द लेंस डेस्क। एलन मस्क की कंपनी Starlink की सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवाओं के लिए भारत में रास्त खुल गया है। दूरसंचार विभाग ने स्टारलिंक को ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (जीएमपीसीएस) परमिट जारी किया है। आगामी दिनों में स्टारलिंक को ट्रायल स्पेक्ट्रम भी जारी होगा। बताया जाता है कि इसके लिए स्टारलिंक ने लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) की सभी सुरक्षा अनुपालन आवश्यकताओं को पूरा कर लिया है।
स्टारलिंक देश में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं देने वाली तीसरी सैटकॉम कंपनी बन गई है, जिसे यूटेलसैट के वनवेब और जियो-एसईएस के बाद जीएमपीसीएस परमिट प्राप्त हुआ है। अब स्टारलिंक को इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (आईएन-स्पेस) से अनुमोदन की जरूरत है।
अप्रैल में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने स्टारलिंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भारत में कंपनी की निवेश योजनाओं पर विचार-विमर्श किया था । इस बैठक में स्टारलिंक के उपाध्यक्ष चाड गिब्स और वरिष्ठ निदेशक रयान गुडनाइट शामिल थे। गोयल ने एक्स पर लिखा था, “स्टारलिंक के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात की, जिसमें उनकी अत्याधुनिक तकनीक, वर्तमान साझेदारियों और भारत में भावी निवेश योजनाओं पर चर्चा हुई।”
स्टारलिंक, जो स्पेसएक्स का एक हिस्सा है, अपने लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट्स के नेटवर्क के माध्यम से वैश्विक स्तर पर हाई-स्पीड इंटरनेट प्रदान करने के लिए जाना जाता है। भारत में इस लाइसेंस के प्राप्त होने से कंपनी को देश के डिजिटल परिदृश्य में प्रवेश करने का अवसर मिला है, जहाँ इंटरनेट की मांग तेजी से बढ़ रही है। यह कदम भारत सरकार के डिजिटल इंडिया पहल के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य देश के हर कोने में विश्वसनीय और सस्ती इंटरनेट सेवाएँ उपलब्ध कराना है।