तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में सोमवार सुबह हुए हादसे में अब तक 36 शव बरामद हुए हैं। यह घटना पाशमिलारम इंडस्ट्रियल एरिया स्थित सिगाची इंडस्ट्रीज की दवा बनाने वाली फैक्ट्री में रिएक्टर यूनिट में धमाके होने से हुई। यह घटना बताती है कि मुनाफाखोर व्यवस्था के लिए मजदूरों की जान की कीमत कुछ नहीं है। घटना के बाद केंद्र और राज्य सरकार ने मुआवजे की घोषणा कर जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन अब तक यह सवाल अनुत्तरित है कि क्या इस घटना को रोका जा सकता था? इस सवाल का जवाब न तो भोपाल में यूनियन कार्बाइड के हादसे के वक्त था, जिसमें तकरीबन 5 हजार लोगों की जान गई थी और न ही उन हादसों के बाद मिलता है, जिनमें हर साल हजारों मजदूरों की जान चली जाती है। कुछ समय पूर्व ब्रिटिश सुरक्षा परिषद की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में हर वर्ष तकरीबन 48,000 मजदूरों की कार्यस्थल पर मौत हो जाती है। इनमें सबसे ज्यादा हादसे 24.20 फीसदी भवन निर्माण सेक्टर में होते हैं। यकीनन कार्यस्थल पर सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं होना और कारखाना मालिकों द्वारा सुरक्षा उपायों का पालन न करना इन दुर्घटनाओं की बड़ी वजह है। तेलंगाना में भी यही वजह थी। श्रम विभाग कारखाना मालिकों की गोद में खेलता है। निजी कंपनियां न तो काम का उचित मूल्य देती हैं और न ही जान-माल की सुरक्षा की गारंटी देती हैं। सरकारी कंपनियां मुआवजा दे देती हैं, लेकिन सुरक्षा के इंतजामों को लेकर सतर्क नहीं रहतीं। इन घटनाओं के लगातार बढ़ने की एक बड़ी वजह कमजोर कानून व्यवस्था है। औद्योगिक दुर्घटनाओं से जुड़े कानूनों पर नजर डाली जाए तो साफ पता चलता है कि ज्यादातर मामलों में पुलिस द्वारा धारा 287 के तहत मामला दर्ज किया जाता है, जिसमें 6 महीने की जेल अथवा 1000 रुपये का दंड या दोनों का प्रावधान है। लेबर कोर्ट के मामले जल्दी नतीजों तक नहीं पहुंचते। मजदूरों की मौतों को लेकर अब कोई आंदोलन नहीं खड़ा होता, क्योंकि देश में ट्रेड यूनियन आंदोलन को जातियों और संप्रदायों की राजनीति खा गई। निजी क्षेत्र में ट्रेड यूनियन का हस्तक्षेप अब सिर्फ इतिहास है। इस बात को स्वीकार करना ही होगा कि इस देश के मजदूरों की कुर्बानियों ने ही आज के मौजूदा श्रम कानून दिए हैं। यह दीगर है कि ये कानून लगातार कमजोर साबित हुए हैं। अब यह सोचने का वक्त आ गया है कि ट्रेड यूनियन आंदोलन को कमजोर करने, श्रम कानूनों को सख्ती से लागू न करने और कार्यस्थल पर ठेकेदारी प्रथा को आगे बढ़ाने में किसका हित जुड़ा है। जिसका हित सबसे ज्यादा है, वही इन मजदूरों की अकाल मौत का जिम्मेदार है।
मजदूरों की अकाल मौत का जिम्मेदार कौन?

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!
Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
Popular Posts
मोदी से बातचीत के बाद फिर पलटे ट्रंप, 14वीं बार बोले – ‘हमने युद्ध रुकवाया, पाकिस्तान से करता हूं प्यार’
नई दिल्ली। इजरायल-ईरान संघर्ष के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर खुद…
हैदराबाद के चारमीनार इलाके में भीषण आग, 17 लोगों की मौत
द लेंस डेस्क। Accident near Charminar: हैदराबाद के चारमीनार के नजदीक गुलज़ार हाउस इलाके में…
प्रख्यात लेखिका जया जादवानी के नवीनतम उपन्यास “काया” का लोकार्पण 17 मई को
रायपुर। देश के सबसे बड़े साहित्यिक संगठन जन संस्कृति मंच (जसम) की रायपुर इकाई, चर्चित…