रायपुर। छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा हासिए पर है। रायपुर स्थित राज्य के सबसे बड़े अस्पताल मेकाहारा में पत्रकारों पर जानलेवा हमला किया गया। इतना ही नहीं अस्पताल की सेक्योरिटि में लगे बाउंसरों के संचालक वसीम बाबू ने पत्रकारों पर पिस्टल तान कर जान से मारने की धमकी दी। रात 9 बजे से 12 बजे तक पत्रकार मेकाहारा अस्पताल में कार्रवाई को लेकर डटे रहे। कार्रवाई नहीं होने पर पत्रकारों ने पैदल ही मुख्यमंत्री निवास की ओर कूच किया। पत्रकार घंटों तक मुख्यमंत्री के दरवाजे पर न्याय की गुहार लगाए बैठे रहे। स्वास्थ्य मंत्री के आश्वासन के बाद पत्रकारों ने धरना बंद किया। Security of journalists
इस मामले में देर रात पुलिस ने पत्रकारों पर हमला करने वाले चार आरोपियों को गिरफ्तार किया। वसीम अकरम उर्फ वसीम बाबू (37), सूरज राजपूत (30), मोहन राव गौरी (38) और जतीन गंजीर (28) को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों का आधा सर मुंडवा कर सड़क पर जुलूस भी निकाला। कोर्ट ने आरोपियों को 12 दिनों की रिमांड पर जेल भेज दिया है। अधिवक्ता संघ ने भी पत्रकारों पर हमला करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, रविवार की रात एक न्यूज चैनल के रिपोर्टर तहसीन जैदी अपने कैमरामैन के साथ उरकुरा में हुई चाकूबाजी की घटना की जानकारी लेने पहुंचे थे। उन्हें सेक्योरिटि में लगे बाउंसर ने रोका और अंदर जाने से रोक दिया। जैदी अधीक्षक से फोन पर बात की, इस दौरान जतिन नाम के बाउंसर ने उन्हें धक्का दे दिया और उनसे बदतमीजी की। जैदी ने इस बात की जानकारी अन्य पत्रकार साथियों को दी।
थोड़ी ही देर में पत्रकार साथी मेकाहारा अस्पताल पहुंचे। इस दौरान माफी मांगने के लिए वसीम और उसके बाउंसर नवीन को बुलाया गया। दोनो साथ में पहुंचे और बहस शुरू कर दी। माफी की बात को लेकर वसीम भड़क गया और एकाएक वहां मौजूद पत्रकारों पर हमला कर दिया। उसके अन्य बाउंसर भी पत्रकारों पर टूट पड़े। बमुश्किल पत्रकार अस्पताल के बाहर आए और अपनी जान बचाई।
पुलिस के सामने तानी पिस्टल
अस्पताल के बाहर मौजूद पत्रकार साथियों को जब इस बात की जानकारी लगी, तो उन्होंने इस बात का विरोध किया। इस दौरान अस्पताल की सुऱक्षा में लगी महिला गार्ड और पुरूषों ने पत्रकारों से गाली-गलौज शुरू कर दी। वसीम आगे आया और एक पत्रकार पर पिस्टल तान कर जान से मारने की धमकी दी। कई पत्रकारों को यह भी कहा गया कि सबका चेहरा देख लिया हूं बचोगे नहीं। दुर्भाग्य है कि यह सब पुलिस के सामने हो रहा था। लेकिन, पुलिस यहां मूकदर्शक बनी खड़ी रही। मामला यहीं नहीं रूका घंटो तक सिक्योरिटि गार्डस ने पत्रकारों के साथ गाली गलौज की।
पैदल सीएम हाउस पहुंचे पत्रकार
न्याय नहीं मिलने पर पत्रकार साथी मेकाहारा से सीएम हाउस तक पैदल ही निकल गए। पुलिस द्वारा पत्रकारों को रोकने का प्रयासस विफल रहा। पत्रकारों ने देर रात तक सीएम हाउस का घेराव किया। मेकाहारा के अधीक्षक सोनकर ने एक घंटे बाद सीएम हाउस के बाहर पहुंच कर माफी मांगी। पुलिस ने भी कार्रवाई और सुरक्षा का आश्वासन दिया। फिर भी सीएम हाउस के बाहर न्याय की गुहार और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सभी पत्रकार धरने पर बैठे रहे।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा- मिट्टी में मिला देंगे
अपने लिए न्याय की मांग कर रहे पत्रकारों से प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने सरकार की ओर से पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि ‘’पत्रकारों के साथ इस प्रकार का कृत्य किए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जो पत्रकारों को गोली मारने की बात करेगा उसको मिट्टी में मिला दिया जाएगा।‘’ स्वास्थ्य मंत्री के आश्वासन के बाद पत्रकारों ने अपना धरना समाप्त किया।
पुलिस ने निकाला जूलूस
रायपुर पुलिस ने देर रात पत्रकारों के साथ मारपीट करने वाले वसीम अकरम उर्फ वसीम बाबू (37), सूरज राजपूत (30), मोहन राव गौरी (38) और जतीन गंजीर (28) को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों को पुलिस ने सोमवार को कोर्ट में पेश किया। इससे पहले चारो आरोपियों का आधा सर मुंडवा कर पैदल ही कोर्ट तक ले जाया गया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए आरोपियों को 12 दिनों की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है। पुलिस ने मौदहापारा थाना में दो एफआईआर दर्ज की हैं। इनमें प्रार्थी तहसीन जैदी की ओर से आरोपी जतीन के खिलाफ धारा 115(2)-BNS, 296-BNS के तहत मामला दर्ज किया है। दूसरी एफआइआऱ में प्रार्थी शिवम मिश्रा की ओर से वसीम बाबू , सुरज राजपुत , मोहन राव गौरी, जतीन के खिलाफ धारा 25-ARM, 27-ARM, 115(2)-BNS, 126(2)-BNS, 296-BNS, 3(5)-BNS, 351(2)-BNS के तहत मामले दर्ज किया है।
अधिवक्ता संघ ने की कड़ी कार्रवाई की मांग
मेकाहारा अस्पताल में हुई घटना को लेकर अधिवक्ता संघ ने कड़ी कार्रवाई की मांग की है। लेटर जारी कर अधिवक्ता संघ ने लिखा है कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और पत्रकारों के साथ इस प्रकार का दुर्व्यवहार अस्वीकार्य है। इस घटना में शामिल दोषी व्यक्तियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों और पत्रकार बिना किसी भय के अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें। पत्रकार अस्पताल में अपनी रिपोर्टिंग ड्यूटी के तहत पहुंचे थे, लेकिन वहां मौजूद निजी सुरक्षाकर्मियों ने अपने कर्तव्यों की आड़ में पत्रकारों के साथ अभद्र व्यवहार किया। यह घटना न केवल मीडिया की स्वतंत्रता पर चोट है, बल्कि संवैधानिक मूल्यों का भी उल्लंघन है।