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दुनिया

क्या ईरान बंद कर देगा होर्मुज जलडमरूमध्य? मुश्किल में पड़ सकती है तेल सप्लाई

The Lens Desk
The Lens Desk
Published: June 16, 2025 3:33 PM
Last updated: June 16, 2025 4:47 PM
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Strait of Hormuz
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लेंस एक्सप्लेनर

खबर में खास
क्यों महत्वपूर्ण है होर्मुज स्ट्रेट ?1973 की पुनरावृत्ति तो नहींकच्चे तेल के दाम में तेजीभारत पर असर

ईरान और इजरायल के टकराव के बीच सोमवार 16 जून को लगातार दूसरे दिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी के बाद दाम 75 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया है। यह पांच साल में सबसे ज्यादा है। इस बीच, ईरानी न्यूज एजेंसी इरिना (IRINN) ने खबर दी है कि ईरान तेल की आवाजाही वाले प्रमुख मार्ग समुद्री मार्ग होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद कर सकता है। यदि ऐसा हुआ तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की सप्लाई को लेकर बड़ा संकट पैदा हो सकता है।

उल्लेखनीय है कि 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान और इराक के बीच 1980 से 1988 के बीच लंबा संघर्ष चला था जिसमें दोनों ओर के लाखों लोग मारे गए। दोनों देशों ने खाड़ी में एक दूसरे कारोबारी जहाजों को भी निशाना बनाया था, इसलिए उसे टैंकर वॉर तक कहा गया था। इसके बावजूद उस दौरान होर्मुज को कभी पूरी तरह बंद नहीं किया गया था।

क्यों महत्वपूर्ण है होर्मुज स्ट्रेट ?

होर्मुज स्ट्रेट या होर्मिुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी के बीच स्थित संकरा समुद्री मार्ग है। फारस की खाड़ी के विभिन्न बंदरगाहों से तेल इकट्ठा करने वाले टैंकरों को इसी मार्ग से गुजरना पड़ता है। अनुमान है कि दुनिया की रोजाना की तेल की खपत के पांचवे हिस्से या करीब 18 से 19 मिलियन बैरल पर डे (बीपीडी) यहीं से होकर गुजरता है। ईरान तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक का सदस्य है और वह रोजाना 3.3 मिलियन तेल पैदा करता है और दो मिलियन यानी बीस लाख लीटर तेल इसी मार्ग से दूसरे देशों को भेजता है।

1973 की पुनरावृत्ति तो नहीं

इजरायल और ईरान के बढ़ते टकराव ने 1973 की याद ताजा कर दी है, जब योम किप्पुर युद्ध के कारण दुनिया में अभूतपूर्व तेल संकट पैदा हो गया था। इसे 1973 का अरब-इजरायल युद्ध भी कहा जाता है। छह अक्टूबर 1973 को मिस्र और सीरिया ने इस्राइल के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था। मकसद थाा, 1967 में छह दिवसीय युद्ध में खोए क्षेत्रों, जैसे सिनाई प्रायद्वीप और गोलन पहाड़ी को वापस लेना। युद्ध का नाम योम किप्पुर, यहूदियों के पवित्र दिन, से पड़ा क्योंकि उसी दिन से हमला शुरू हुआ था। यह युद्ध लगभग 19 दिन तक चला और 25 अक्टूबर को युद्धविराम के साथ समाप्त हुआ। इस युद्ध का वैश्विक तेल बाजार पर गहरा असर पड़ा। युद्ध के दौरान, OPEC (ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज) के अरब सदस्यों ने इजरायल का समर्थन करने वाले देशों, खासकर अमेरिका और पश्चिमी यूरोप, के खिलाफ तेल प्रतिबंध लगाया। उन्होंने तेल उत्पादन में कटौती कर दी और कीमतें बढ़ा दीं। इससे 1973 का तेल संकट पैदा हुआ, जिसने वैश्विक अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया। कच्चे तेल के दाम तीन सौ फीसदी से भी ज्यादा हो गए थे! इसका भारत पर भी असर पड़ा था। हालत यह हो गई थी कि मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों में नौकरशाहों और उद्योगपतियों ने कारें छोड़कर बसों से दफ्तर जाना शुरू कर दिया था।

कच्चे तेल के दाम में तेजी

शुक्रवार तो इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु और नागरिक ठिकानों पर किए गए हमले और ईरानी की जवाबी कार्रवाई का कच्चे तेल के दामों पर भी असर पड़ा है। बेंचमार्क अमेरिकी कच्चे तेल की एक बैरल की कीमत शुक्रवार को ही 7.1% बढ़कर 72.88 डॉलर हो गई थी। अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड में करीब आठ फीसदी की बढ़ोतरी हुई और अब यह 75 डॉलर प्रति बैरल हो गया। उधर, लंदन में रायटर्स एनर्जी ऐंड क्लाइमेट समिट में शामिल विशेषज्ञों का अनुमान है कि कच्चे तेल के दाम अगले साल तक 100 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकते हैं।

भारत पर असर

भारत में तेल की कीमतें कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय दामों पर निर्भर हैं। भारत अपनी जरूरतों का 90 फीसदी तक कच्चा तेल आयात करता है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियां हर रोज सुबह छह बजे पेट्रोल-डीजल के नई दरें अपडेट करती हैं। ये दरें कच्चे तेल के दाम और करेंसी एक्सचेंज रेट के आधार पर तय होते हैं। कच्चे तेल के दाम बढ़ने के बावजूद अभी भारत में इसका असर नहीं दिखा है। वैसे भी भारत में पहले से कच्चे तेल के दामों के अनुपात में पेट्रोलियम उत्पादों के दाम अधिक हैं। मसलन, 2012 में जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 110 डॉलर प्रति बैरल हो गए थे, तब भारत में पेट्रोल की कीमत 73 रुपये प्रति लिटर थी। बाजार के जानकारों का मानना है कि यदि कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर को छूते हैं, तो उससे भारत में भी पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ सकते हैं।

यह भी पढ़ें : चौथे दिन भी ईरान और इजरायल में लड़ाई जारी, ईरान के विदेश मंत्रालय को बनाया निशाना, इजरायल पर अब तक का सबसे बड़ा हमला

TAGGED:Iran and IsraelLatest_NewsStrait of Hormuz
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