खुफिया एजेंसियों के पास जानकारी थी, लेकिन उस पर क्या कार्रवाई हुई, ये सवाल उठता है।
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इस मुद्दे पर कल दोनों सदनों में जमकर बहस हुई। पक्ष विपक्ष ने एक दूसरे पर जमकर निशाना साधा। मंगलवार को संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा हुई। लोकसभा में यह बहस पहले शुरू हुई थी, जबकि राज्यसभा में दोपहर 2 बजे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी शुरुआत की। यह चर्चा रात 10 बजे तक चली। इसमें कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, जेडीयू सांसद संजय कुमार झा और कई अन्य सांसदों ने हिस्सा लिया।
पाकिस्तान के DGMO ने हमारे DGMO को फोन कर युद्ध रोकने कहा : अमित शाह
राज्यसभा में शाह ने कहा की ऑपरेशन सिन्दूर के बाद पाकिस्तान लड़ने की स्थिति में ही नहीं था। पाकिस्तान घुटनों के बल पर आया था। उनके DGMO ने हमारे DGMO को फोन किया था और युद्ध रोकने को कहा था। शाह ने ये भी कहा कि कांग्रेस के समय में जो आतंकी घटनाएं होती थीं तब हमें फोन आते थे कि क्या कार्रवाई हुई। उनके समय में जिन आतंकियों ने हमले किए उन्हें हमारे कार्यकाल के दौरान सैन्य ऑपरेशन में मारा गया। ऑपरेशन सिंदूर आतंकी के दिल पर हमला था। भारत ने पहली बार उनके सरहद में जाकर हमारी सेना ने पराक्रम दिखाया है। उनके लॉन्चिंग पैड खत्म किए। दुश्मन जब तक डर नहीं जाता या सुधर नहीं जाता कभी निर्णायक नतीजा नहीं आता। कांग्रेस ने तो कभी जवाब नहीं दिया। हमने जवाब दिया। खौफ पैदा हो गया है। उन्हें सपने में भी हमारी मिसाइलें दिखती होंगी। मैं देश ही जनता के सामने गर्व से कहता हूं कि हिंदू कभी टेररिस्ट नहीं हो सकता।
आतंकवाद को जड़ से उखाड़ेंगे : अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि 22 अप्रैल का दिन उनके जीवन में अविस्मरणीय है। उस दिन पहलगाम हमले के बाद वे दोपहर लगभग 2:30 बजे घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह दृश्य उनके मन में हमेशा रहेगा। शाह ने कहा कि आतंकियों ने इस हमले के जरिए यह संदेश देना चाहा कि कश्मीर आतंकवाद से मुक्त नहीं हो सकता। उन्होंने सदन के माध्यम से दो टूक जवाब दिया कि कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त कराकर ही दम लेंगे। विपक्ष द्वारा 24 अप्रैल को बिहार में प्रधानमंत्री मोदी की जनसभा पर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए शाह ने स्पष्ट किया कि वह कोई चुनावी सभा नहीं थी। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी ने उस दिन कहा था कि भारत हर आतंकी की पहचान करेगा उन्हें सजा देगा और न्याय सुनिश्चित करेगा। शाह ने जोर देकर कहा कि पीएम का हर शब्द सत्य साबित हुआ। पीएम ने आतंकियों के आकाओं को न छोड़ने की बात कही थी और सेना ने उनके इस संकल्प को पूरा कर दिखाया।
चिदंबरम किसे बचाने की कोशिश कर रहे : अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि चिदंबरम ने आतंकियों के पाकिस्तानी होने के सबूत मांगे। शाह ने पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम पर निशाना साधते हुए पूछा कि वे किसे बचाने की कोशिश कर रहे थे और क्या उन्हें इस पर शर्मिंदगी नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि चिदंबरम ने कांग्रेस की मानसिकता को पूरी दुनिया के सामने उजागर कर दिया। शाह ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार वोट बैंक की राजनीति के लिए आतंकियों को नहीं बख्शेगी।उन्होंने पृथ्वीराज चव्हाण के हालिया बयान का भी जिक्र किया, जिसमें चव्हाण ने ऑपरेशन के नाम को धर्म से जोड़ने की आलोचना की थी। शाह ने चव्हाण से सवाल किया कि वे ऑपरेशन का क्या नाम रखना चाहते थे। उन्होंने विपक्ष पर हर मुद्दे को हिंदू-मुस्लिम के चश्मे से देखने का आरोप लगाया और कहा कि सेना के युद्ध घोष को इस तरह के संकीर्ण दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए।
आईबी ने कैसे ट्रेस किया आतंकियों को ?
