द लेंस डेस्क। देश की एक बड़ी न्यूज एजेंसी एएनआई पर एक चर्चित कंटेंट क्रिएटर मोहक मंगल ने कॉपी राइट स्ट्राइक की आड़ में लाखों रुपये वसूली का दबाव बनाने का गंभीर आरोप लगाया है। अपने एक्सप्लेनर वीडियो के जरिये पहचान बनाने वाले युवा क्रिएटर मोहक मंगल ने अपने एक ताजा वीडियो… Dear ANI, I Am Mohak & I am not Scared में दावा किया है कि एएनआई की ओर से उन्हें कॉपी राइट स्ट्राइक की आड़ में उनके चैनल को बंद करने की धमकी दी गई है। मोहक मंगल के इस वीडियो के सामने आने के बाद कई और कंटेंट क्रिएटर्स ने सामने आकर एएनआई पर कॉपी राइट स्ट्राइक के नाम पर लाखों रुपये वसूलने के आरोप लगाए हैं। मोहक मंगल सहित कई क्रिएटरों ने कहा है कि एक क्रिएटर ने तो दबाव में आकर एएनआई को 18 लाख रुपये भी दे दिए!
यह डिजिटल इंडिया का ऐसा बदनुमा चेहरा है, जिसे हम इस रिपोर्ट में समझने की कोशिश करेंगे। आखिर कॉपी राइट स्ट्राइक क्या है और इसी वजह से कैसे यूट्यूब चैनल बंद कराए जा रहे हैं ?
एएनआई का बढ़ता रुतबा
पहले तो यह जान लीजिए कि एएनआई आखिर है क्या…यह एक समाचार एजेंसी है जो मीडिया संस्थानों को खबरें, विश्लेषण और वीडियो बेचती है। इसकी वेबसाइट के मुताबिक 50 साल पहले स्थापित, एएनआई आज दक्षिण एशिया की अग्रणी मल्टीमीडिया समाचार एजेंसी है, जिसके भारत, दक्षिण एशिया और विश्व भर में 100 से अधिक ब्यूरो हैं।

वास्तव में 2014 में एएनआई तब चर्चा में आई थी, जब उसकी संपादक स्मिता प्रकाश ने तब भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू लिया था। कारवा पत्रिका ने 2019 में एएनआई और स्मिता प्रकाश पर केंद्रित अपनी एक रिसर्च स्टोरी में दावा किया कि यह इंटरव्यू मोदी और स्मिता प्रकाश दोनों के लिए सुखद था। दरअसल खुद स्मिता प्रकाश ने लिखा कि उनके सवाल 2002 के दंगों, हिंदुत्व और हेच स्पीच से परे थे….।
बीते एक दशक में एएनआई बहुत ताकतवर बनकर उभरी है। सत्ता के गलियारे तक उसकी सीधी पहुंच है। जहां दूसरे पत्रकार नहीं पहुंच पाते वहां एएनआई की माइक आईडी देखी जा सकती है।
और यहीं से वह खेल शुरू होता है, जिसने यूट्यूब क्रिएटरों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। सरकार और उससे जुड़े कार्यक्रमों के अधिकांश फुटेज एएनआई के पास होते हैं…. यानी यह एक तरह का मालिकाना हक है….।
मोहक मंगल ने वीडियो में क्या बताया
मोहक मंगल सामने नहीं आते तो शायद एएनआई की ओर से कंटेंट क्रिएटर पर उसके फुटेज के इस्तेमाल के एवज में लाखों रूपये वसूली का दबाव बनाने के बारे में पता ही नहीं चलता।
मोहक मंगल ने एएनआई के फुटेज को लेकर की गई कॉपी राइट स्ट्राइक और एएनआई से उनकी टीम की बातचीत को लेकर पूरा वीडियो ही बना दिया है कि कैसे एएनआई के प्रतिनिधि ने पहले तो सीधे पैंतालीस लाख रुपये हर्जाना मांगा और फिर कैसे वह एएनआई के सब्सक्रिप्शिन लेने के लिए मोलभाव पर उतर आया।
मोहक मंगल से कोलकाता रेप केस से संबंधित एक फुटेज के इस्तेमाल के कई महीने बाद दबाव बनाया गया। मोहक मंगल का दावा है कि उन्होंने 16 मिनट के वीडियो में केवल 11 सेकंड का एक फुटेज लिया था। यही नहीं, ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित एक रिपोर्ट में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कुछ सेकंड के फुटेज के लिए उन्हें कॉपी राइट स्ट्राइक दिया गया।
