उत्पीड़न से तंग आकर ओडिशा के बालासोर के फकीर मोहन कॉलेज के परिसर में आत्मदाह करने वाली छात्रा की स्तब्ध कर देने वाली मौत समूचे तंत्र की सामूहिक आपराधिक कार्रवाई है। उसने कॉलेज के अपने एचओडी पर उत्पीड़न और ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था और उसकी इस शिकायत पर कॉलेज प्रशासन ने लीपापोती कर दी। जिन हालात में उसने यह कदम उठाया, उससे लगता है कि मानो कॉलेज प्रशासन उसके इस कदम का इंतजार कर रहा था! यह सब कुछ इस तरह घटा मानो सारी व्यवस्था उसे पराजित कर देना चाहती थी। यह कितना त्रासद है कि वह बहादुर छात्रा अकेले लडती रही और उसके पक्ष में कोई दमदारी के साथ खड़ा नहीं हुआ। उसने सांसदों तक से मिलकर शिकायत की थी और मुख्यमंत्री तथा शिक्षा मंत्री से एक्स के जरिये गुहार लगाई थी, लेकिन उसकी आवाज अनसुनी रह गई। कॉलेज के प्रिसिंपल और एचओडी की गिरफ्तारी लकीर पीटने जैसी बात है। यह सोचने की भी जरूरत है कि आखिर हमारे परिसर छात्राओं के लिए इतने असुरक्षित कैसे होते जा रहे हैं? ओडिशा में ही इससे पहले फरवरी में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के हॉस्टल में एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी। बालासोर की उस बहादुर बेटी को उसके गांव में बेहद गमगीन माहौल में बुधवार को विदा कर दिया गया, लेकिन उसे सच्ची श्रद्धांजलि तो यही होगी कि उसके गुनहगारों को ऐसी सजा मिले जो नजीर बने।

