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Home » बिहार : जंगल राज का सच चुनावी बिगुल या बदहाल कानूनी व्यवस्था को आईना

लेंस रिपोर्ट

बिहार : जंगल राज का सच चुनावी बिगुल या बदहाल कानूनी व्यवस्था को आईना

Rahul Kumar Gaurav
Last updated: July 19, 2025 1:45 pm
Rahul Kumar Gaurav
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bihar katha
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 जुलाई को एक बार फिर बिहार दौरा हुआ। इससे एक दिन पहले यानी 17 जुलाई को पूरे बिहार में हत्या के पांच मामले दर्ज किए गए। हत्या की ये पांचों घटनाएं बिहार के अलग-अलग जिले में घटी है। पटना, दानापुर, मधेपुरा, सासाराम और खगड़िया। अगर पिछले 17 दिन के आंकड़ों को देखा जाए, तो पूरे बिहार में लगभग 50 से ज्यादा हत्याएं हुई हैं। इसके बाद विपक्ष खुलकर बोलने लगा है कि ‘बिहार क्राइम कैपिटल’ बन चुका है।

खबर में खास
अचानक अपराध और जंगलराज की बात क्यों?मोदी को योगी स्टाइल में न्याय करना चाहिएआपराधिक घटना बड़ी घोषणा पर पानी देर दे रहीबिहार में ‘हत्या का मौसम’ चल रहापक्ष और विपक्ष के नेता की सुनिए

हत्या की इन घटनाओं में एक मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। पटना के मशहूर राजा बाजार में स्थित प्रसिद्ध पारस अस्पताल में घुसकर अपराधियों ने एक हत्या को अंजाम दिया गया। पटना के बताते हैं कि इस अस्पताल में मरीज से मिलने के लिए परिजनों को मशक्कत करनी पड़ती है। बिना जांच के अस्पताल में किसी को जाने नहीं दिया जाता है। ऐसे में वहां पांच अपराधी घुसकर गोली मारकर चले जाते हैं और पुलिस को कई घंटे तक सुराग तक नहीं मिलता है। हालांकि 19 जुलाई को खबर आती है कि 6 संदिग्धों को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार कर दिया गया है।

जानकर हैरानी होगी कि पारस हॉस्पिटल से सिर्फ 200 मीटर पर हेड क्वार्टर और थाना हॉस्पिटल है। सोशल मीडिया पर वायरल मर्डर के वीडियो को देखिए। आपको देखकर ताज्जुब होगा कि यह सीन गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म का है या ‘सुशासन बाबू’ के बिहार का! जहां पांच बदमाश एक अस्पताल में भर्ती गैंगस्टर चंदन मिश्रा की हत्या कर करके फरार हो गए।

इससे कुछ दिन पहले राजधानी पटना में एक उद्योगपति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। आम लोगों से बात करने पर साफ पता चलता है कि इस मामले ने पटना ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार में खौफ का माहौल पैदा कर दिया है। आम लोग सोचने को मजबूर हैं कि जिस राजधानी पटना में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और डीजीपी रहते हों और वहां ऐसा बुरा हाल है, तो और जगहों का क्या ही होगा?

17 जुलाई को ही बिहार के खगड़िया में सत्तारूढ़ पार्टी जेडीयू नेता राजकिशोर निषाद की हत्या भी हुई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अपराधियों इस वारदात को अंजाम देने के लिए लोहे की रॉड का इस्तेमाल किया है।

यह “गैंग ऑफ़ वासेपुर” का सीन नहीं है ।

यह पटना के हॉस्पिटल का सीन है। जहाँ क्रिमिनल हाथ में पिस्टल लिए आराम से मरीज के रूम में जाता है।उसे गोली मारता है और आराम से निकल जाता है। pic.twitter.com/qCPFdSw5Ol

— Narendra Nath Mishra (@iamnarendranath) July 17, 2025

अचानक अपराध और जंगलराज की बात क्यों?

