
बिहार की गिनती आर्थिक तौर पर देश के सबसे पिछड़े राज्यों में होती है। मुंबई-दिल्ली हो या दक्षिण भारत के तेजी से बढ़ते राज्य, हर जगह मेहनत-मजूरी करने वालों में बिहार के लोग दिख जाएंगे। लेकिन आर्थिक पिछड़ेपन की इस बेबसी पर बिहारियों की राजनीतिक चेतना भारी पड़ती है।
‘बिहार शोज द वे’ (बिहार रास्ता दिखाता है) की चर्चित उक्ति को साकार करती बिहार की राजनीति आज भी खास मायने रखते है। इस हद तक, कि पहलगाम में आतंकी हमले में 26 देशवासियों की नृशंस हत्या के बाद मोदी ने विदेश से लौटकर भारत में कदम रखा, तो बिहार की धरती से ही राजनीतिक संदेश दिया। बिहार के चुनाव सिर्फ इस राज्य तक सीमित नहीं, बल्कि 240 सीटों के बूते केंद्र में बैशाखी सरकार चला रहे मोदी-शाह के लिए भी संजीवनी के समान महत्व रखती है।
यही कारण है कि लालू प्रसाद के ज्येष्ठ पुत्र का एक निजी प्रकरण अचानक प्रदेश ही नहीं, देश भर के लिए चर्चा का विषय बन गया। यह मामला इस हद तक गंभीर हो गया कि लालू प्रसाद ने सार्वजनिक माध्यमों का उपयोग करते हुए तेज प्रताप को न सिर्फ पार्टी से, बल्कि परिवार से भी अलग करने की घोषणा कर डाली। ऐसा उन्होंने सार्वजनिक जीवन में नैतिकता के नाम पर किया। हालांकि यह ऐसे दौर में हुआ, जब वीडियो में भाजपा का एक पदाधिकारी दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे की खुली सड़क पर एक महिला के साथ यौन संबंध बनाता दिख रहा है।
भाजपा के ही एक कार्यालय में एक नेता को महिला कार्यकर्ता से लिपटने का दृश्य भी वायरल है। दो वीडियो में नेताओं को सरेआम युवतियों के साथ अश्लील हरकतें देखा जा रहा है। कर्नाटक के प्रज्जवल रमन्ना का कांड हो, या ब्रजभूषण, वीरेंद्र सेंगर इत्यादि नेताओं का, किसी मामले में पार्टी विथ डिफरेंस ने खुद को अलग दिखाने की कोई जरूरत नहीं समझी। धर्म और नफरत के एजेंडे ने इतना घनघेर आत्मविश्वास पैदा कर दिया है कि अपने कार्यकर्ताओं, समर्थकों से कोई नैतिक स्वीकृति लेने तक की जरूरत नहीं रही।
लेकिन बिहार जैसे पारंपरिक तौर पर सामंती अवशेषों वाले राज्य में खास जातीय पहचान पर आधारित राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद के लिए शायद यह राह इतनी आसान नहीं रही होगी। चारा घोटाले, भ्रष्टाचार और दबंगई के तमाम आरोपों के आगे अपने समर्थकों को एकजुट रखने की भरपूर क्षमता रखने वाले लालू प्रसाद के लिए बेटे का ताजा प्रसंग अवश्य ही पार्टी के अस्तित्व का मसला लगने लगा हो। यही कारण है कि तेजप्रताप के फेसबुक एकाउंट से प्रेम प्रसंग वायरल होने के बाद लालू प्रसाद को चरम निर्णय के लिए विवश होना पड़ा।
उन्होंने 25 मई की दोपहर अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर एक विस्तृत बयान जारी कर पार्टी और परिवार से तेज प्रताप के निष्कासन की घोषणा कर दी। लिखा- “निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमजोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। अतएव उसे पार्टी और परिवार से दूर करता हूं। अब से पार्टी और परिवार में उसकी किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं रहेगी। उसे पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित किया जाता है।”
यह अप्रत्याशित कदम था। इस वक्त तक तेज प्रताप ने अपने सोशल मीडिया के अपने एकाउंट को हैक कर लिए जाने का दावा करते हुए पूरे मामले की लीपापोती का प्रयास कर रहे थे। लेकिन लालू प्रसाद की घोषणा ने फेसबुक पोस्ट की सत्यता स्थापित कर दी। शनिवार को तेज प्रताप यादव के फेसबुक अकाउंट से अनुष्का यादव नामक युवती के साथ कुछ तस्वीरें साझा की गईं थीं। इस पोस्ट में तेज प्रताप ने दावा किया था कि वह अनुष्का के साथ 12 साल से रिलेशनशिप में हैं।
