[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
राहुल गांधी की विदेश यात्रा पर बीजेपी का जमकर हंगामा
निर्वाचन आयोग 10 सितंबर को देश भर के कार्यकारी अधिकारियों की बैठक करेगा आयोजित
वोट चोर अभियान: पायलट रायगढ़ से शुरू करेंगे अभियान, पहले बिलासपुर में आमसभा
कर्नाटक में जालसाजी कर वोट हटाने की जांच ठप्प, आयोग ने नहीं दिया डाटा
NHM कर्मचारियों की हड़ताल से राष्ट्रीय कृमि मुक्ति और मॉप-अप दिवस कार्यक्रम हुआ स्थगित
जीएसटी में बदलाव से ऑटो सेक्टर को मिलेगी नई रफ्तार, FY26 में टू-व्हीलर बिक्री 5-6% और कारों में 2-3% बढ़ोतरी की उम्मीद
वन मंत्री पर मारपीट का आरोप लगाने वाले खानसामे ने की पुलिस से शिकायत, केदार कश्यप बोले – कांग्रेस भ्रामक प्रचार कर रही
GST बदलाव के बाद टोयोटा की कारें हुईं सस्ती, Fortuner 3.49 लाख रुपये कम कीमत में
जापान के प्रधानमंत्री इशिबा ने हार के बाद दिया इस्तीफ़ा
अमेरिका में हुआ हेलीकॉप्टर क्रैश, सभी सवार की गयीं जानें
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
देश

कोसी के पेट में बसे गांवों की कहानी : तमाम प्रदर्शन के बावजूद सरकार नहीं सुनती

Lens News Network
Last updated: June 4, 2025 1:07 pm
Lens News Network
ByLens News Network
Follow:
Share
flood of kosi river
SHARE

बिहार का शोक कोसी नदी! जिसे मां भी कहा जाता है और डायन भी। मां इसलिए कि ये लाखों लोगों को जीवन देती है और डायन इसलिए कि प्रत्येक साल कई जिंदगियां खत्म कर देती है। कोसी में हर साल आने वाली बाढ़ की विभीषिका से निपटने के लिए 1953-54 में कोसी प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी। स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो, तत्कालीन राष्ट्रपति गांव वालों को मनाने बिहार के सुपौल जिला पहुंच गए थे। आखिरकार कोसी बांध बनकर तैयार हो गया।

खबर में खास
उपेक्षा के शिकार हैं कोसी तटबंध में बसे लोगआम लोगों की समस्या

सरकार का मकसद था कि कोसी के दोनों तरफ तटबंध बनाकर कोसी का पानी एक सीमित धारा में ही सिमटा रहे और इससे होने वाले नुकसान को रोका जा सके। लेकिन इसके उलट तटबंध बनने के बाद करीब चार लाख हेक्टेयर जमीन बर्बाद हो गई। तटबंध भीतर गांव के लोग हर साल बाढ़ और सरकारी व्यवस्था से मुकाबला करते हैं।

350 से भी अधिक गांवों के लाखों लोग चक्की के दो पाटों में बीच फंस गए। सरकारी वादे के मुताबिक घर बनाने के लिए जमीन दी जानी थी। बाढ़ से मुक्ति का वादा किया गया था। सब वादे खोखले साबित हुए हैं।

सहरसा जिला स्थित महिषी पंचायत के रहने वाले बब्बू ठाकुर बताते हैं, “जहां जमीन मिली, वहां से रोज यहां आकर खेती करना संभव नहीं था। कई लोगों को कागज पर ही जमीन का आवंटन हुआ है, तो कई लोगों का हुआ ही नहीं है। अब हर साल बाढ से लड़ना हमारी नियति बन चुकी है।”

उपेक्षा के शिकार हैं कोसी तटबंध में बसे लोग

अपने अधिकारों के लिए कोसी तटबंध के भीतर बसे लोग लगातार धरना प्रदर्शन करते रहते हैं। शायद कभी इनकी आवाज सरकारी महकमों तक पहुंच सके। इसी कड़ी में कटाव की विभीषिका झेल रहे पीड़ितों ने सोमवार यानी 2 जून को कोसी नवनिर्माण मंच के बैनर तले निर्मली अनुमंडल कार्यालय गेट के समीप धरना दिया। कोसी नवनिर्माण मंच के जरिये कोसी पीड़ित धरना प्रदर्शन, पैदल यात्रा और बैठक के जरिये अपनी मांग को सरकार के सामने लगातार रखते हैं।

इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे मंच के संस्थापक महेंद्र यादव ने कहा, “कोसी तटबंध के भीतर बसे हजारों परिवार आज भी सरकारी उपेक्षा के शिकार हैं। कई परिवारों को अभी तक पुनर्वास नहीं मिला है। वर्षों से बाढ़ और कटाव से जूझ रहे ये लोग आज भी छप्पर और कच्चे घरों में जीवन बिताने को मजबूर हैं। विगत वर्ष आई बाढ़ में घर, खेत की फसलें सहित जरूरी सामान सब कुछ बह गया, लेकिन सरकार ने अब तक ना तो पूरी क्षतिपूर्ति दी और ना ही कोई स्थायी समाधान निकाला। यदि तटबंध के बाहर पुनर्वास होता तो वे इस नरक से बाहर निकलते।”

