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लेंस संपादकीय

ज्ञान को जन से जोड़ने वाले नार्लीकर

Editorial Board
Last updated: May 21, 2025 8:21 pm
Editorial Board
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Professor Jayant Narlikar
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आम लोगों तक विज्ञान को पहुंचाने वाले खगोलविद् प्रोफेसर जयंत नार्लीकर का निधन ऐसे समय हुआ है, जब बढ़ती कट्टरता और अतार्किता की चुनौती से निपटने के लिए उनकी वैज्ञानिक सोच की शायद सबसे ज्यादा जरूरत है। अपने गहन शोध के साथ ही विज्ञान की अपनी फंतासियों के जरिये नार्लीकर ने हमेशा समाज को जागरूक करने का काम किया। जयंत नार्लीकर का महत्व सिर्फ इसलिए नहीं है कि उन्होंने अपने गहन शोथ के जरिये नई स्थापनाएं दी, जिनमें बिग बैंग थ्योरी को दी गई उनकी चुनौती भी शामिल है। दरअसल कट्टरता के खिलाफ वैज्ञानिक तर्कों के साथ तनकर खड़े वाले नार्लीकर उन चुनींदा लोगों में रहे हैं जिन्होंने वैज्ञानिक नजरिये को अंधविश्वास और असहिष्णुता के खिलाफ मजबूत हथियार बनाया। गोविंद पनसारे, गौरी लंकेश, नरेंद्र दाभोलकर और एम एम कलबुर्गी जैसे तर्कवादियों और कट्टरता के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों की जब एक एक कर हत्या कर दी गई थी, तब यह जयंत नार्लीकर ही थे, जिन्होंने लिखा था, ये घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि 21 वीं सदी की शुरुआत में ही क्यों भारत को वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने वाले अभियानों की जरूरत है। सही मायने में उन्होंने विज्ञान को अकादमिक गलियारों और जटिल भाषायी संजाल से बाहर निकालकर जनभाषा से जोड़ दिया। विज्ञान और खगोल संबंधी उनके विपुल लेखन से न जाने कितनी पीढ़ियां समृद्ध हुई हैं और आगे भी होती रहेंगी।

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