क्या बिहार में चुनाव की वजह से अचानक अपराध की बातें होने लगी है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हम आंकड़े की कहानी देखते हैं। बीते 20 साल में 278 दिनों के अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रहें हैं। गृह मंत्रालय भी उन्हीं के पास है। वर्ष 2005 से 2010 के बीच बिहार में कानून व्यवस्था बेहतर थी जिस वजह से नीतीश को सुशासन बाबू कहां जाने लगा। फिर पूरी कहानी धीरे-धीरे बदलने लगी।

SCRB यानी राज्य अपराध इकाई ब्यूरो के आंकड़े को देखें तो बिहार में इस साल यानी 2025 में 1376 हत्या की घटनाएं हो चुकी हैं यानी हर महीने औसतन 229 हत्या हो रहे हैं। 2024 के आंकड़े के मुताबिक हर महीने औसतन 232 हत्या की वारदात हुई थीं और 2023 में 239 हत्या हर महीने हुईं। वहीं NCRB के आंकड़ों के मुताबिक 2022 में मर्डर के मामले में बिहार देश में दूसरे नंबर पर और अपहरण के मामले में तीसरे नंबर पर था।

जेएनयू दिल्ली से पढ़े सुप्रीम कोर्ट के वकील सुनील कुमार बिहार के रहने वाले है। वह बताते हैं कि, “बिहार में हो रहे असली अपराध की जड़ जमीन संबंधी वारदात हैं। पिछले कई महीनों में हुई बड़ी से बड़ी वारदात जमीन विवाद से जुड़ी हुई है। जनसंख्या घनत्व डेटा के अनुसार बिहार सबसे घनी आबादी वाला राज्य है। यानी भूमि की उपलब्धता बहुत कम है। इस वजह से बिहार में जमीन विवाद के मामले हर साल बड़ी संख्या में दर्ज होते हैं। इसलिए कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भूमि सर्वेक्षण करवाया जा रहा था। लेकिन बिहार में जमीन से जुड़े कागजात की स्थिति इतनी पेचीदा हैं कि सर्वे को रोकना पड़ा था। जमीन की लड़ाई लड़ने के लिए ताकत की जरूरत होती है। बिहार में वह ताकत सिर्फ नेता और अमीर वर्ग के पास है।”

दिसम्बर 2020 में सामने आए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक बयान के मुताबिक बिहार में 60% क्राइम जमीन विवाद के कारण होता है। बिहार में जमीन विवाद का इतिहास काफी पुराना है। बिहार में भूमि अधिकारों को लेकर 2000 ईस्वी के अंत तक कई नरसंहार हुए है। यह सिलसिला आज भी जारी है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में भूमि या संपत्ति के विवाद में 2021 में 1051, 2020 में 815, 2019 में 782, 2018 में 1016 और 2017 में 939 हत्याएं हुईं हैं।

वहीं रिटायर्ड सरकारी अधिकारी और लेखक अरुण कुमार झा बताते हैं कि, “जमीन विवाद के अलावा बिहार में शराबबंदी भी क्राइम की मुख्य वजह है। शराबबंदी का सच सबको पता है। अधिकांश अपराधी इस व्यवसाय में लिप्त है। आम आदमी तो छोड़िए पुलिस वाला सुरक्षित नहीं है। शराब का अवैध धंधा करने वालों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि वे छापा मारने वाली पुलिस टीम पर बेखौफ पलटवार कर रहे हैं।” गौरतलब है कि जून 2025 को बिहार के सीतामढ़ी जिले में अपराधियों ने तीन पुलिस वालों को ऐसा हमला किया कि उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा।

मोदी को योगी स्टाइल में न्याय करना चाहिए

चुनाव से पहले बिहार में अपराध और ‘जंगल राज’ की बात उद्योगपति गोपाल खेमका हत्याकांड से उठने लगी है। सात साल पहले 2018 में गोपाल खेमका के बेटे को भी अपराधियों ने मार डाला था। इस घटना ने सबसे ज्यादा असर व्यापारी वर्ग पर डाला है। कई व्यापारी निजी गार्ड रख रहे हैं और बंदूक लाइसेंस के लिए आवेदन कर रहे हैं।

