रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा खुलासा किया है। ED ने प्रेस रिलीज जारी कर बताया है कि चैतन्य बघेल को घोटाले के पैसों से 16.70 करोड़ रूपए मिले थे। इन पैसों को रियल स्टेट में इन्वेस्ट किया गया है। चैतन्य बघेल को अन्य आरोपियों से नगद में यह पैसे उपलब्ध कराए जाते थे। Liquor Scam CG
ईडी के द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज में बताया गया है कि ED, रायपुर क्षेत्रीय कार्यालय ने शराब घोटाला मामले में पीएमएलए के तहत 18 जुलाई को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया गया है। उन्हें विशेष न्यायालय रायपुर के समक्ष पेश किया गया और माननीय न्यायालय ने 5 दिनों के लिए यानी 22 जुलाई तक ईडी की हिरासत प्रदान की है।
ईडी ने छत्तीसगढ़ राज्य में शराब घोटाले में आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत एसीबी/ईओडब्ल्यू, रायपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा दर्ज FIR के आधार पर जांच शुरू की। पुलिस जांच से पता चला है कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और लाभार्थियों की जेबें 1.5 करोड़ रुपये से अधिक की भर गईं। अनुसूचित अपराधों के कारण 2500 करोड़ रुपये की अपराध आय यानी प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट अर्जित हुई।
ईडी की जांच में पता चला है कि चैतन्य बघेल को 16.70 करोड़ रुपये के POC मिले थे। उन्होंने उक्त पीओसी को आपस में मिलाने के लिए अपनी रियल एस्टेट फर्मों का इस्तेमाल किया था। यह पता चला है कि उन्होंने पीओसी की उक्त नकद राशि का इस्तेमाल अपनी रियल एस्टेट परियोजना के विकास में किया था। पीओसी का इस्तेमाल अपनी परियोजनाओं के ठेकेदारों को नकद भुगतान, नकदी के बदले बैंक प्रविष्टियां आदि के माध्यम से किया गया था।
उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों नामक व्यक्ति के साथ भी सांठगांठ की और अपनी कंपनियों का इस्तेमाल एक योजना तैयार करने के लिए किया जिसके तहत उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के कर्मचारियों के नाम पर अपने “विट्ठलपुरम प्रोजेक्ट” में फ्लैट खरीदने की आड़ में अप्रत्यक्ष रूप से 5 करोड़ रुपये प्राप्त किए। बैंकिंग ट्रेल से पता चलता है कि लेनदेन की संबंधित अवधि के दौरान, त्रिलोक सिंह ढिल्लों ने अपने बैंक खातों में शराब सिंडिकेट से भुगतान प्राप्त किया था।
इसके अलावा, यह भी पाया गया कि उन्होंने शराब घोटाले से उत्पन्न 1000 करोड़ रुपये से अधिक के पीओसी को भी संभाला था। वह छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन कोषाध्यक्ष को पीओसी हस्तांतरित करने के लिए अनवर ढेबर और अन्य के साथ समन्वय करता था। ईडी द्वारा की गई जांच से पता चला है कि इस शराब घोटाले से प्राप्त धनराशि को आगे निवेश के लिए बघेल परिवार के प्रमुख सहयोगियों को भी सौंप दिया गया था। इस धनराशि के अंतिम उपयोग की आगे जांच की जा रही है।
इससे पहले, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा , अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, आईटीएस अरुण पति त्रिपाठी और विधायक कवासी लखमा को ईडी ने इस मामले में गिरफ्तार किया था।
