The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • Podcast
  • सरोकार
  • छत्तीसगढ़
  • वीडियो
  • More
    • English
    • स्क्रीन
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • आंकड़ा कहता है
    • टेक्नोलॉजी-ऑटोमोबाइल्‍स
    • धर्म
    • नौकरी
    • लेंस अभिमत
    • साहित्य-कला-संस्कृति
    • सेहत-लाइफस्‍टाइल
    • अर्थ
Latest News
स्टारलिंक को सेवा शुरू करने का लाइसेंस, सैटेलाइट इंटरनेट वाली देश में तीसरी कंपनी
क्या सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान को आतंकवाद का पनाहगार साबित कर पाया ?
बीजापुर नेशनल पार्क में दूसरे दिन भी मुठभेड़ जारी, अब तेलंगाना का बड़ा नक्सली भास्कर ढेर
छत्तीसगढ़ उच्च शिक्षा विभाग ने जारी की प्रवेश मार्गदर्शिका, इन नियमों का करना होगा पालन
छत्तीसगढ़ में थाना प्रभारियों का प्रमोशन, 46 TI बने DSP, डीपीसी के बाद राज्य सरकार ने जारी किया आदेश
अरविंद नेताम ने संघ प्रमुख से कहा : अपनी छतरी में बौद्ध, जैन और सिख समुदाय जैसी जगह दे दें आदिवासियों को 
अमिताभ जैन का उत्तराधिकारी खोजने में छूटा पसीना, रेणु पिल्ले के नाम की चर्चा क्‍यों नहीं ?
पहलगाम हमला मानवता और कश्मीरियत पर हमला : पीएम मोदी
रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती, झूम उठा शेयर बाजार,  सेंसेक्‍स 82 हजार के पार
भारतीय मूल का दवा कारोबारी अमेरिका में गिरफ्तार, 149 मिलियन डॉलर की धोखाधड़ी
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • देश
  • दुनिया
  • लेंस रिपोर्ट
  • Podcast
  • सरोकार
  • छत्तीसगढ़
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • Podcast
  • सरोकार
  • छत्तीसगढ़
  • वीडियो
  • More
    • English
    • स्क्रीन
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • आंकड़ा कहता है
    • टेक्नोलॉजी-ऑटोमोबाइल्‍स
    • धर्म
    • नौकरी
    • लेंस अभिमत
    • साहित्य-कला-संस्कृति
    • सेहत-लाइफस्‍टाइल
    • अर्थ
Follow US
© 2025 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
The Lens > देश > कोसी के पेट में बसे गांवों की कहानी : तमाम प्रदर्शन के बावजूद सरकार नहीं सुनती
देश

कोसी के पेट में बसे गांवों की कहानी : तमाम प्रदर्शन के बावजूद सरकार नहीं सुनती

Lens News Network
Last updated: June 4, 2025 1:07 pm
Lens News Network
Share
flood of kosi river
SHARE

बिहार का शोक कोसी नदी! जिसे मां भी कहा जाता है और डायन भी। मां इसलिए कि ये लाखों लोगों को जीवन देती है और डायन इसलिए कि प्रत्येक साल कई जिंदगियां खत्म कर देती है। कोसी में हर साल आने वाली बाढ़ की विभीषिका से निपटने के लिए 1953-54 में कोसी प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी। स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो, तत्कालीन राष्ट्रपति गांव वालों को मनाने बिहार के सुपौल जिला पहुंच गए थे। आखिरकार कोसी बांध बनकर तैयार हो गया।

खबर में खास
उपेक्षा के शिकार हैं कोसी तटबंध में बसे लोगआम लोगों की समस्या

सरकार का मकसद था कि कोसी के दोनों तरफ तटबंध बनाकर कोसी का पानी एक सीमित धारा में ही सिमटा रहे और इससे होने वाले नुकसान को रोका जा सके। लेकिन इसके उलट तटबंध बनने के बाद करीब चार लाख हेक्टेयर जमीन बर्बाद हो गई। तटबंध भीतर गांव के लोग हर साल बाढ़ और सरकारी व्यवस्था से मुकाबला करते हैं।

350 से भी अधिक गांवों के लाखों लोग चक्की के दो पाटों में बीच फंस गए। सरकारी वादे के मुताबिक घर बनाने के लिए जमीन दी जानी थी। बाढ़ से मुक्ति का वादा किया गया था। सब वादे खोखले साबित हुए हैं।

सहरसा जिला स्थित महिषी पंचायत के रहने वाले बब्बू ठाकुर बताते हैं, “जहां जमीन मिली, वहां से रोज यहां आकर खेती करना संभव नहीं था। कई लोगों को कागज पर ही जमीन का आवंटन हुआ है, तो कई लोगों का हुआ ही नहीं है। अब हर साल बाढ से लड़ना हमारी नियति बन चुकी है।”

उपेक्षा के शिकार हैं कोसी तटबंध में बसे लोग

अपने अधिकारों के लिए कोसी तटबंध के भीतर बसे लोग लगातार धरना प्रदर्शन करते रहते हैं। शायद कभी इनकी आवाज सरकारी महकमों तक पहुंच सके। इसी कड़ी में कटाव की विभीषिका झेल रहे पीड़ितों ने सोमवार यानी 2 जून को कोसी नवनिर्माण मंच के बैनर तले निर्मली अनुमंडल कार्यालय गेट के समीप धरना दिया। कोसी नवनिर्माण मंच के जरिये कोसी पीड़ित धरना प्रदर्शन, पैदल यात्रा और बैठक के जरिये अपनी मांग को सरकार के सामने लगातार रखते हैं।

इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे मंच के संस्थापक महेंद्र यादव ने कहा, “कोसी तटबंध के भीतर बसे हजारों परिवार आज भी सरकारी उपेक्षा के शिकार हैं। कई परिवारों को अभी तक पुनर्वास नहीं मिला है। वर्षों से बाढ़ और कटाव से जूझ रहे ये लोग आज भी छप्पर और कच्चे घरों में जीवन बिताने को मजबूर हैं। विगत वर्ष आई बाढ़ में घर, खेत की फसलें सहित जरूरी सामान सब कुछ बह गया, लेकिन सरकार ने अब तक ना तो पूरी क्षतिपूर्ति दी और ना ही कोई स्थायी समाधान निकाला। यदि तटबंध के बाहर पुनर्वास होता तो वे इस नरक से बाहर निकलते।”

इस धरना प्रदर्शन में शामिल युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने कहा कि, “कोसी के लोग लाखों के न्याय की लड़ाई लड़ रहे है। इनके द्वारा उठाई गई मांगों के साथ हूं। इस बार बिहार चुनाव में कांग्रेस पार्टी आंदोलनों के साथ संवाद और समन्वय बनाकर काम कर रही है और आमजन के असल मुद्दों को पूरी मजबूती से उठाएगी।”

धरना प्रदर्शन में मुख्य रूप से नौ सूत्रीय मांग पत्र तैयार किया गया था। जिसमें मुख्य रूप से शामिल था कि कोशी तटबंध के भीतर रह रहे विभिन्न कारणों से पुनर्वास से वंचित लोगों का सर्वे कराया जाएं। मानसून के मद्देनजर कोशी तटबंध के भीतर सभी घाटों पर सरकारी नावों की बहाली अविलम्ब की जाए। सभी कटाव पीड़ितों को गृह क्षति का लाभ मिले। तटबंध के भीतर उप-स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना हो एवं कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार को पुनः सक्रिय व प्रभावी बनाया जाए। इसके साथ ही तटबंध के भीतर सभी रैयतों से चार हेक्टेयर तक माफ लगान की वसूली पर रोक लगाने की मांग है।

आम लोगों की समस्या

आंदोलन में शामिल ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके है। राजधानी तक पैदल यात्रा कर अपनी समस्या को सरकार के सामने कहने की कोशिश की। हालांकि अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

कोसी नव निर्माण मंच के इंद्र नारायण यादव बताते हैं कि, “अमेरिका में कई बांधों को तोड़ा गया है। कोसी बांध से भी नुकसान हैं फायदा नहीं है। इस बांध को तोड़कर ही तटबंध के भीतर बसे गांव के लोगों का बेहतर किया जा सकता है।”

आंदोलन में शामिल प्रमोद बताते हैं कि, “इस इलाके के अधिकांश मर्द कमाने के लिए बाहर चले जाते हैं। ऐसे में बाढ़ के वक्त महिलाएं और बच्चे त्रासदी झेलते हैं। सरकार मुआवजा के नाम पर चंद रुपया दे देती है। जहां जमीन मिली है, वहां सिर्फ रह सकते हैं खेती नहीं कर सकते। खेती करने के लिए कोसी तटबंध के बीच अपने गांव आना ही पड़ेगा।”

कोसी नवनिर्माण मंच के प्रतिनिधियों ने निर्मली एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग की। साथ ही चेतावनी दी कि अगर मांगें नहीं मानी गयी तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

:: लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं ::

TAGGED:Big_NewsBiharfloodkosi river
Share This Article
Email Copy Link Print
Previous Article bilawal bhutto पाकिस्तान की पैरवी करने न्यूयॉर्क पहुंचे बिलावल भुट्टो ने कहा – ‘पीएम मोदी इजराइली पीएम नेतन्याहू बनने की कर रहे कोशिश’
Next Article URMI SAHU SHASHANK SINGH छत्तीसगढ़ के उभरते युवा, उर्मी साहू और शशांक सिंह ने किया नाम रौशन

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!

Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
LinkedInFollow
MediumFollow
QuoraFollow

Popular Posts

The chickens will come home to roost

The recent speech by air marshal Amar Preet Singh seemed to be a suppressed lament…

By Editorial Board

एक्‍स से डिलीट होंगे रेलवे स्‍टेशन भगदड़ के 285 वीडियो, रेल मंत्रालय ने भेजा नोटिस

15 फरवरी को भगदड़ में 18 लोगों की हुई थी मौत, नैतिक मानदंडों और आईटी…

By The Lens Desk

26 मार्च को मुख्य सूचना आयुक्त पद पर साक्षात्कार, 33 आवेदकों में मुख्य सचिव, पूर्व डीजीपी का नाम भी शामिल

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में 26 मार्च को मुख्य सूचना आयुक्त के पद के…

By Nitin Mishra

You Might Also Like

Refugee crisis
देश

वाघा बार्डर पर जबरिया लाये गए परिवार साबित करें नागरिकता, जानें सुप्रीम कोर्ट ने और क्‍या कहा

By Lens News Network
Supreme Court upset
देश

तारीख पर तारीख से सुप्रीम कोर्ट नाराज, सभी हाईकोर्ट से मांगी पेंडिंग फैसलों की सूची

By The Lens Desk
S. Jaishankar on Pakistan
देश

विदेश मंत्री का चौंकाने वाला बयान- पाकिस्तान को पहले ही दे दी थी सूचना, आतंकी ठिकानों पर होगी कार्रवाई

By Lens News Network
complaint against Rahul Gandhi
देश

राहुल ने कहा – महिला बिल जैसा ना हो जातिगत जनगणना का हाल

By Lens News Network

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?