नालंदा के एक व्यापारी पटना में कई सालों से बिल्डिंग मटेरियल सामान का व्यापार कर रहे है। वह नाम ना बताने की शर्त पर कहते हैं कि, “नीतीश सरकार वादे के मुताबिक बड़े उद्योग स्थापित करने में नाकाम रही है। अब नए स्थापित उद्योग स्थापित करने पर भी खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि अब व्यापारियों को खुलेआम निशाना बनाया जा रहा है। नीतीश कुमार को योगी की तरह क्रिमिनल का एनकाउंटर करना पड़ेगा। तभी बेहतर बिहार बन पाएगा।”

डीजीपी ऑफिस बिहार की रिपोर्ट के मुताबिक नीतीश कुमार के 2005 में सत्ता में आने के समय राज्य में 1.04 लाख संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए थे। 2020 तक, यह आँकड़ा दोगुने से भी ज़्यादा बढ़कर 2.5 लाख हो गया। मई 2025 तक, राज्य में 1.5 लाख से ज़्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं।

कई विशेषज्ञों के मुताबिक गरीबी और भ्रष्टाचार इसका मूल कारण है। घनी आबादी वाले राज्य में अगर बेरोजगारी होगी तो क्राइम रेट बढ़ेगा।

आपराधिक घटना बड़ी घोषणा पर पानी देर दे रही

पत्रकार रवीश कुमार इस पूरी घटना पर लिखते हैं, “क्या इसके लिए किसी का इस्तीफा मांगा जा रहा है? जंगलराज वगैरह? पटना में पंद्रह दिन में 13 हत्या हुई है । क्या बीजेपी इसके विरोध में प्रदर्शन नहीं कर सकती है? अगर यही वीडियो कोलकाता से होता तो? कुछ तो हुआ है बिहार में कि सब कुछ हाथ से निकलता दिख रहा है। अब पता चल रहा है कि गोदी मीडिया को मैनेज कर लेने से देश वाकई सोने की चिड़िया बन जाता है।“

एक नामी पीआर एजेंसी में क्रिएटिव हेड के तौर पर काम कर रहे दीपक कुमार इस पूरे मुद्दे पर कहते हैं, “चुनाव को लेकर सत्ताधीश पार्टी बड़ी-बड़ी घोषणा कर रही है। लेकिन इस तरह की आपराधिक घटना बड़ी-बड़ी घोषणा पर पानी फेर दे रही हैं। मीडिया पर ना सही लेकिन सोशल मीडिया पर इसका काफी असर देखने को मिल रहा है। गौरतलब है कि 17 जुलाई 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक्स पर लिखा, 1 अगस्त, 2025 से राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक बिजली का कोई पैसा नहीं देना पड़ेगा।”

विपक्ष खासकर राजद के समर्थक मानते हैं कि इस पूरे मुद्दे को जितना सोशल मीडिया पर जगह मिल रही है, उतनी कथित मेन स्ट्रीम मीडिया में नहीं। दानापुर के रहने वाले सन्नी यादव कहते हैं, “भाजपा-नीतीश सरकार ना होकर इंडिया गठबंधन के तेजस्वी यादव की सरकार होती, तो पूरा मीडिया चिल्ला-चिल्ला कर तेजस्वी जी का इस्तीफा तो मांग रहा होता, गला फाड़ डिबेट कर रहा होता। बीजेपी और नीतीश कुमार बिहार में जंगलराज ख़त्म कर सुशासन लाने का दावा कर सरकार में आए थे, लेकिन जंगल राज खत्म करना या सुशासन लाना तो दूर की बात है, उन्होंने पहले से ज़्यादा बड़ा जंगल राज कायम कर दिया है।”

बिहार में ‘हत्या का मौसम’ चल रहा

बिहार पुलिस अधिकारी कह रहे हैं कि बिहार में ‘हत्या का मौसम’ चल रहा है। जी हां! बिहार में बढ़ रहे अपराध को लेकर बिहार के एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने किसानों को ही बढ़ते अपराधों का जिम्मेदार ठहरा दिया! वह कहते हैं कि मानसून से पहले जब किसान खेती नहीं कर रहे होते, तब वे हत्या करने निकल जाते हैं! सोचिए यह एक अधिकारी की भाषा है। बिहार के भागलपुर जिला स्थित किसान संघ से जुड़े गिरधारी मिश्रा कहते हैं कि, “अपराधियों को पकड़ नहीं सकते, और इल्ज़ाम उन पर जो अन्न उगाते हैं? किसान इज़्ज़त के हकदार हैं, ना कि डरपोक नेताओं की ये थर्ड क्लास बकवास सुनने के!”