इस खुलासे के बाद हिंदीपट्टी की राजनीति में भूचाल आ गया। तेज प्रताप यादव विवाहित हैं। लेकिन 2018 में हुई शादी के बाद ऐश्वर्या के साथ उनका रिश्ता एक साल भी नहीं टिक सका। मारपीट घर से जबरन निकाले जाने के आरोपों के बाद दोनों अलग रहते हैं। तलाक का मामला चल रहा है। इस बीच एक अन्य युवती से रिश्ते की बात महज व्यक्तिगत बात नहीं रह गई।
बिहार-यूपी जैसे पारंपरिक तौर पर सामंती सोच की विरासत वाले इलाकों में ऐसी बातें काफी मायने रखती हैं। लिहाजा, बिहार विधानसभा चुनाव से महज कुछ महीने पहले सामने आए इस मामले ने राजद समर्थकों, कार्यकर्ताओं के सामने अस्तित्व का संकट ला खड़ा किया।
तेज प्रताप यादव अपने अजीबोगरीब व्यवहार और बयानों के कारण पहले भी विवादों में रहे हैं। वह हसनपुर से राजद के विधायक हैं। बिहार सरकार में मंत्री रहने के दौरान भी वह विवादों में रहे हैं। लेकिन तेज प्रताप की निजी जिंदगी के कुछ प्रसंगों के आधार पर उन्हें पिछड़ी सामंती सोच का शिकार बताया जा रहा है। वर्ष 2018 में ऐश्वर्या राय से हुई उनकी शादी को एक राजनीतिक पहल के बतौर देखा गया था। वह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय की पोती हैं।
इस शादी को लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का परिणाम समझा गया था, जिन्होंने अपने बेटे को एक राजनीतिक परिवार से जोड़ने की कोशिश की थी। अगर तेज प्रताप वास्तव में पहले से ही अनुष्का यादव के साथ रिलेशनशिप में थे, और उन पर दबाव डालकर शादी कराई गई हो, तो यह खाप पंचायत किस्म के समाज की आम तस्वीर है। संभवत: इसीलिए यह शादी एक साल भी नहीं टिक सकी।
इस बीच एक यूट्यूब चैनल के साथ तेज प्रताप यादव का पुराना इंटरव्यू वायरल है। इसमें पिछले साल उन्होंने अपने वैवाहिक जीवन से जुड़े कटु अनुभव साझा किए थे। कहा था कि मैंने बहुत झेला है। इस दौरान उन्होंने स्वीकार किया कि यह शादी राजनीतिक दबाव में हुई थी। लड़की वालों ने आकर काफी दबाव बनाया। राजनीति के चक्कर में यह शादी हुई थी। क्या आप भविष्य में नया जीवन शुरू करना चाहेंगे? इस सवाल के जवाब में उन्होंने स्वीकार किया कि वह फिर से सेटल्ड होना चाहते हैं।
जिस अनुष्का यादव को लेकर ताजा विवाद है, उनके भाई आकाश यादव को लेकर भी राजद में काफी उठापटक हुई है। आकाश यादव को तेज प्रताप यादव का दाहिना हाथ माना जाता है। वर्ष 2021 मे तेज प्रताप ने सबसे बगावत कर आकाश यादव को छात्र राजद का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था। लेकिन तेजस्वी को यह बात पसंद नहीं आई। महज एक महीने बाद आकाश को हटा दिया गया। नाराज होकर आकाश ने पार्टी छोड़ दी थी। इस तरह परिवार से लेकर संगठन तक के संबंधों की गुत्थियों ने यह जटिल स्थिति पैदा कर दी है।
इस बीच, 25 मई से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक चैट में अनुष्का यादव दावा करती हैं कि तेज प्रताप अब तक तीन शादियां कर चुके हैं। पहली शादी ऐश्वर्या राय से, दूसरी खुद अनुष्का यादव से और तीसरी शादी निशु सिन्हा नाम की एक लड़की से हुई है। इस नए प्रसंग ने मामले को और अधिक पेचीदा कर दिया है।
दिलचस्प बात है कि इसी सप्ताह लालू प्रसाद के परिवार में एक नए सदस्य का आगमन हुआ। उनके छोटे बेटे तेजस्वी को पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। अपने ज्येष्ठ पुत्र को परिवार से अलग करने के बाद संख्यात्मक तौर पर लालू परिवार ने भरपाई भले ही कर ली हो, लेकिन यह विवाद लंबा चलेगा। शायद लालू प्रसाद को भी ऐश्वर्या के साथ तेज प्रताप की शादी कराने के राजनीतिक निर्णय का पछतावा हो।