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The Lens > धर्म > कबीर जयंती विशेष: आज के दौर में भी प्रासंगिक है कबीर के दोहे
धर्म

कबीर जयंती विशेष: आज के दौर में भी प्रासंगिक है कबीर के दोहे

Poonam Ritu Sen
Last updated: June 11, 2025 11:16 am
Poonam Ritu Sen
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Kabir Jyanti
कबीर जयंती विशेष: आज के दौर में भी प्रासंगिक है कबीर के दोहे
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Kabir Jyanti : कबीर दास, 15वीं सदी के एक महान संत, कवि और समाज सुधारक थे जिन्होंने अपने दोहों के माध्यम से समाज को नई दिशा दी। उनके दोहे आज भी उतने ही प्रभावशाली और प्रेरणादायक हैं जितने उस समय थे। कबीर जयंती जो हर साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है, उनके जीवन और शिक्षाओं को याद करने का एक विशेष अवसर है। इस वर्ष 2025 में 11 जून को यह दिन उनके विचारों को फिर से जीवंत करने का मौका देता है। इस लेख में हम कबीर के कुछ लोकप्रिय दोहों और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव को सरल शब्दों में समझाएंगे।

कबीर के दोहे छोटे होते हुए भी गहरे अर्थ रखते हैं। ये दोहे जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे प्रेम, सत्य, धर्म, सामाजिक न्याय और आत्म-ज्ञान को छूते हैं।

  1. आत्म-ज्ञान और अंतर्मुखी होना

दोहा:
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥
अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि जब मैं दुनिया में बुराई ढूंढने चला, तो मुझे कोई बुरा इंसान नहीं मिला। पर जब मैंने अपने दिल में झांका, तो मुझसे बुरा कोई नहीं था।
जीवन से जुड़ाव: यह दोहा हमें सिखाता है कि दूसरों में कमी ढूंढने से पहले अपने अंदर झांकना चाहिए। अपने विचारों, व्यवहार और गलतियों को सुधारना जीवन को बेहतर बनाने का पहला कदम है। आत्म-ज्ञान के बिना हम अपनी कमजोरी नहीं देख सकते।

  1. समय की कीमत
    दोहा:
    काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
    पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब॥
    अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि कल का काम आज करो, और आज का काम अभी। क्योंकि समय कभी भी बदल सकता है, और मौका हाथ से निकल सकता है।
    जीवन से जुड़ाव: यह दोहा हमें समय के महत्व की याद दिलाता है। जीवन छोटा है और अनिश्चित भी। इसलिए अपने लक्ष्य, सपने या जिम्मेदारियों को टालना नहीं चाहिए। अभी जो करना है, उसमें देर न करें।
  2. प्रेम और करुणा
    दोहा:
    पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
    ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥
    अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़ने से कोई पंडित नहीं बनता। असली ज्ञान तो प्रेम के दो अक्षर पढ़ने से मिलता है।
    जीवन से जुड़ाव: यह दोहा प्रेम और करुणा के महत्व को दर्शाता है। जीवन में किताबें पढ़ना जरूरी है लेकिन असली समझदारी दूसरों के प्रति प्यार, सम्मान, और दया से आती है। एक प्यार भरा दिल ही असली विद्वान होता है।
  3. सादगी और संतोष
    दोहा:
    साईं इतना दीजिए, जामे कुटुंब समाय।
    मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाय॥
    अर्थ: कबीर जी प्रार्थना करते हैं कि प्रभु मुझे इतना ही दे दो कि मेरा परिवार सुखी रहे, मैं भूखा न रहूं, और जो साधु मेरे घर आए, वह भी भूखा न जाए।
    जीवन से जुड़ाव: यह दोहा सादगी और संतोष की शिक्षा देता है। कबीर जी केवल उतना ही मांगते हैं जितना जरूरी है। जीवन में लोभ या ज्यादा के पीछे भागना नहीं चाहिए, बल्कि जो है उसमें खुश रहना चाहिए और दूसरों के साथ बांटना चाहिए।
  4. सच्चाई और निंदा से बचाव
    दोहा:
    निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय।
    बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय॥
    अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि अपने निंदक (आलोचक) को पास रखो, क्योंकि वह बिना पानी और साबुन के तुम्हारे स्वभाव को साफ करता है।
    जीवन से जुड़ाव: निंदा सुनना किसी को पसंद नहीं, लेकिन कबीर जी सिखाते हैं कि आपकी आलोचना करने वाले ही आपको आपकी कमजोरियां दिखाते हैं। उनकी बातों से सीखकर हम अपने व्यवहार को सुधार सकते हैं।
  5. मोक्ष और आध्यात्मिकता
    दोहा:
    माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
    कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर॥
    अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि युगों तक माला फेरने से भी मन का विकार नहीं जाता। हाथों की माला छोड़ दो, और मन के विचारों को सुधारो।
    जीवन से जुड़ाव: यह दोहा बताता है कि असली भक्ति बाहरी दिखावा नहीं, बल्कि मन की शुद्धि और आध्यात्मिक जागरूकता में है। जीवन में दिखावा छोड़कर अपने विचारों को पवित्र करना चाहिए।

कबीर के दोहे और जीवन के पहलू


कबीर के दोहे जीवन के हर पहलू को छूते हैं चाहे वह व्यक्तिगत विकास हो, सामाजिक न्याय हो या आध्यात्मिक जागरूकता। कबीर के दोहे सिर्फ शब्द नहीं बल्कि जीवन जीने की कला हैं। उनके विचारों में छुपी सादगी और ज्ञान आज भी हमें प्रेरणा देता है। चाहे आप किसी भी धर्म या जाति से हों कबीर जी के दोहे आपको जीवन के हर मोड़ पर मार्गदर्शन देते हैं। इस कबीर जयंती पर उनके दोहों को पढ़ें, उनका अर्थ समझें और अपने जीवन में उतारें।

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ByPoonam Ritu Sen
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पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की उत्सुकता पत्रकारिता की ओर खींच लाई। विगत 5 वर्षों से वीमेन, एजुकेशन, पॉलिटिकल, लाइफस्टाइल से जुड़े मुद्दों पर सेन्ट्रल इण्डिया के कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अलग-अलग पदों पर काम किया है। द लेंस में बतौर जर्नलिस्ट कुछ नया सीखने के उद्देश्य से फरवरी 2025 से सच की तलाश का सफर शुरू किया है।
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