The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • Podcast
  • सरोकार
  • छत्तीसगढ़
  • वीडियो
  • More
    • English
    • स्क्रीन
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • आंकड़ा कहता है
    • टेक्नोलॉजी-ऑटोमोबाइल्‍स
    • धर्म
    • नौकरी
    • लेंस अभिमत
    • साहित्य-कला-संस्कृति
    • सेहत-लाइफस्‍टाइल
Latest News
सुकमा में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ जारी, एक नक्सली ढेर
क्रिप्टोकरेंसी बाजार में निवेशकों की बल्ले-बल्ले, Bitcoin ने तोड़े पुराने रिकॉर्ड
कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय पर फिर केस, पीएम मोदी और संघ के अपमान का आरोप
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शहीद जवान को दी श्रद्धांजलि, सुकमा जिले में हुई मुठभेड़ में गई थी जान
मौसम का मिजाज : कोंकण-गोवा में भारी बारिश, राजस्थान में लू, देखें आपके राज्य का हाल
बढ़ता जा रहा कोरोना का खतरा, मुंबई, दिल्ली और केरल में नए मामले मिले
बसवराजु के मारे जाने के बाद सीएम साय ने कहा – नक्सलियों से बातचीत करने का कोई औचित्य नहीं, बात करना है तो नि:शर्त आएं
जगदलपुर में मुर्गा और बकरा लेकर SDM कार्यालय पहुंचे PCC चीफ बैज, बोले- जी सर, जी सर नहीं किया इसलिए FIR हुई
छत्तीसगढ़ में अश्लील गाना और कंटेट बनाने वालों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, थाने में 32 कलाकारों के खिलाफ नामजद शिकायत
J&K के पूर्व राज्यपाल की बिगड़ी तबियत, भ्रष्टाचार मामले में CBI कर रही जांच   
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • देश
  • दुनिया
  • लेंस रिपोर्ट
  • छत्तीसगढ़
  • खेल
  • स्क्रीन
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • Podcast
  • सरोकार
  • छत्तीसगढ़
  • वीडियो
  • More
    • English
    • स्क्रीन
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • आंकड़ा कहता है
    • टेक्नोलॉजी-ऑटोमोबाइल्‍स
    • धर्म
    • नौकरी
    • लेंस अभिमत
    • साहित्य-कला-संस्कृति
    • सेहत-लाइफस्‍टाइल
Follow US
© 2025 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
The Lens > सरोकार > इस चुप्पी की क्या वजह है – वोट या अहंकार
सरोकार

इस चुप्पी की क्या वजह है – वोट या अहंकार

Editorial Board
Last updated: May 22, 2025 7:00 pm
Editorial Board
Share
Hate speech
SHARE
डॉ विनोद पुरोहित, वरिष्ठ पत्रकार

“आपकी टिप्पणी से पूरा देश शर्मिंदा है, सार्वजनिक पद पर होने के नाते आपको अपने बयानों पर बेहद सावधानी बरतनी थी। अब यह आप पर है कि खुद को कैसे सुधारते हैं।”

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह की ओर से पेश माफी को खारिज करते हुए की। अदालत ने यह भी कहा कि कभी-कभी लोग बहुत विनम्र भाषा में परिणाम से बचने के लिए बनावटी माफी मांगते हैं…आपके बयान से सार्वजनिक रूप से आपका सच सामने आ चुका है…’अगर’ मैंने ऐसा किया… ऐसे शब्द घड़ियाली आंसू जैसे हैं।

सुप्रीम कोर्ट की इस सख्त टिप्पणी के बाद कोई भी व्यक्ति, जिसमें थोड़ी सी भी गैरत होती, तो तत्काल सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार कर लेता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चाल, चरित्र और चेहरे को लेकर नैतिकता का ढिंढोरा पीटने वाली पार्टी को ही तत्काल ऐसे बदजुबान व्यक्ति को कैबिनेट से बाहर कर देना चाहिए था, लेकिन नहीं हुआ।

शुचिता और धर्म के रास्ते पर चलने का उद्घोष करने वाले संगठनों ने अमर्यादित बयान देने वाले इस मंत्री के खिलाफ क्यों मोर्चा नहीं खोला? नैतिकता की पैरवी करने वाले कथित गैर राजनीतिक लोगों को इस मसले पर काला झंडा लेकर विरोध यात्रा निकालनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