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जानकारी दी कि ऑपरेशन महादेव मे सुरक्षाबलों ने तीन आतंकियों सुलेमान, अफगान और जिबरान को मार गिराया। सुलेमान लश्कर-ए-तैयबा का ए-ग्रेड आतंकी था, जिसकी राइफल से पहलगाम हमले में गोलियां चलाई गई थीं। शाह ने कहा कि सुरक्षाबलों ने इन आतंकियों को देश से भागने नहीं दिया। अफगान और जिबरान भी लश्कर के शीर्ष आतंकी थे, जिससे साफ है कि पहलगाम हमला लश्कर के इशारे पर हुआ था। हमले के पीछे के मास्टरमाइंड और उसे अंजाम देने वाले सभी मारे गए। शाह ने बताया कि लश्कर ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी। उसी दिन वे घटनास्थल पर पहुंचे और समीक्षा बैठक में फैसला लिया गया कि आतंकियों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए और उन्हें देश छोड़कर भागने न दिया जाए।
ऑपरेशन महादेव के दौरान सुरक्षाबलों को खाली कारतूस मिले, जिनकी फोरेंसिक जांच की गई। साथ ही आतंकियों के पास से बरामद राइफलों की जांच से पुष्टि हुई कि पहलगाम हमले में इन्हीं हथियारों का इस्तेमाल हुआ था। उन्होंने आगे कहा कि आतंकियों के स्केच तैयार किए गए और जिस घर में वे छिपे थे, उसके मालिक से पूछताछ की गई। मालिक ने बताया कि तीनों आतंकी वहीं ठहरे थे और वहां से खाना लेकर गए थे। खुफिया एजेंसी IB ने 22 मई को आतंकियों की लोकेशन की जानकारी दी थी। IB और मिलिट्री इंटेलिजेंस ने मिलकर 22 जुलाई को उनकी सटीक लोकेशन ट्रैक की जिसके बाद सटीक कार्रवाई की गई। शाह ने कहा कि संयोग से तीनों आतंकियों के सिर में गोली लगी। उन्होंने बताया कि देशभर के लोग कहते थे कि आतंकियों को सिर में गोली मारनी चाहिए और ऐसा ही हुआ।
खड़गे और शाह के बीच राज्यसभा में तीखी बहस
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी के अनुपस्थित रहने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि सदन के सदस्य लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि 16 घंटे की चर्चा के बाद प्रधानमंत्री को सदन में आकर अपनी बात रखनी चाहिए और उठाए गए सवालों का जवाब देना चाहिए। खड़गे ने स्पष्ट किया कि वे गृह मंत्री की क्षमता पर सवाल नहीं उठा रहे लेकिन प्रधानमंत्री का सदन में न आना सदन और इसके सदस्यों का अपमान है। जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस खड़गे को महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोलने का मौका नहीं देती और अब वे मुद्दे उठा रहे हैं।खड़गे ने पलटवार करते हुए कहा कि वे सदन में खेलने नहीं आए हैं और शाह प्रधानमंत्री को सदन में आने से रोकते हैं। शाह ने जिस पर जवाब दिया कि खड़गे को पता है कि वे क्यों परेशान हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सालों तक आतंकवाद को खत्म करने के लिए कुछ नहीं किया और अब वे बहस में जवाब सुनने को तैयार नहीं हैं।
अमित शाह के भाषण पर हंगामा, विपक्ष की मांग इस मुद्दे पर पीएम दें जवाब
ऑपरेशन सिंदूर पर समापन भाषण देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा पाकिस्तानी आतंकवादियों के द्वारा किए गए हमले पर भारतीय सेना ने जबरदस्त जवाब दिया है और इस पर सदन पर चर्चा की गई। जैसे ही अमित शाह ने बोलना शुरू हुआ सदन में हंगामा शुरू हो गया जिसके जवाब में अमित शाह ने कहा कि पीएम को सुनने का ज्यादा शौक है क्या?अमित शाह ने अपने भाषण में कहा कि हमले में पर्यटकों को धर्म पूछ कर चुन चुन कर मर गया, ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब पाकिस्तान ने गोलीबारी की तो उसे गोलीबारी में कुछ नागरिक हताहत हुए हैं, उन नागरिकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। इसके अलावा ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन महादेव के दौरान जिन सेना के लोगों ने अपना कर्तव्य पूरा किया है मैं उस पर गर्व महसूस करता हूं।