इस धरना प्रदर्शन में शामिल युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने कहा कि, “कोसी के लोग लाखों के न्याय की लड़ाई लड़ रहे है। इनके द्वारा उठाई गई मांगों के साथ हूं। इस बार बिहार चुनाव में कांग्रेस पार्टी आंदोलनों के साथ संवाद और समन्वय बनाकर काम कर रही है और आमजन के असल मुद्दों को पूरी मजबूती से उठाएगी।”

धरना प्रदर्शन में मुख्य रूप से नौ सूत्रीय मांग पत्र तैयार किया गया था। जिसमें मुख्य रूप से शामिल था कि कोशी तटबंध के भीतर रह रहे विभिन्न कारणों से पुनर्वास से वंचित लोगों का सर्वे कराया जाएं। मानसून के मद्देनजर कोशी तटबंध के भीतर सभी घाटों पर सरकारी नावों की बहाली अविलम्ब की जाए। सभी कटाव पीड़ितों को गृह क्षति का लाभ मिले। तटबंध के भीतर उप-स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना हो एवं कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार को पुनः सक्रिय व प्रभावी बनाया जाए। इसके साथ ही तटबंध के भीतर सभी रैयतों से चार हेक्टेयर तक माफ लगान की वसूली पर रोक लगाने की मांग है।

आम लोगों की समस्या

आंदोलन में शामिल ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके है। राजधानी तक पैदल यात्रा कर अपनी समस्या को सरकार के सामने कहने की कोशिश की। हालांकि अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

कोसी नव निर्माण मंच के इंद्र नारायण यादव बताते हैं कि, “अमेरिका में कई बांधों को तोड़ा गया है। कोसी बांध से भी नुकसान हैं फायदा नहीं है। इस बांध को तोड़कर ही तटबंध के भीतर बसे गांव के लोगों का बेहतर किया जा सकता है।”

आंदोलन में शामिल प्रमोद बताते हैं कि, “इस इलाके के अधिकांश मर्द कमाने के लिए बाहर चले जाते हैं। ऐसे में बाढ़ के वक्त महिलाएं और बच्चे त्रासदी झेलते हैं। सरकार मुआवजा के नाम पर चंद रुपया दे देती है। जहां जमीन मिली है, वहां सिर्फ रह सकते हैं खेती नहीं कर सकते। खेती करने के लिए कोसी तटबंध के बीच अपने गांव आना ही पड़ेगा।”

कोसी नवनिर्माण मंच के प्रतिनिधियों ने निर्मली एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग की। साथ ही चेतावनी दी कि अगर मांगें नहीं मानी गयी तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

:: लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं ::

TAGGED:Big_NewsBiharfloodkosi river
Previous Article bilawal bhutto पाकिस्तान की पैरवी करने न्यूयॉर्क पहुंचे बिलावल भुट्टो ने कहा – ‘पीएम मोदी इजराइली पीएम नेतन्याहू बनने की कर रहे कोशिश’
Next Article URMI SAHU SHASHANK SINGH छत्तीसगढ़ के उभरते युवा, उर्मी साहू और शशांक सिंह ने किया नाम रौशन

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!

Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
LinkedInFollow
MediumFollow
QuoraFollow

Popular Posts

कुत्तों पर फैसला तो ठीक पर तंत्र भी सक्षम हो

सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त के फैसले में बदलाव करते हुए अब आदेश दिया है…

By Editorial Board

नफरत की राजनीति के विरोधी रहे हैं बी. सान्याल

रायपुर। छत्तीसगढ़ में ट्रेड यूनियन व वाम आंदोलन के आधार स्तंभों में से एक कामरेड…

By Lens News

छत्तीसगढ़ में फिर पत्रकार पर हमला, राजधानी में खबर बनाने गए पत्रकारों को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पीटा, कैमरा भी तोड़ा

रायपुर। राजधानी रायपुर में एक बार फिर खबर बनाने गए पत्रकार पर हमला किया गया…

By नितिन मिश्रा

You Might Also Like

bihar katha
लेंस रिपोर्ट

बिहार: वोटर अधिकार यात्रा के जरिए महागठबंधन में कांग्रेस और राज्य में वोट चोरी का मुद्दा मजबूत हो रहा

By राहुल कुमार गौरव
देश

गृहमंत्री अमित शाह बोले- संसद का कानून है सब को स्वीकार करना होगा, विपक्ष देश तोड़ने की कोशिश कर रहा

By दानिश अनवर
Prof. Ali Khan arrest case
देश

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा प्रो. खान की गिरफ्तारी का मामला, मल्लिकार्जुन खड़गे का बीजेपी पर हमला

By Lens News Network
Refugee crisis
देश

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, आम जनता देख सकेगी किस जज की कितनी संपत्ति

By Lens News Network
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?