रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने बांग्लादेशी अवैध घुसपैठियों के नाम पर भाजपा सरकार के बांग्ला भाषियों को ही निशाना बनाकर चलाए जा रहे अभियान को अमानवीय बताया। कोंडागांव में पश्चिम बंगाल के 9 मजदूरों को बांग्लादेशी समझ कर गिरफ्तार करने के मामले में माकपा ने एक बयान जारी किया है।
माकपा राज्य समिति ने कहा कि प्रदेश में माना कैंप, परलकोट, सरगुजा के विभिन्न अंचलों में दशकों पूर्व बड़े पैमाने पर विस्थापित तत्कालीन पूर्व पाकिस्तान और वर्तमान बांग्लादेश के परिवारों को सरकारों ने बसाया है। प्रदेश सरकार जिस तरह से यह अभियान चला रही है, इससे उन इलाकों में दशकों से आदिवासी जनता के साथ रह रहे इन विस्थापित परिवारों के साथ उनके बीच एक गहरा विभाजन की दीवार खड़ी करने का षड्यंत्र हो रहा है।
दूसरी ओर इस पूरे अभियान के जरिए बंगभाषियों को ही संदेह के दायरे में खड़ा कर प्रदेश में अराजक स्थिति पैदा की जा रही है। भाजपा सरकार प्रदेश में बड़े पैमाने पर पश्चिम बंगाल से आए प्रवासी मजदूरों के मध्य भी इससे एक भय का वातावरण बना रही है।
माकपा के छत्तीसगढ़ के सचिव बाल सिंह ने कहा कि अवैध बांग्लादेशी और बांग्लाभाषी के बीच अंतर करने की बजाय सरकार की यह मुहिम बंगभाषियों को ही संदेह के दायरे में लाने में तब्दील हो गई है। पार्टी ने भाजपा सरकार द्वारा गोपनीय ढंग से छत्तीसगढ़ के 30 बांग्लाभाषियों को असम के रस्ते वापस भेजने के मामले में सरकार की गुपचुप कार्रवाई की तीव्र आलोचना करते हुए इसके ब्यौरे सार्वजनिक करने की मांग की।
पार्टी ने कहा कि भाजपा द्वारे पहले प्रदेश में बड़े पैमाने पर रोहिंग्या होने का नफरती प्रचार चलाया गया था लेकिन गृह मंत्री ने अपने बयान में बताया कि अब तक एक भी इनमें रोहिंग्या नहीं है। इससे उसके प्रचार की असलियत का ही खुलासा होता है । पार्टी ने कहा कि देश के किसी भी वैध नागरिक और बंगभाषियों को निशाना बनाने की की यह भाजपा सरकार की मुहिम तत्काल रोकी जानी चाहिए।