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पतंजलि को कोर्ट से एक और झटका, डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ विज्ञापन दिखाने पर रोक

Lens News Network
Last updated: July 4, 2025 3:02 am
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patanjali dabur dispute
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नई दिल्‍ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को पतंजलि को डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ अपमानजनक विज्ञापन प्रसारित करने से रोकने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा ने डाबर की याचिका पर अंतरिम रोक का आदेश जारी किया। याचिका में कहा गया था कि पतंजलि का “स्पेशल च्यवनप्राश” डाबर च्यवनप्राश और सामान्य रूप से अन्‍य च्यवनप्राश की छवि खराब कर रहा है।

पतंजलि के विज्ञापन में दावा किया गया कि “अन्य किसी निर्माता को च्यवनप्राश बनाने का ज्ञान नहीं है,” जो सभी प्रतिस्पर्धियों को नीचा दिखाता है।न्यायमूर्ति पुष्कर्णा ने डाबर की अंतरिम राहत की मांग को स्वीकार करते हुए कहा कि इस चरण पर डाबर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाले विज्ञापनों को रोकना जरूरी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा की आड़ में किसी कंपनी को दूसरों को बदनाम करने की छूट नहीं दी जा सकती।

इस मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई 2025 को होगी, जहां दोनों पक्ष विस्तृत तर्क पेश करेंगे। अदालत तब यह फैसला करेगी कि पतंजलि के विज्ञापनों पर स्थायी रोक लगेगी या नहीं।याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि पतंजलि के विज्ञापनों में आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में भ्रामक और गलत दावे किए गए हैं, जो डाबर च्यवनप्राश की तुलना में अपमानजनक हैं। इसमें अन्य च्यवनप्राश को “साधारण” कहकर उनकी गुणवत्ता को कमतर बताया गया है।

डाबर की ओर से अधिवक्ता जवाहर लाला और मेघना कुमार ने पक्ष रखा। याचिका में कहा गया कि पतंजलि ने यह गलत दावा किया कि अन्य निर्माताओं को आयुर्वेदिक ग्रंथों और च्यवनप्राश के फार्मूले की जानकारी नहीं है।

क्‍या है विवाद?

पतंजलि और डाबर के बीच विवाद का कारण पतंजलि का एक विज्ञापन है, जिसमें दावा किया गया कि उनके च्यवनप्राश में 51 जड़ी-बूटियां और हिंट हैं, जबकि डाबर के उत्पाद में केवल 40 जड़ी-बूटियां हैं। डाबर ने इसे गलत बताया और कहा कि विज्ञापन में डाबर च्यवनप्राश में मर्क्युरी होने का अप्रत्यक्ष दावा किया गया, जिसे बच्चों के लिए असुरक्षित बताया गया।

डाबर का कहना है कि इससे उनकी ब्रांड छवि को नुकसान पहुंचा है और ग्राहकों का वर्षों से बना विश्वास टूट रहा है। दूसरी ओर, पतंजलि का कहना है कि उनके विज्ञापन में कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने इसे “पफरी” यानी एक सामान्य विज्ञापन रणनीति बताया, जिसमें ब्रांड अपने उत्पाद की प्रशंसा करता है बिना किसी प्रतिद्वंद्वी का नाम लिए। पतंजलि ने दावा किया कि उन्होंने डाबर का नाम नहीं लिया और न ही उनके उत्पाद की सीधी तुलना की।

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