विपक्ष ने किया वॉकआउट
विपक्ष के शोर के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री को सुनने का बहुत शौक है क्या? पहले मेरे से निपट लो, पीएम को कहां बुलाओगे। इस पर विपक्ष भड़क गया। तब मल्लिकार्जुन खरगे ने खड़े होकर कहा कि पीएम का यहां नहीं आना संसद का अपमान है। शाह के संबोधन के बीच में ही विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
पहलगाम हमले पर क्या नेहरू, ट्रम्प या वेंस इस्तीफा देंगे? : संजय राउत
शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने तंज कसते हुए राज्यसभा में पूछा कि पहलगाम हमले की जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या पंडित नेहरू, ट्रम्प या वेंस इस्तीफा देंगे? उन्होंने मांग की कि गृह मंत्री शाह को इस्तीफा देना चाहिए। राउत ने कहा कि 24 घंटे में उपराष्ट्रपति का इस्तीफा मांग लिया जाता है लेकिन 26 लोगों की हत्या के बावजूद न कोई इस्तीफा देता है और न ही कोई माफी मांगता है। राउत ने आगे कहा कि सरदार पटेल को प्रधानमंत्री न बनाना एक ऐतिहासिक गलती थी। पटेल ने ही सबसे पहले RSS पर प्रतिबंध लगाया था। अगर सरदार पटेल कुछ साल और जीवित रहते तो आज कुछ लोग सत्ता में नजर नहीं आते। उन्होंने यह भी कहा कि पंडित नेहरू के योगदान की वजह से ही आज वर्तमान नेता अपनी कुर्सी पर बैठे हैं।
एक चुटकी सिन्दूर की कीमत पीएम क्या जानें : सांसद रेणुका चौधरी
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा ‘मोदी जी एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो? कल एक इंटरव्यू में शुभम द्विवेदी की पत्नी ने कहा कि पीएम ने सभी चीजों के बारे में बोला लेकिन मारे गए 26 लोगों के बारे में कुछ नहीं कहा। अब मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि आप सिंदूर की कीमत क्या जानते हो ।
जम्मू-कश्मीर को छोड़कर बाकी देश में अब आतंकी हमले रुक गए : नड्डा
केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा में UPA सरकार पर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि 2005 के दिल्ली सीरियल बम धमाकों, 2006 के वाराणसी आतंकी हमले और मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोटों के बाद भी उस समय की सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उनका सवाल था कि उस दौर में भारत और पाकिस्तान के बीच आतंकवाद, व्यापार और पर्यटन सब कुछ साथ-साथ चलता रहा। नड्डा ने आगे कहा कि हमें उस समय की सरकार की तुष्टिकरण वाली नीतियों को समझना होगा। 2008 में इंडियन मुजाहिदीन के जयपुर बम धमाकों के बावजूद भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्तों को बेहतर करने के लिए खास कदम उठाए गए। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि एक तरफ आतंकवादी गोलियां चला रहे थे और दूसरी तरफ हम उन्हें बिरयानी खिलाने की सोच रहे थे। इतना ही नहीं, उस सरकार ने LoC पार करने के लिए ट्रिपल-एंट्री परमिट तक की मंजूरी दे दी थी। नड्डा ने विपक्ष के दौर पर भी निशाना साधा और बताया कि 31 दिसंबर 2008 को रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हमले के बाद पकड़े गए आतंकी शाहबुद्दीन को छुड़ाने के लिए उस समय की यूपी सरकार ने कोशिश की थी। नड्डा ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर को छोड़कर बाकी देश में अब आतंकी हमले रुक गए हैं।
मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के बाद UPA सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया : जेपी नड्डा
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राज्यसभा में कहा कि पहलगाम हमले के तुरंत बाद हमारे गृह मंत्री अमित शाह तत्काल कश्मीर पहुंचे थे वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी विदेश यात्रा बीच में ही छोड़ देश लौट आए थे। विपक्ष को पहलगाम में पूछने से पहले अपने गिरेबां पर झांकना चाहिए। इन्होंने क्या-क्या किया। जब ये सरकार में थे तो श्रमजीवी बम ब्लास्ट में कोई एक्शन नहीं लिया। इन्होंने 2005 में मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के बाद कोई एक्शन नहीं लिया। इसके बाद भी UPA सरकार की पाकिस्तान के साथ व्यापार चलता रहा और बातचीत चलती रही।
मनोज झा: नेहरू आज भी चर्चा में, कुछ तो होगा खास
मनोज झा राज्यसभा में कहा ‘पहलगाम में जो दुखद घटना हुई, वो पूरे देश की सामूहिक पीड़ा बन गई। हम इतिहास से सीख लेने में बार-बार चूक करते हैं, और इसके लिए संसद को माफी मांगनी चाहिए। खुफिया एजेंसियों के पास जानकारी थी, लेकिन उस पर क्या कार्रवाई हुई, ये सवाल उठता है। राष्ट्रीय सुरक्षा सिर्फ नारा नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी है। जब देश पर कोई मुसीबत आती है, हम सब एकजुट हो जाते हैं, लेकिन सैन्य सेवा और राजनीतिक नेतृत्व में फर्क समझना जरूरी है।पहलगाम में हुए आतंकी हमले में ऐसा कहा गया कि हमलावरों ने धर्म के आधार पर निशाना साधा न कि जाति का। उनकी मंशा नफरत फैलाने की थी, और इसमें वे कामयाब भी हुए, हालांकि भारत सरकार ने इस दावे को खारिज कर दिया। प्रधानमंत्री ने संसद में कहा कि वे भारत का पक्ष रखने आए हैं, और ये संसद हर किसी की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत का पक्ष अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से उठाया जाना चाहिए। सवाल भारत माता से नहीं बल्कि सरकार से हैं। कुछ लोग हर मुद्दे पर नेहरू जी का नाम लेते हैं लेकिन अगर नेहरू आज भी चर्चा में हैं तो शायद उनकी सोच में कुछ खास था।’
यूट्यूब पर मौजूद हैं आतंकवादियों से जुड़े सबूत :विदेश मंत्री
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सवाल उठाने वालों को जवाब देते हुए तीन अहम बातें बताईं। पहली, यूट्यूब पर कई वीडियो उपलब्ध हैं, जिनसे पता चलता है कि पाकिस्तान के कितने आतंकी मारे गए और उनके अंतिम संस्कार में कौन-कौन शामिल हुआ। दूसरी, पाकिस्तान को हुए नुकसान के सबूत मौजूद हैं, खासकर उनके एयरबेस की खराब हालत इसका गवाह है। तीसरी, पूरी दुनिया जानती है कि बहावलपुर और मुरीदके आतंकवाद के अड्डे हैंऔर भारत ने ऑपरेशन सिन्दूर में इन ठिकानों को नष्ट कर दिया।
22 अप्रैल से 16 जून तक ट्रम्प मोदी के बीच फोन पर कोई बात नहीं : एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राज्यसभा में बोलते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश से सीधे कहा कि वे ध्यान से सुन लें.. 22 अप्रैल से 16 जून तक प्रधानमंत्री मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कोई फोन पर बात नहीं हुई। जयशंकर ने ये भी कहा कि पहले भारत में आतंकी हमले होते थे फिर भी हम पाकिस्तान से बातचीत शुरू कर देते थे जिससे दुनिया हमें गंभीरता से नहीं लेती थी। उन्होंने यह भी बताया कि भारत सीमा पार से होने वाले आतंकवाद का सामना कर रहा है और दुनिया में शायद ही कोई दूसरा देश हो जो ऐसी आतंकी घटनाओं से इतना प्रभावित हो।
