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Home » एक थी अंकिता!

लेंस संपादकीय

एक थी अंकिता!

Editorial Board
Last updated: May 31, 2025 12:52 pm
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Ankita
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उत्तराखंड के पौड़ी जिले के एक रेसॉर्ट की युवा रिस्पेशनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या के मामले में कोटद्वार की निचली अदालत ने रेसॉर्ट के मालिक और भाजपा सरकार में मंत्री दर्जा प्राप्त रहे विनोद आर्य के पुत्र पुलिकत और उसके दो कर्मचारियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है, इसके बावजूद इस मामले में कई सवाल अनुत्तरित रह गए हैं। 18 सितंबर, 2022 को अचानक अंकिता के लापता होने की खबर आई थी, तब उसे नौकरी में आए बीस दिन भी नहीं हुए थे; छह दिन बाद 24 सितंबर को ऋषिकेश की एक नहर में उसका शव मिला था। उसके लापता होने के बाद उत्तराखंड उबल पड़ा था और लोग सड़कों पर उतर आए थे। अंकिता के पिता के धरने पर बैठने के बाद ही पुलिस हरकत में आई थी और फिर राज्य सरकार ने पुलकित के रेसॉर्ट पर बुलडोजर चलवा दिया था! दरअसल सरकारें जब अदालतें बन जाती हैं, तो बुलडोजर तले कई राज जमींदोज हो जाते हैं। इसलिए अब शायद यह कभी पता नहीं चलेगा कि पुलकित आर्य ने अंकिता भंडारी पर किन वीआईपी पर किस तरह की ‘विशेष सेवा’ के लिए दबाव बनाया था। क्या इस रेसॉर्ट का इस्तेमाल कुछ बरस पहले बिहार के उस बालिका गृह की तरह तो नहीं हो रहा था, जहां रसूखदार लोग लड़कियों का यौन उत्पीड़न करते थे? आखिर अंकिता का कसूर क्या था, वह अपने लिए एक अदद नौकरी ही तो चाहती थी। करीब ढाई दशक पहले राजधानी दिल्ली के पॉश इलाके के एक बार में काम करने वाली जेसिका लाल को भी ऐसे ही निशाना बनाया गया था। जेसिका का मामला हो या अंकिता का, काम करने के लिए निकलने वाली लड़कियों की चुनौतियां नहीं बदली हैं।

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