बिहार में बढ़ते क्राइम पर राज्य के टॉप पुलिस अफसर का तर्क-

"मई-जून में ज्यादा मर्डर होते हैं, किसानों के पास काम नहीं होता, इसलिए ज्यादा क्राइम होता" pic.twitter.com/E5W2bTiFmC

— Narendra Nath Mishra (@iamnarendranath) July 17, 2025

पेशे से शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता इंद्र नारायण सिंह इस पूरे मुद्दे पर कहते हैं कि, “एडीजी के किसान पर इस बयान के बाद बिहार के एक भी किसान नेता की तरफ से बयान नहीं आया है। सोचिए यह बयान अगर पंजाब या हरियाणा के किसानों के लिए बोला गया होता, तो वह किस तरह सड़क पर रहते। इससे पता चलता है कि बिहार में किसान संगठन कितने कमजोर हैं।”

एडीजी के इस बयान के बाद बिहार कांग्रेस ने सोशल मीडिया के माध्यम से पूछा है कि क्या बिहार के किसान अपराधी हैं? क्या बिहार में हो रही हत्या और बलात्कार हमारे किसान कर रहे हैं? क्या गोपाल खेमका जी की हत्या किसानों ने की? किसान इस देश-प्रदेश को भोजन देकर जीवन देते हैं, मौत नहीं।

कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े सुपौल के रहने वाले अमित कुमार कहते हैं, “बेलगाम अपराध पर लगाम लगाने के बजाय अपराधियों को संरक्षण देने वाली सरकार के पुलिस के आलाधिकारी की इस अजीबोगरीब दलील से प्रतीत होता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ-साथ अधिकारियों का मानसिक संतुलन भी बिगड़ चुका है।”

पक्ष और विपक्ष के नेता की सुनिए

इस पूरी घटना के बाद सत्तारूढ़ पार्टी के बिहार के दो केंद्रीय मंत्री का बयान काफी वायरल हो रहा है। पहला है, मोदी सरकार में मंत्री ललन सिंह का। उन्होंने कहा है कि, “ये सब क्राइम थोड़े है, ये तो छोटे-मोटे आपसी विवाद हैं। ये सब होता रहता है।“ ललन सिंह के इस बयान की सोशल मीडिया पर काफी निंदा हो रही है।

वहीं केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा है कि, “बिहार में कानून व्यवस्था आज एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। प्रतिदिन हत्याएं हो रही है, अपराधियों का मनोबल आसमान पर है।”

पहले राज्य में कितने अपहरण होते थे? … आपसी विवाद में घटनाएं होती हैं -ललन सिंह #BiharElections2025
pic.twitter.com/8C57cgvq5Y

— Mukesh singh (@Mukesh_Journo) July 17, 2025

राज्यसभा सांसद मनोज लिखते हैं कि, “पारस अस्पताल में हुई संगीन हत्या उस शृंखला का हिस्सा है, जिसमें बिहार में लगातार बढ़ती हत्याओं की घटनाएं बिहार के लिया ‘नया सामान्य’ गढ़ा जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार राज्य में हर दिन एक से अधिक हत्या हो रही है। यह कोई सामान्य बात नहीं है। यह इस बात का स्पष्ट संदेश है कि अपराधी अब बेखौफ हैं और मान बैठे हैं कि बिहार और यहाँ की शासन व्यवस्था पर उनका ही नियंत्रण है।”

कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार लिखते हैं कि, “बिहार में अबकी मानसून में पानी से ज्यादा गोली बरस रही है। पटना के पारस अस्पताल में अपराधियों ने आईसीयू में घुसकर हत्या कर दी। कोई ऐसा दिन नहीं, जब बिहार में कहीं न कहीं गोलियां ना चली हो।ये डबल इंजन बेकार और बीमार हो गई है, बिहार को इसे बदलना होगा, ये गूNDA-राज खत्म करना होगा।”

वहीं पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने राज्यपाल से मुलाकात की और बिहार में खराब होती कानून व्यवस्था के नाम पर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।

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