जयशंकर बोले- खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि सिंधु जल संधि एक हैरान करने वाला समझौता है। उन्होंने बताया कि दुनिया में शायद ही कोई ऐसा समझौता हो जिसमें एक देश अपनी मुख्य नदियों का पानी बिना किसी नियंत्रण के दूसरे देश को दे दे। यह एक असामान्य समझौता था और इसे स्थगित करने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि इसका ऐतिहासिक संदर्भ महत्वपूर्ण है। जयशंकर ने कहा कि कुछ लोग इतिहास को भूलना चाहते हैं क्योंकि यह उनके अनुकूल नहीं है। उन्होंने यह भी साफ किया कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को पूरी तरह बंद नहीं करता, तब तक यह संधि स्थगित रहेगी, क्योंकि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चल रही चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा है कि संसद का यह सत्र भारत के गौरवगान का सत्र है। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर भी करारा प्रहार किया है। उन्होंने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर को पूरी दुनिया का समर्थन मिला, लेकिन कांग्रेस का नहीं। इस दौरान पीएम मोदी ने यह भी कहा है कि यह सब कर के कांग्रेस को मीडिया की हेडलाइंस तो मिल जाएंगी, लेकिन वे लोगों के दिलों में कभी जगह नहीं बना पाएंगे। इसके साथ ही लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस खत्म हो गई।
अमित शाह ने दी ऑपरेशन महादेव की जानकारी
इससे पहले दिन में, गृह मंत्री अमित शाह ने सदन को ऑपरेशन महादेव के बारे में जानकारी दी, जिसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस, भारतीय सेना और सीआरपीएफ के संयुक्त अभियान में तीन आतंकवादी, सुलेमान उर्फ (फैजल जाट), अफगान और जिबरान मारे गए।
यह चर्चा पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद की सैन्य प्रतिक्रिया पर तीन दिवसीय बहस का हिस्सा है, जो एक सप्ताह तक संसद में व्यवधान के बाद शुरू हुई है।
भाजपा और उसके सहयोगियों ने जहां पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्कों को कड़ी और निर्णायक प्रतिक्रिया देने के लिए मोदी सरकार की प्रशंसा की, वहीं उन्होंने सशस्त्र बलों का मनोबल कथित रूप से कमजोर करने के लिए विपक्ष की आलोचना भी की।
विपक्षी दलों का पलटवार, मल्लिकार्जुन का तंज
इसके विपरीत, विपक्षी दलों ने पहलगाम हमले के पीछे सुरक्षा चूक पर सवाल उठाते हुए पलटवार किया। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम के दावों की ओर भी इशारा किया, सरकार से स्पष्टता की माँग की और आतंकी हमले के पीछे के लोगों को पकड़ने में नाकाम रहने के लिए खुफिया तंत्र की आलोचना की।
राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले को लेकर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने अपनी बात रखते हुए पीएम मोदी पर तंज कसा। उन्होंने भाजपाई नेताओं पर पीएम मोदी को भगवान बनाने का आरोप लगाया। कहा कि जैसे हमारे गांवों में गाय को सरकारी जमीन पर चारा खाने छोड़ देते हैं, वैसा उन्हें चरने के लिए मत छोड़ो। खरगे के तंज पर बगल में बैठी सोनिया गांधी भी मुस्कुराने लगीं। विपक्षी सांसदों ने ठहाके लगाने शुरू कर दिए।
चिदंबरम ने कहा समय बताएगा
कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने मंगलवार को ऑपरेशन सिंदूर के बाद ‘संघर्ष विराम’ पर सहमत होने के लिए सरकार पर हमला बोला।
उन्होंने उच्च सदन में कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के परिणाम, यदि आप मुझसे पूछेंगे कि क्या ऑपरेशन सिंदूर सशक्त था, तो मैं कहूंगा हां। ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा या नहीं, मैं कहूंगा हां। यदि आप मुझसे पूछेंगे कि क्या यह निर्णायक था, तो मैं केवल यही कहूंगा कि समय ही बताएगा।”