सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण पर स्थगन तो नहीं दिया है, लेकिन उसने चुनाव आयोग को सुझाव दिया है कि वह मतदाताओं की पात्रता के लिए आधार, राशन कार्ड और वोटर आई कार्ड को भी शामिल करे। दरअसल 24 जून को चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का आदेश दिया था और स्पष्ट किया था कि यह प्रक्रिया 25 जुलाई तक पूरी कर ली जाएगी। इससे कांग्रेस, राजद के साथ ही तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के साथ ही सरकार की मंशा पर सवाए उठाए और आरोप लगाया कि यह पिछले दरवाजे से एनआरसी लागू करने की कोशिश है। ये आशंकाएं इसलिए पैदा हुईं, क्योंकि चुनाव आयोग ने बहुत सीमित समय में बिहार के आठ करोड़ से अधिक मतदाताओं के सत्यापन का फैसला किया है और मतदाता होने की पात्रता के लिए जो 11 दस्तावेज की सूची जारी की है, उनमें आधार, राशन कार्ड और वोटर आई कार्ड शामिल नहीं थे। इसके उलट जिस तरह के दस्तावेज इनमें शामिल किए गए, उन्हें लेकर सुनवाई के दौरान जस्टिस सुभाष धूलिया तक ने कहा कि मेरे पास भी जन्म प्रमाण पत्र नहीं है! असल में चुनाव आयोग के 24 जून के आदेश से भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है, जिसमें उसने लिखा है कि यह कवायद यह सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है, ताकि सभी पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल किया जा सके और कोई भी पात्र मतदाता इससे न छूटे। इसके साथ ही आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि एसआईआर के जरिये अपात्र मतदाताओं को सूची से बाहर किया जाएगा। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दो अहम बातें की हैं, उस पर गौर करने की जरूरत है, एक तो यह कि नागरिकता तय करना गृह मंत्रालय का काम है, उसमें चुनाव आयोग दखल नहीं दे सकता और दूसरा यह कि आधार कार्ड से नागरिकता तय नहीं होती। निस्संदेह बिहार में 23 साल बाद मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण हो रहा है, जिस पर याचिकाकर्ताओं ने भी एतराज नहीं किया है। इस मामले के तकनीकी पहलू के साथ ही सवाल बिहार की सियासत का है, जहां बुधवार को कांग्रेस, राजद और वाम दलों सहित महागठबंधन के अन्य सहयोगियों ने चुनाव आयोग की इस कवायद के विरोध में बंद रखा था। दरअसल यह मसला चुनाव आयोग की साख से भी जुड़ा हुआ है, जिस पर महाराष्ट्र के पिछले चुनाव में अचानक वोटों की संख्या बढ़ने को लेकर पहले ही काफी सवाल उठ चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट की आज की सुनवाई और उसकी टिप्पणियों को विपक्षी दल अपनी जीत के रूप में देख रहे हैं। लेकिन अहम सवाल बाकी है कि चुनाव आयोग की इस कवायद से छूट गए मतदाताओं का क्या होगा? क्या उन्हें अवैध नागरिक मान लिया जाएगा? जाहिर है, सुप्रीम कोर्ट की 28 जुलाई की सुनवाई के बाद ही स्थिति और स्पष्ट होगी।
सवाल नागरिकता का

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!
Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
Popular Posts
क्या एआई खत्म कर देगा नौकरियां? मिडिल क्लास के लिए क्या है चुनौती?
द लेंस डेस्क | जोहो कॉर्पोरेशन के संस्थापक और सीईओ श्रीधर वेम्बु ( Zoho founder…
By
पूनम ऋतु सेन
नक्सलियों ने कांग्रेस कार्यकर्ता को उतारा मौत के घाट , छह महीने पहले भाई की हत्या की थी
बप्पी राय। बीजापुर नक्सलियों ने बीती रात उसूर इलाके में एक कांग्रेस कार्यकर्ता की धारदार…
By
Lens News
सेक्स सीडी कांड में 6 साल बाद आरोपियों की पहली पेशी, पूर्व सीएम भूपेश सहित 4 आरोपी पहुंचे कोर्ट
रायपुर। छत्तीसगढ़ बहुचर्चित सेक्स सीडी कांड मामले में 6 सालों के बाद सुनवाई हुई। पूर्व…