नेशनल ब्यूरो/नई दिल्ली। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक चौंका देने वाली रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी अभियोजक इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या भारतीय अरबपति गौतम अडानी की कंपनियों ने मुंद्रा पोर्ट के माध्यम से भारत में ईरानी तरलीकृत पेट्रोलियम गैस का आयात किया था। सोमवार को प्रकाशित WSJ की जांच में पाया गया कि गुजरात के मुंद्रा और फारस की खाड़ी के बीच यात्रा करने वाले टैंकरों को लाने वाले जहाज़ों में अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन किया गया है।
डब्ल्यूएसजे ने इस मामले में जांच एजेंसियों के हवाले से कहा है कि अमेरिकी न्याय विभाग अडानी एंटरप्राइजेज को माल भेजने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कई एलपीजी टैंकरों की गतिविधियों की समीक्षा कर रहा है। कंपनी के प्रवक्ता ने डब्ल्यूएसजे को दिए एक बयान में कहा, “ईरानी मूल के एलपीजी से जुड़े व्यापार में किसी भी तरह की जानबूझकर संलिप्तता से स्पष्ट रूप से इनकार किया है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि हमें इस विषय पर अमेरिकी अधिकारियों द्वारा की जा रही किसी जांच की जानकारी नहीं है।
ट्रंप ने दी थी प्रतिबंध की चेतावनी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई में कहा था कि ईरानी तेल या पेट्रोकेमिकल उत्पादों की सभी खरीद बंद होनी चाहिए तथा उस देश से कुछ भी खरीदने वाले किसी भी देश या व्यक्ति पर तत्काल प्रतिबंध लगाए जाएंगे।
डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट के अनुसार, “एशिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी ट्रंप प्रशासन से अपने खिलाफ विदेशी रिश्वतखोरी के आरोपों को हटाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके बजाय, उन्हें अभियोजकों के साथ अपनी लड़ाई में एक नए मोर्चे का सामना करना पड़ रहा है। इस बात की जांच कि क्या उनकी कंपनियां ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पाद खरीद रही हैं।”
पहले से चल रही जांच
अडानी के खिलाफ नई जांच अमेरिकी अधिकारियों द्वारा अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर भ्रष्टाचार का वह आरोप लगाए जाने के कुछ महीने बाद हो रही है , जिसमें कहा गया था कि उन्होंने बिजली आपूर्ति अनुबंध हासिल करने के लिए रिश्वत दी और संयुक्त राज्य अमेरिका में धन जुटाने के दौरान अमेरिकी निवेशकों को गुमराह किया।अडानी समूह ने इन आरोपों को “निराधार” बताया था तथा “सभी संभव कानूनी उपाय” अपनाने की बात कही थी ।
54 पन्नों का अभियोग पत्र पहले से जारी
पिछले वर्ष, अमेरिकी अभियोजकों ने 54 पृष्ठों का अभियोगपत्र जारी किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अडानी ने अवैध सौदे को आगे बढ़ाने तथा समूह के स्वामित्व वाली अक्षय ऊर्जा कंपनी के लिए अरबों डॉलर के अनुबंध सुरक्षित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की थी। अभियोजकों ने आरोप लगाया कि 62 वर्षीय अडानी और अडानी ग्रीन एनर्जी के दो अधिकारियों ने फाइनेंस प्राप्त करने के लिए अमेरिकी निवेशकों और वित्तीय संस्थानों के समक्ष अपनी कंपनी की रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों का उल्लंघन करने की साजिश रची।
अडानी ने संलिप्तता से किया इंकार
उधर अडानी समूह ने सोमवार को ईरान से तरलीकृत पेट्रोलियम गैस से जुड़े व्यापार में “किसी भी तरह की जानबूझकर संलिप्तता” से इनकार किया, अडानी के प्रवक्ता ने एक बयान में इस रिपोर्ट को “निराधार और शरारतपूर्ण” बताया। आगे कहा, “हमें इस विषय पर अमेरिकी अधिकारियों द्वारा की गई किसी जांच की जानकारी नहीं है।”