अब सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्यों नहीं हुआ… भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश से लेकर केंद्र तक नेतृत्व इस मुद्दे पर क्यों चुप है। भाजपा हाईकमान छोटे से बड़े मुद्दे पर अपने मन की बात को बेहद मुखर होकर पेश करता है, तो इस पर आर्य मौन क्यों साध रखा है। क्या यह उसकी शुतुरमुर्गी रणनीति का हिस्सा तो नहीं कि रेत में सिर छुपा लो तो समस्या दिखना बंद हो जाए। क्या वाकई ऐसे रुख से वह मसला खत्म हो जाएगा, जिसमें एक मंत्री सरेआम दहाड़ कर एक जांबाज महिला सैन्य अधिकारी को आतंकवादी की बहन बोल रहा है।

माननीय हाईकोर्ट की तारीफ की जानी चाहिए कि उसने यह मामला संज्ञान में लेकर कार्रवाई के आदेश दिए। वरना तो मामला रफा-दफा ही हो गया था। क्या पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के कानों तक हाईकोर्ट की यह टिप्पणी नहीं पहुंची कि मंत्री की भाषा गटर छाप है। यह अफसर नहीं सेना का अपमान है। इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते।

यदि नेतृत्व के कानों तक यह टिप्पणी पहुंची है, तो क्या उसमें तनिक भी तिलमिलाहट और कसमसाहट नहीं हुई कि ऐसे मंत्री को निकाल बाहर कर दे। अपनी नीतियों को लेकर यदि कोई असहमति भी जाहिर करता है, तो उसे देशद्रोही करार देने वालों को अपने मंत्री का बड़बोलापन देशद्रोह आखिर क्यों नहीं लगा।

मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि मामला कोर्ट में है। माननीय कोर्ट के आदेश की पालना की जाएगी। सवाल उठता है कि जब कोर्ट मंत्री पद या पार्टी से हटाने को कहेगी, तब ही हटाया जाएगा। आखिर देश और समाज हित में खुद कोई जिम्मेदारी उठाने और कार्रवाई करने में क्या हिचक है? इस मामले में मचे बवाल के बीच इंदौर में कैबिनेट की बैठक में विजय शाह के शामिल नहीं होने के प्रश्न पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा का यह बयान भी कितना अजब है कि कई बार मंत्री व्यक्तिगत कारणों से बैठक में शामिल नहीं हो पाते। अब इस बयान को क्या कहेंगे?

विजय शाह को लेकर चुप्पी के पीछे दो वजह बेहद स्पष्ट नजर आती हैं। पहला, अहंकार और दूसरा वोट बैंक की राजनीति।

वक्त भाजपा के साथ है और अटूट जनसमर्थन में उसे मौका दिया है कि वह देश और समाज हित में काम करे। भारी जन समर्थन से आत्म बल और आत्मविश्वास बढ़े तो अच्छा है, लेकिन इससे अहंकार पैदा होना खतरनाक है। अहंकार अतिआत्मविश्वास का बाय प्रोडक्ट होता है। जन समर्थन का यह आशय नहीं कि आप या आपका कोई साथी/ सहयोगी गलत करें तो भी आप उसे गलत ना मानें।

यह स्पष्ट दबंगई है। क्या भाजपा हाई कमान यह मानता है कि विजय शाह ने कुछ गलत नहीं किया तो सार्वजनिक रूप से स्वीकार करें और अगर गलत मानती है तो तत्काल विजय शाह को बाहर करके यह संकल्प ले कि ऐसे शख्स को दोबारा मंत्री पद तो दूर की बात, पार्टी में आने तक ना देंगे।

अब बात करें वोट बैंक की राजनीति की। यह भी चुप्पी की एक बड़ी वजह हो सकती है। पार्टियां वोटों की खातिर नैतिकता को बंधक बनाकर रख लेतीं हैं। यह राजनीति का आम शगल हो गया है। कुछ भी करें चुनाव जीतना चाहिए। जिताऊ नेता चाहिए भले वह कोई भी हो और कैसा भी हो।

आदिवासी वोटों का गणित

विजय शाह गोंडों की उच्च जाति राजगोंड से हैं। मकड़ाई राजघराने के वंशज विजय शाह खंडवा जिले की अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए आरक्षित विधानसभा क्षेत्र हरसूद से आठ बार विधायक रह चुके हैं। वह 1990 से लगातार हरसूद सीट से विधायक हैं। वोटों का गणित यूं समझिए…

मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। इनमें से 22 अनुसूचित जनजाति, नौ अनुसूचित जाति की मालवा-निमाड़ में आती हैं। प्रदेश की कुल सीटों में इनकी हिस्सेदारी 20.5% है। देश की जनजाति की आबादी का 21% हिस्सा मध्यप्रदेश में निवास करता है। इस हिसाब से मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में से 46.8 प्रतिशत मालवा-निमाड़ क्षेत्र में पड़ती हैं। चुनाव में मालवा-निमाड़ की इन सीटों की निर्णायक भूमिका होती है। इन आंकड़ों से समझ सकते हैं कि अनुसूचित जनजाति के वोटों की क्या अहमियत है।

हालांकि भाजपा नेतृत्व इस वजह से शायद चुप्पी नहीं ही साधे होगा, क्योंकि उसे तो चुनाव जीतने के लिए सिर्फ एक नाम ही काफी है। वही जीत की गारंटी है। तो फिर प्रश्न वहीं आकर खड़ा हो जाता है कि आखिर पार्टी या सरकार के स्तर से कार्रवाई नहीं करने में क्या बाधा है।

बता दें विजय शाह की बदजुबानी का यह पहला मामला नहीं है। 11 साल पहले सीएम की पत्नी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। तब इस्तीफा लिया गया था। हालांकि फिर बहाली हो गई थी।

बहरहाल, अब देखना यह है की लाडली लक्ष्मी लाडली बहन जैसी महिलाओं के लिए फ्लैगशिप योजनाओं को चलाने वाली मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार और पार्टी देश की बेटी कर्नल सोफिया कुरैशी और सेना का अपमान करने वाले मंत्री पर क्या और कब कार्रवाई करती है।

बहरहाल, मध्य प्रदेश सरकार महिलाओं को लेकर बेहद संजीदा है। पिछले दिनों इंदौर में राजबाड़ा में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में देवी अहिल्याबाई की 300वीं जयंती पूरे प्रदेश में मनाने का निर्णय लिया गया। 31 मई को भोपाल में महिला सशक्तिकरण का महा सम्मेलन होगा। इसमें करीब दो लाख महिलाओं की भागीदारी का अनुमान है।

और अंत में… हैरत की बात तो यह है कि आमजनता आखिर क्यों चुप है। वह तो लोकतंत्र का असल भाग्य विधाता है।

इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं और जरूरी नहीं कि वे Thelens.in के संपादकीय नजरिए से मेल खाते हों।

TAGGED:Hate speechMadhya Pradeshminister Vijay ShahSuprim Court
Share This Article
Email Copy Link Print
Previous Article PM Modi Bikaner Speech पीएम मोदी बोले – नसों में लहू नहीं, गर्म सिंदूर बह रहा है
Next Article the lens podcast The Lens Podcast 22 May 2025 | सुनिए देश-दुनिया की बड़ी खबरें | The Lens| The Lens

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!

Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
LinkedInFollow
MediumFollow
QuoraFollow

Popular Posts

CBSE ने 10 वीं 12वीं बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट किया जारी, ऐसे चेक करें रिजल्ट

रायपुर। CBSE यानी सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन ने 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा के…

By Lens News

रुकने वाली नहीं है ये तेजी! सोना 90,650 पर, चांदी लाख के पार

सोने और चांदी की कीमतें अब तक के उच्‍च स्‍तर पर पहुंच गई हैं। अमेरिका…

By The Lens Desk

शर्तों के साथ प्रोफेसर अली खान को अंतरिम जमानत, एसआईटी को मामले की जांच

द लेंस डेस्‍क। (Prof Ali Khan arrest case) सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अशोका यूनिवर्सिटी…

By Lens News Network

You Might Also Like

कांग्रेस
सरोकार

कांग्रेस : वैचारिक जड़ता की शिकार और चमत्कारी चेहरे का इंतजार

By Editorial Board
Secular India can defeat Pakistan:
सरोकार

‘आयडिया ऑफ पाकिस्तान’ को हरा सकता है सेकुलर भारत

By Editorial Board
Medical Tourism in India
सरोकारसेहत-लाइफस्‍टाइल

देशी बनाम विदेशी : कॉर्पोरेट अस्पताल किसके लिए?

By Editorial Board
सरोकार

युद्ध की अर्थव्यवस्था, नतीजा सिर्फ बदहाली

By Editorial Board

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?