दरअसल सवाल यही है कि प्रधानमंत्री सहित सारे केंद्रीय मंत्रियों के कार्यक्रमों तक तो एएनआई या पीटीआई जैसी एजेंसियों की पहुंच होती है, ऐसे में इंडिपेंडेंट क्रिएटर या छोटे डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म क्या करें।
मोहक मंगल का वीडियो सामने आने के बाद पौरुष शर्मा, महेश केशवाला और अकरम रईस खान जैसे कई कंटेंट क्रिएटरों ने सामने आकर बताया है कि कैसे उन्हें भी एएनआई ने दस से लेकर 18 लाख रुपये तक की वसूली के लिए नोटिस भेजा। एक युवा क्रिएटर रजत पवार को नौ सेकंड के फुटेज के इस्तेमाल पर 18 लाख रुपये प्लस जीएसटी की मांग की गई और नहीं देने पर चैनल बंद करवाने की धमकी दी गई।
आखिर क्या है कॉपीराइट स्ट्राइक
Youtube के मुताबिक यदि आपको कॉपीराइट स्ट्राइक मिलता है, तो इसका मतलब है कि कॉपीराइट धारक ने उनकी कॉपीराइट-संरक्षित सामग्री के उपयोग के लिए एक कानूनी कॉपीराइट हटाने का अनुरोध प्रस्तुत किया है। जब हमें कॉपीराइट हटाने का अनुरोध प्राप्त होता है, तो हम उसकी समीक्षा करते हैं। यदि अनुरोध वैध है, तो कॉपीराइट कानून का पालन करने के लिए हमें आपके वीडियो को यूट्यूब से हटाना पड़ता है। कॉपीराइट के तीन स्ट्राइक के बाद चैनल बंद हो जाता है।
असल में क़ॉपीराइट कंटेंट से जुड़ी एक फेयर यूज पॉलिसी भी है, जिसके मुताबिक सीमित उपयोग के लिए वीडियो फुटेज का इस्तेमाल किया जा सकता है। दरअसल यूट्यूबर ऐसा करते भी हैं और जिस एजेंसी या व्यक्ति से फुटेज लेते हैं उसको क्रेडिट भी देते हैं।
ध्रुव राठी और मोहम्मद जुबैर भी उतरे मैदान में
मोहक मंगल का वीडिया सामने आते ही ध्रुव राठी और फैक्ट चेकर पत्रकार मोहम्मद जुबैर भी सामने आए हैं। ध्रुव राठी ने वीडियो पर टिप्पणी करते हुए लिखा, “आपको पूरा समर्थन है, ऐसा लगता है कि एएनआई जबरन वसूली का रैकेट चला रहा है। सभी क्रिएटर्स को इसके खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है।”

जुबैर ने भी एक्स पर इस मुद्दे को उठाया, उन्होंने लिखा, “यहां बताया गया है कि कैसे दक्षिण एशिया की प्रमुख मल्टीमीडिया समाचार एजेंसी और भाजपा समर्थक प्रचार एजेंसी @ANI कई यूट्यूबर्स को पैसे के लिए निचोड़ रही है, जबकि YouTube उनकी सामग्री पर तलवार लटकाए हुए है। @YouTubeIndia की कॉपीराइट नीति @ANI को असंगत शक्ति प्रदान करती है, जिससे वे क्रिएटर्स को 15-40 लाख रुपये तक के लाइसेंसिंग सौदों में मजबूर कर सकते हैं… कई यूट्यूबर्स ने इसी तरह की शिकायतें मेरे पास पहुंचाई हैं।” जुबैर ने यूट्यूब के सीईओ नील मोहन और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को टैग करते हुए अधिक जवाबदेही की मांग की।
द लेंस ने एएनआई का पक्ष जानने के लिए एएनआई के Manager – Multimedia/Sales and Marketing: Sudhir Wadhwa Email: sudhir.wadhwa@aniin.com को मेल भी किया है। अभी तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है और जैसे ही हमें उनका पक्ष मिलेगा हम उसे इसमें शामिल करेंगे।