द लेंस डेस्क। म्यांमार के भीतर घुसकर यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम इंडिपेंडेंट (ULFA-I) के कई उग्रवादी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक की खबरों का भारतीय सेना ने खंडन कर दिया है। पहले खबरें आई थीं कि उल्फा-आई के शीर्ष सैन्य रणनीतिकार, लेफ्टिनेंट जनरल नयन असोम इस हवाई हमले में मारे गए।
भारतीय सेना ने किसी भी हमले में शामिल होने की बात को सिरे से खारिज किया है। गुवाहाटी में रक्षा मंत्रालय के जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत के हवाले मीडिया खबरों के अनुसार, उन्होंने स्पष्ट किया कि सेना को इस तरह के किसी अभियान की कोई जानकारी नहीं है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी इस मामले में राज्य पुलिस की किसी भी भूमिका से इनकार किया है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि असम पुलिस का इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है और असम की जमीन से किसी तरह का हमला नहीं किया गया। उन्होंने ऐसी अफवाहों को खारिज करते हुए स्थिति को स्पष्ट किया।
दावा जो उल्फा-आई ने किया था
उल्फा-आई ने रविवार को एक बयान में दावा किया था कि भारत-म्यांमार सीमा पर नागालैंड के लोंगवा से लेकर अरुणाचल प्रदेश के पंगसौ दर्रे तक रविवार तड़के ड्रोन हमले हुए। इन हमलों का निशाना उल्फा-आई और आरपीएफ/पीएलए के विभिन्न शिविर थे। संगठन ने अपने तीन सदस्यों की मौत की पुष्टि की।
उल्फा-आई के प्रचार विभाग के सहायक सचिव सेकेंड लेफ्टिनेंट इशान असोम की ओर से जारी बयान में कहा गया कि भारतीय सेना ने इजराइली और फ्रांसीसी निर्मित ड्रोनों का उपयोग कर नागालैंड-म्यांमार सीमा से लेकर अरुणाचल-म्यांमार सीमा तक उनके मोबाइल कैंपों पर अचानक हमला किया। बयान के मुताबिक, 150 से अधिक ड्रोनों ने उनके ठिकानों पर बमबारी की, जिसमें संगठन की निचली परिषद के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल नयन असोम की मौत हो गई।
उल्फा-आई ने अपने एक अन्य बयान में दावा किया कि लेफ्टिनेंट जनरल नयन असोम के अंतिम संस्कार के दौरान एक और हमला हुआ, जिसमें मिसाइलें दागी गईं। इस हमले में ब्रिगेडियर गणेश असोम और कर्नल प्रदीप असोम की भी मौत हो गई, जबकि कई अन्य सदस्यों और आम नागरिकों के घायल होने की खबर है।