रायपुर। सोमवार से शुरू हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में जब सदन में श्रद्धांजलि दी जा रही थीं, तब लोगों को एक बात खटक गई कि श्रद्धांजलि सूची में खौफनाक पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र नहीं था।
पूरे देश को झकझोर देने वाले इस आतंकी हमले में रायपुर के एक नागरिक ने भी जान गंवाई थी। कोई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में पहलगाम स्थित बैसरन घाटी के उस खौफनाक मंजर को कैसे भूल सकता है?
इस आतंकी हमले में पाक समर्थित माने जाने वाले आतंकवादियों ने धर्म पूछकर 26 पर्यटकों को, जिनमें 25 हिंदू थे और एक कश्मीरी, जो पर्यटकों को बचाते हुए मारा गया, गोलियों से भून दिया था। इसी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर सीधा हमला किया था। यह एक तरह से ऐसे युद्ध में तब्दील हो गया, जिसने पूरी दुनिया को चिंतित कर दिया था।
पहलगाम आतंकी हमले ने देश को तो झकझोरा ही, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर भी उस दिन शोकग्रस्त थी, क्योंकि मारे गए पर्यटकों में रायपुर के स्टील कारोबारी दिनेश मिरानिया भी थे। दिनेश मिरानिया के अंतिम संस्कार में न केवल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, बल्कि उपमुख्यमंत्री व अन्य मंत्री भी शामिल हुए। उन्होंने न केवल कंधा दिया, बल्कि छत्तीसगढ़ सरकार ने उनके परिवार को 20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता की भी घोषणा की। ऐसे में यह बात लोगों को खटकी कि विधानसभा की श्रद्धांजलि सूची में यह हत्याकांड कैसे नहीं था?
जानकार बताते हैं कि लोकसभा से लेकर विधानसभाओं तक, श्रद्धांजलि को लेकर परंपराओं का विस्तार से जिक्र लोकसभा के प्रकाशनों में है। उन पर नजर डालें तो यह कहा जा सकता है कि न केवल पहलगाम आतंकी हमले, बल्कि अहमदाबाद विमान हादसा भी ऐसी घटना थी, जिस पर विधानसभा में दुख प्रकट किया जा सकता था।
इस मामले में thelens.in ने विधानसभा सचिव से संपर्क करने की कोशिश की पर संपर्क नहीं हो सका। उनसे संपर्क होते ही हम विधानसभा के पक्ष को भी अपडेट करेंगे ।