नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र आज भले ही हंगामेदार रहा हो। कई मुदों पर पक्ष-विपक्ष की राय एक भले ही न बन पाई हो, लेकिन कैश कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर सभी एकमत दिखाई दिए। लोकसभा के 145 सांसदों ने जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए एक पिटीशन सबमिट कर दी है। राज्यसभा के 63 सांसदों ने भी ऐसी ही पेटीशन दी है, यानी कि यशवंत वर्मा को हटाने की तैयारी पूरी हो चुकी है।
महाभियोग प्रस्ताव के लिए संसद के दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों को पत्र सौंपा गया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को 145 सांसदों के हस्ताक्षर वाला एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग की गई है। इनमें इसमें विपक्षी नेता राहुल गांधी, के केसी वेणुगोपाल, के सुरेश, एनसीपी पवार गुट की सुप्रिया सुले, डीएमके के टीआर बालू, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन और आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर जैसे कई दिग्गज नेताओं के नाम शामिल हैं। वहीं सत्ता पक्ष भाजपा के रविशंकर प्रसाद, अनुराग ठाकुर समेत कई अन्य सांसदों के नाम हैं।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को भी सांसदों ने ऐसा ही एक पत्र दिया है। विपक्षी दलों के नेताओं ने दोपहर 2 बजे लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर महाभियोग प्रस्ताव के समर्थन में पत्र सौंपा। इस तरह, महाभियोग की मांग करने वाले सांसदों की संख्या अब 145 हो गई है। राज्यसभा में भी सभापति धनखड़ को ऐसा पत्र दिया गया है।
इससे पहले, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को जानकारी दी थी कि 100 से अधिक सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव के समर्थन में हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा था कि सांसदों से हस्ताक्षर एकत्र किए जा रहे हैं और यह संख्या 100 को पार कर चुकी है। अब यह स्पष्ट हुआ है कि 145 सांसदों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। जब उनसे पूछा गया कि महाभियोग की प्रक्रिया कब शुरू होगी, तो रिजिजू ने कहा कि यह केवल सरकार का काम नहीं है, बल्कि सभी दलों की सहमति से यह प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।