रायपुर। छत्तीसगढ़ के कवर्धा में कथित धर्मांतरण के आरोप में एक पादरी और उनके परिजनों के साथ हिंदूवादी संगठनों ने मारपीट की, उन्हें धमकाया और पुलिस ने उनकी रिपोर्ट भी नहीं लिखी उल्टे पादरी के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज कर दी। डरा हुआ पादरी परिवार कवर्धा छोड़ गया है। छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ने पादरी के आरोपों को बेबुनियाद कहा है।
ईसाई पादरी जोस थॉमस ने किसी अज्ञात स्थान पर अपने परिवार के साथ शरण ली है। कहां यह बताने से उन्होंने इंकार कर दिया!
पादरी परिवार घटना के बाद से ही बेहद डरा हुआ है। जोस थॉमस ने पुलिस से मदद मांगी,आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई की गुहार लगाई पर जब उन्हें पता लगा कि धमकाने और मारपीट करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई के बजाए खुद उनके हो खिलाफ एफआईआर हो गई है तो वे अपने पूरे परिवार के साथ रातों–रात कवर्धा छोड़ गए।इस घटना के सुर्खियों में आने के बाद द लेंस ने उनसे संपर्क करने का प्रयास किया तब पता चला कि वे कवर्धा के अपने निवास पर नहीं हैं।उनके कुछ करीबियों से संपर्क किया गया,पुलिस से बात की, हमने ईसाई संगठनों के पदाधिकारियों से बात की तब जा कर जोस थॉमस से संपर्क हो पाया।हम उनसे मिलना चाहते थे, कैमरे पर उनसे बात करना चाहते थे लेकिन डरे हुए जोस थॉमस ने मिलने से साफ इंकार कर दिया।उन्होंने उस जगह का पता बताने से इनकार कर दिया जहां उन्होंने परिवार के साथ शरण ली हुई है।

श्री थॉमस ने द लेंस से फोन पर ही थोड़ी बातचीत की और अपने साथ हुई घटना का पूरा ब्यौरा दिया। उन्होंने कहा कि हिंदूवादी संगठनों की धमकी की वजह से उन्होंने कवर्धा शहर छोड़ दिया है और किसी अज्ञात जगह शरण ली है। पादरी के आरोपों पर उप मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक विजय शर्मा ने कहा कि ये बिल्कुल बेबुनियाद आरोप है। उन्हें किसी ने भी धमकी नहीं दी है।
पादरी जोस थॉमस ने thelens.in से फोन पर बातचीत की। वे कहां हैं, उन्होंने ये नहीं बताया, लेकिन फोन पर हुई बातचीत में इतना जरूर कहा कि बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद से मिली धमकियों की वजह से वे कवर्धा नहीं जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि 18 मई को प्रार्थना सभा के दौरान बजरंग दल के लोगों ने स्कूल पहुंचकर हंगामा मचाया था लेकिन पुलिस ने इन बजरंगियों पर कोई कार्रवाई करने की बजाए उन्हें (पादरी जोस थॉमस को) ही गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि कवर्धा की अदालत से उन्हें उसी दिन जमानत मिल गई।श्री थॉमस का कहना है कि इस घटना के बाद वे और उनका परिवार इतना भयभीत थे कि उन्होंने रातों–रात कवर्धा छोड़ दिया था।
जोस थॉमस ने आरोप लगाया कि दरअसल धर्मांतरण की आड़ लेकर पहले से दुश्मनी लेकर बैठे लोगों ने उनके साथ मारपीट की थी।
घटना वाले दिन उनका थाने में बयान हुआ। उन्होंने पुलिस से मारपीट की शिकायत की। पुलिस ने उनका बयान लेकर उन्हें वापस भेज दिया।श्री थॉमस का कहना है कि घटना वाले दिन पुलिस के समक्ष इन संगठनों की ओर से धर्मांतरण जैसे कोई आरोप नहीं लगाए गए थे।उनका कहना है कि उन्होंने पुलिस से गुहार लगाई थी कि मारपीट की उनकी शिकायत के आधार पर आरोपी हिंदूवादी कार्यकर्ताओं के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की जाए।तब पुलिस ने उनसे कहा कि दोनों ही पक्षों के खिलाफ कोई रिपोर्ट नहीं लिखी जा रही है। पुलिस की बात मानकर वे चले गए।
जोस थॉमस का आरोप है कि बाद में पुलिस ने उल्टे उनके ही खिलाफ एकतरफा एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने हंगामा करने वाले हिंदूवादी कार्यकर्ताओं के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि कोर्ट से जमानत मिलने पर उन्होंने फिर से एफआईआर लिखवाने की कोशिश की, लेकिन तब बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की तरफ से उन्हें धमकियां मिलने लगीं। इन धमकियों से वे और उनका परिवार भयभीत थे इसी डर के बीच वे सभी कवर्धा से बाहर चले गए।
पादरी थॉमस ने बताया कि वे अभी जहां हैं, वहां से उन्होंने ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवाई है।
पादरी का बयान गलत, उनकी गड़बडियां सामने आईं, जिसके बाद कार्रवाई : डिप्टी सीएम
पादरी जोस थॉमस के आरोपों को उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बेबुनियाद कहा। thelens.in से विजय शर्मा ने कहा– ” पादरी जोस थॉमस के दिए बयान पर जाने की बजाए हमें उनकी गड़बड़ियों पर जाना चाहिए। जोस थॉमस तो लंबे समय से कवर्धा में रह रहें हैं। उन्होंने यहां स्कूल बनाया। बिल्डिंग बनाई। तब तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई। अब जब उनकी गड़बड़ियां उजागर हुईं हैं, तो शहर के लोगों पर गलत आरोप लगा रहे हैं। वे बच्चों के पैरेंट्स को बजरंग दल और हिंदू परिषद से जोड़ रहे हैं, जो गलत है। इतने बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं। अगर ऐसे बेबुनियाद आरोप वे लगाएंगे तो सही नहीं है। “
कवर्धा में दो दशक से भी ज्यादा समय से स्कूल चला रहे हैं पादरी
पादरी थॉमस कवर्धा में होली किंगडम स्कूल चलाते हैं। बताते हैं कि इसी स्कूल में पढ़ने वाले दो विद्यार्थियों ने पिछले दो वर्षों से फीस जमा नहीं की थी। फीस जमा किए बिना ही उनके परिजन ट्रांसफर सर्टिफिकेट यानी कि टीसी मांग रहे थे। इसके लिए जब 28 अप्रैल को एक बीजेपी नेता ने उन्हें फोन किया तो उन्होंने बिना फीस के टीसी देने से इंकार कर दिया।
श्री थॉमस के मुताबिक जिन दो बच्चों के टीसी की मांग की गई थी, वे छात्र बजरंग दल नेताओं के बच्चे थे। इन बच्चों की डेढ़ लाख रुपये से ज्यादा की फीस बकाया थी।श्री थॉमस का कहना है कि फीस देने के बजाय इन नेताओं ने स्कूल में हंगामा किया और धर्मांतरण का झूठा आरोप लगा कर उनके विरुद्ध पुलिस में शिकायत कर दी।उनका कहना कि प्रशासन से उन्हें कोई संरक्षण नहीं मिल रहा।
डरा हुआ थॉमस परिवार अभी तक कवर्धा नहीं लौटा है।
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