रायपुर। बीजापुर जिले के इरपागुट्टा में हुई मुठभेड़ में मारे गए महेश कुडियाम के गांव 28 जून को आप पार्टी का जांच दल पहुंचा। जांच दल ने गांव से तथ्य इकट्ठा कर सरकार से न्यायिक जांच आयोग के गठन की मांग की है। आम आदमी पार्टी के जांच दल ने महेश कुडियम की मौत फर्जी मुठभेड़ में होना बताया है। प्रेसवार्ता कर जांच दल की अध्यक्ष प्रियंका शुक्ला ने कहा कि आम आदमी पार्टी के जांच दल ने दिनांक 28 जून को बीजापुर के इरपागुट्टा जाकर महेश कुड़ियाम की पत्नी सुमित्रा कुड़ियाम और उनके 07 बच्चों सहित गांव वालो से मुलाकात की और मामले में तथ्यों को इकट्ठा किया। AAP Party Janch Dal
जांच दल की अध्यक्ष प्रियंका शुक्ला ने कहा कि गांव में महेश की पत्नी सुमित्रा में बताया कि दिनांक 6 जून को जब महेश अपने भैसा को ढूंढने के लिए गांव में पास के जंगल तरफ गया था, लेकिन वापस नहीं आया, जिस पर गांव वालो ने सब जगह ढूंढा लेकिन नहीं मिला। 7 जून को भी ढूंढा गया। लेकिन, नहीं मिला। उसी दिन पटनम से लौट रहे एक व्यक्ति मेट्टा शैलेष नामक युवक की गांव वालो से मुलाकात हुई, और शैलेष ने बताया कि किसी व्यक्ति को पुलिस वालो ने हाथ बांधकर रखे देखा था।
उन्होंने कहा कि इसके बाद गांव वाले 08 जून को बीजापुर थाने आए, तब वहा पर पूछताछ करने से फोटो दिखाया गया, जिसमें पुष्टि हुई कि महेश को मार दिया गया है, और उसको नक्सली बताया गया है। इसके बाद वही पर महेश की बॉडी परिजनों और गांव वालो को दे दी गई।
प्रियंका शुक्ला ने आगे कहा कि इस पूरे मामले गांव वालो से, परिवार वालों से, स्कूल वालो से बातचीत जांच में यह तथ्य सामने आया और सबने एक ही सुर में यह बात बार बार दोहराई कि महेश कुड़ियाम नक्सली न था, और न कभी पहल भी शामिल हुआ। महेश के बारे में सबका यही कहना है कि वो एक आम जीवन जीने वाला आदिवासी किसान था,और उस दिन भी वो अपने रोज का काम करते में भैसा ढूंढने गया था और फिर वापस नहीं आया। महेश 2023 से रसोइए का काम स्कूल में कर रहा था , लोगो में महेश को ईमानदार और अच्छा काम करने वाला बताया है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा हमारे द्वारा महेश और उसके पत्नी के समस्त दस्तावेज जिसमें आधार कार्ड, राशन कार्ड, बैंक अकाउंट, आदि दस्तावेज देखने से भी प्राथमिकता से देखने से यह दर्शित हो रहा है कि वो एक आम जीवन गांव में व्यतीत कर रहा था, और उसके खाते में हर माह वेतन भी आया है। महेश के सात बच्चे में सबसे बड़ा बच्चा 12 वर्ष के आस पास का है और सबसे छोटा बच्चा 6 माह का है, प्रत्येक बच्चों में 2 साल, एक साल के आस पास का अंतर है, ऐसे में जिसके 07 बच्चे है, उसका एक लाख का इनामी माओवादी कहलाना समझ से परे है।
आम आदमी पार्टी की मांग है कि
1. ऐसे में सरकार को चाहिए कि मामले में संज्ञान लेकर कार्यवाही करे, क्योंकि यही वो जिला है जहां सारकेगुडा और एड्समेटा गांव में हुआ फर्जी एनकाउंटर का घटना भी हम सबके सामने है, उस घटना का तो रिटायर्ड जस्टिस वी के अग्रवाल जी के नेतृत्व में हुई थी और वो जांच रिपोर्ट भी आज सबके सामने है, जिसमें यह बात निकलकर आई कि सारकेगुडा और एड्समेटा मुठभेड़ फर्जी थी, उसमें समस्त आम आदिवासी किसान नागरिक मारे गए थे, उसमें कोई भी नक्सली नहीं था।
2. उक्त सारकेगुडा एवं एड्समेटा की घटना से सबक लेकर और अपनी पूर्व की रमन सरकार से ही सीख लेकर , वर्तमान की विष्णुदेव साय की सरकार को चाहिए कि मामले में न्यायिक जांच आयोग का गठन करें।
3. इरपागुट्टा मामले में भी एक न्यायिक जांच आयोग का गठन करा जाए, ताकि निष्पक्ष जांच कार्यवाही हो सके।
4. पीड़ित परिवार को 1 करोड़ का मुआवजा दिया जाए।
5. मृतक महेश के समस्त बच्चों की पढ़ाई और परवरिश की जिम्मेदारी सरकार ली जाये।
6. महेश की पत्नी को सरकारी नौकरी दी जाए।
7. सलवा जुडूम के बाद गांव वालो को उनके घर छोड़ने पड़े, ऐसे में उन गांव वालो को वापस बसाने की बात सरकार में कही थी, लेकिन हसदेव , रायगढ़ से लेकर बस्तर तक आदिवासी ही केंद्र में है, उनकी ही जमीन से उन्हें उजाड़ें जाने का अभियान चलाया जा रहा है, ठीक वैसे ही बस्तर में भी आदिवासी को बसाने की बात छोड़कर, यहां भी अदानी जैसे पूंजीपति को जल जंगल जमीन बेचा जा रहा है, इसको रुकना चाहिए.
9. इर्पागुट्टा मामले में जांच दल के तरफ से अध्यक्षता कर रही प्रियंका शुक्ला, मिथिलेश बघेल, अनिल दुर्गम, सतीश मंडावी ने पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर से मिलने का प्रयास किया, और पुलिस अधीक्षक,बीजापुर एवं बस्तर आई जी के नाम से लिखित ज्ञापन भी दिया गया, ज्ञापन के दौरान मिथिलेश बघेल, तरुणा बेदरकर,विवेक शर्मा शामिल रहे।
इस मामले में द लेंस ने गृहमंत्री विजय शर्मा, बस्तर आईजी पी सुंदरराज और बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव से उनका पक्ष जानने की कोशिश की। लेकिन, उनसे संपर्क नहीं हो सका। पक्ष मिलने पर The Lens.in की वेबसाइट पर अपडेट किया जाएगा।