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लेंस संपादकीय

आसान नहीं “स्थायी समाधान”

Editorial Board
Last updated: June 27, 2025 7:23 pm
Editorial Board
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Indian diplomacy
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की चीन के अपने समकक्ष एडमिरल डोंग जून से हुई मुलाकात द्विपक्षीय रिश्तों के लिहाज से अहम है, जिसमें रक्षा मंत्री ने सीमा संबंधी मसलों के ‘स्थायी समाधान’ की बात की है। इसके साथ ही रक्षा मंत्री ने यह भी कहा है कि दोनों देशों को नई जटिलताओं में नहीं उलझना चाहिए। भारत का तो हमेशा से यही रुख रहा है कि चीन के साथ शांतिपूर्ण तरीके से सीमा संबंधी मसले सुलझ जाएं। वास्तविकता यही है कि छह साल पहले जून, 2020 में गलवान में दोनों देशों के बीच तनाव न केवल चरम पर पहुंच गया था, बल्कि सैन्य टकरावों में भारत के 20 से अधिक जवान शहीद हो गए थे। पिछले तीन-चार सालों के दौरान दोनों देशों की सीमा संबंधी बैठकों के बाद लद्दाख के टकराव वाले क्षेत्रों से दोनों सेनाओं ने अपने सैनिकों की वापसी जरूर की है, लेकिन यह दावे से नहीं कहा जा सकता कि स्थिति सामान्य है। दरअसल चीन के साथ रिश्ते को पाकिस्तान के साथ उसके रिश्ते के संदर्भ में भी देखने की जरूरत है, क्योंकि उसके वहां रणनीतिक और आर्थिक हित जुड़े हुए हैं। ताजा मामला पहलगाम में हुए आतंकी हमले का है, जिसमें चीन ने खुलकर भारत के पक्ष का समर्थन नहीं किया था। भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर की सीमा है, और सीमा संबंधी विवाद दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य करने में सबसे बड़ा रोड़ा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का ‘स्थायी समाधान’ की बात करना एक साहसिक बयान लगता है, लेकिन जमीनी तैयारी के बिना इस पर अमल मुश्किल है। क्या भारत सरकार ने मान लिया है कि पूर्वी लद्दाख में मई, 2020 से पूर्व की स्थिति पूरी तरह बहाल हो गई है?गलवान या दोकलाम में सैन्य जमावड़ा हो या फिर अरुणाचल के नजदीक पीएलए की बढ़ती गतिविधियां, भारत को चीन से हमेशा सचेत रहने की चेतावनी देती हैं।

TAGGED:Lens AbhimatLens SampadakiyaRAJNATH SINGH
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