[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
राहुल गांधी ने समर्थकों ने कहा-मैं राजा नहीं बनना चाहता
ननों को NIA कोर्ट से जमानत
अमेरिकी अधिकारियों के कराची के लग्जरी होटलों में खतरे की आशंका, आवाजाही पर रोक
किसानों के खाते में आ गए 2000 रुपए, पीएम किसान सम्मान निधि योजना के पैसे आए या नहीं, ऐसे पता करें?
वाराणसी से पीएम मोदी ने 2200 करोड़ के प्रोजेक्ट किए लॉन्च, काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए बनेगा नया रास्ता
महतारी वंदन योजना 18 वीं किस्त जारी, 647 करोड़ रुपए खातों में ट्रांसफर
ताजा प्रतिबंधों के बाद रूस के तेल लदे जहाजों ने भारत पहुंचने से पहले रास्ता बदला
सहकारिता चुनाव की अटकलें तेज, सहकारी निर्वाचन आयोग और सहकारी अभिकरण में सरकार ने की पोस्टिंग
फ्लाइट में देरी पर यात्री ने पैनिक अटैक से जूझ रहे युवक को मारा थप्पड़, देखें वीडियो
CM साय ने 1 नवंबर को अमृत रजत महोत्सव के लिए PM Modi को दिया न्यौता
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.

Home » अंततः अब होगी जनगणना

लेंस संपादकीय

अंततः अब होगी जनगणना

Editorial Board
Last updated: June 16, 2025 9:22 pm
Editorial Board
Share
Census
SHARE

आखिरकार केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश में जनगणना कराने का ऐलान कर दिया है, जिसकी प्रक्रिया एक मार्च, 2027 को पूरी हो जाएगी। वैसे तो यह जनगणना 2021 में हो जानी थी, लेकिन सरकार ने इसे पहले तो कोरोना की वजह से टाल दिया था, और फिर राजनीतिक कारणों से यह टलती रही। पहला कारण तो यही कि, 2026 में परिसीमन प्रस्तावित है और दूसरा यह कि सरकार जाति जनगणना को लेकर अनमनी थी, जिसे उसने अंततः कांग्रेस सहित विपक्ष के भारी दबाव में स्वीकार कर लिया है। पहले जाति जनगणना की बात करें, तो आजादी के बाद जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की पहचान शामिल थी, क्योंकि उसी के आधार पर उन्हें आरक्षण दिए जाने की संवैधानिक जरूरतें पूरी होती हैं। लेकिन अन्य जातियों को लेकर सही स्थिति पता नहीं होने के कारण कल्याणकारी नीतियों और कार्यक्रमों को लेकर सवाल उठते रहे हैं कि क्या वे उन लोगों तक पहुंच पा रहे हैं, जिन्हें इसकी जरूरत है। दरअसल जाति जनगणना भाजपा की हिन्दुत्व की राजनीति से मेल नहीं खाती है, बावजूद इसके कि उसने हाल के वर्षों में खासतौर से पिछड़ी जातियों के एक बड़े वर्ग को अपने पक्ष में गोलबंद किया है। इसके बावजूद पिछड़ी जातियां अपने आपमें एक बड़ी पहेली हैं, जिसकी गुत्थी जनगणना से सामने आएगी। दूसरा मुद्दा परिसीमन का है, जिसे लेकर खासतौर से दक्षिणी राज्यों में संशय है, जिन्हें लगता है कि जनगणना नियंत्रित करने और विभिन्न मानदंडों में बेहतर प्रदर्शन की उन्हें सजा लोकसभा में उनकी आनुपातिक सीटें कम होने के रूप में मिल सकती है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन इसे लेकर मुखर हैं। वास्तव में विकास के पैमाने पर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे अधिक आबादी और लोकसभा में अधिक सीटों वाले राज्य फिसड्डी हैं। जनगणना ऐसा पिटारा है, जिसके खुलने से देश की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति को लेकर मंथन का नया दौर शुरू हो सकता है।

TAGGED:CensusCensus 2027Lens Abhimat
Share This Article
Email Copy Link Print
Previous Article Marine Drive रायगढ़ में ‘मरीन ड्राइव’ के लिए उजड़ती बस्ती, कांग्रेस बोली- अंधेर नगरी चौपट राजा
Next Article ration shop छत्तीसगढ़ में एक साथ दिया जाएगा तीन महीने का राशन

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!

Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
LinkedInFollow
MediumFollow
QuoraFollow

Popular Posts

महाराष्ट्र के 39 लाख मतदाता!

चुनाव आयोग की साख का सवाल लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संसद…

By The Lens Desk

फॉरेन फंडिंग: बीबीसी इंडिया पर ईडी ने लगाया साढ़े 3 करोड़ का जुर्माना, तीनों निदेशक भी निशाने पर

द लेंस डेस्‍क। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फॉरेन फंडिंग के मामले में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन…

By The Lens Desk

कैग के पिंजरे में

दिल्ली की पिछली आप सरकार की शराब नीति पर पेश नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग)…

By The Lens Desk

You Might Also Like

लेंस संपादकीय

रेस और बारात के घोड़े

By The Lens Desk
Hasdeo Aranya
लेंस संपादकीय

सरकार में विचार की कमी है

By Editorial Board
लेंस संपादकीय

हमारे सामूहिक विवेक पर तिरपाल!

By The Lens Desk

हादसे और निकम्मा तंत्र

By The Lens Desk
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?