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छत्तीसगढ़

मशरूम फार्म कांड के तार 6 साल पुराने पार्ले जी बाल मजूदरी केस से जुड़े, रेस्क्यू के 48 घंटे बाद भी FIR नहीं

दानिश अनवर
Last updated: July 12, 2025 11:28 pm
दानिश अनवर
Byदानिश अनवर
Journalist
दानिश अनवर, द लेंस में जर्नलिस्‍ट के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 13 वर्षों का अनुभव है। 2022 से दैनिक भास्‍कर...
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Raipur Mushroom Factory News
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रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे खरोरा में मोजो मशरूम फार्म में मजदूरों को बंधक बनाकर यातना देने के मामले में अब तक एफआईआर नहीं हुई है। श्रम विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग की संयुक्त टीम ने रेस्क्यू कर फैक्ट्री से 97 मजदूरों का रेस्क्यू किया था। मशरूम फार्म मजदूरों के अलावा 40 बच्चाें को भी निकाला गया है। सबसे हैरान करने वाली बात है कि मशरूम फार्म कांड के तार 6 साल पुराने बाल मजदूरी केस से जुड़े हैं, जिसमें पार्ले जी फैक्ट्री से 27 बाल मजदूरों को रेस्क्यू कर छुड़ाया गया था। 6 साल पहले बाल मजदूरी केस में फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई हुई थी, लेकिन इस बार अब तक 48 घंटे बीत गए, लेकिन कोई एफआईआर नहीं हुई है।

रेस्क्यू करने वाले दोनों विभाग महिला एवं बाल विकास और श्रम विभाग की टीमें रिपोर्ट बना रहीं हैं।

सबसे हैरानी की बात यह है कि पुलिस इस पूरे मामले में दोनों विभागों की रिपोर्ट का इंतजार कर रहीं हैं। इसके अलावा न तो महिला आयोग ने किसी तरह की कोई कार्रवाई की मांग की है और न ही बाल संरक्षण आयोग ने।

इस पूरे मामले में रायपुर एसएसपी डॉ. लाल उमेद सिंह ने कहा कि अभी तक पीड़ित और रेस्क्यू करने वाले विभाग की तरफ से शिकायत नहीं हुई है। इसलिए, एफआईआर नहीं की जा रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग और श्रम विभाग की रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई करेगी।

गुरुवार को श्रम विभाग ने महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया था। पुलिस की मौजूदगी में खरोरा में स्थित फार्म से मजदूरों और उनके बच्चों का रेस्क्यू किया गया था। रेस्क्यू कर सभी को रायपुर के इंडोर स्टेडियम में लाया गया था। इस दौरान मजदूरों ने संचालक पर आरोप लगाया था कि उन्हें पैसे नहीं दिए जाते थे। फार्म में उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था। इतना ही नहीं रेस्क्यू किए जाने के बाद मीडिया से बात करते हुए मजदूरों ने मारपीट करने और 18– 18 घंटे तक काम कराने का आरोप भी लगाया था।

रिपोर्ट के संबंध में जब श्रम विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के जिम्मेदारों से पूछा गया तो उन्होंने काम कराकर पैसे नहीं देने के संबंध में मजदूरों की तरफ से बयान देने की बात कही। सूूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रिपोर्ट भी यही बनाई जा रही है कि काम कराकर पैसे देने के मामले की ही रिपोर्ट तैयार की जा रही है। मजदूरों के साथ हुई अमानवीय घटना का जिक्र रिपोर्ट में नहीं है।

इस तरह पार्ले जी फैक्ट्री केस के फ्रेंचाइजी से जुड़े हैं तार

जून 2019 में रायपुर पुलिस ने चाइल्ड लाइन और महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ मिलकर पार्ले जी बिस्किट फैक्ट्री में दबिश दी थी, जिसमें 27 बाल मजदूरों को टीमों ने रेस्क्यू कर छुड़ाया था। फैक्ट्री के मालिक को नोटिस दी गई थी। पार्ले जी कंपनी की फैक्ट्री बच्चों से बिस्किट बनवाया जाता था। ये बच्चे छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरे राज्यों के भी थे। पार्ले जी फैक्ट्री की फ्रैंचाइजी विमल खेतान के पास थी। अब श्रम विभाग ने बंधक बनाकर मजदूरी कराने के मामले में जिस फार्म में छापा मारा है, वह फार्म मारुति फ्रेश का है, जिसकी प्रोपराइटर मोनिका खेतान हैं। खबर आ रही है कि पुरानी पार्ले जी फैक्ट्री की फ्रेंचाइजी जिस खेतान परिवार के पास थी, वही खेतान परिवार इस मोजो मशरूम फार्म वाले मारुति फ्रेश के प्रोपराइटर हैं।

यह भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ के बंधुआ मजदूर कांड में अब तक FIR नहीं, आखिर संचालक पर किसकी मेहरबानी?

TAGGED:Bandhak MajdoorLatest_NewsMOJO Mashroom FarmRescue
Byदानिश अनवर
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दानिश अनवर, द लेंस में जर्नलिस्‍ट के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 13 वर्षों का अनुभव है। 2022 से दैनिक भास्‍कर में इन्‍वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग टीम में सीनियर रिपोर्टर के तौर पर काम किया है। इस दौरान स्‍पेशल इन्‍वेस्टिगेशन खबरें लिखीं। दैनिक भास्‍कर से पहले नवभारत, नईदुनिया, पत्रिका अखबार में 10 साल काम किया। इन सभी अखबारों में दानिश अनवर ने विभिन्न विषयों जैसे- क्राइम, पॉलिटिकल, एजुकेशन, स्‍पोर्ट्स, कल्‍चरल और स्‍पेशल इन्‍वेस्टिगेशन स्‍टोरीज कवर की हैं। दानिश को प्रिंट का अच्‍छा अनुभव है। वह सेंट्रल इंडिया के कई शहरों में काम कर चुके हैं।
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