रायपुर। ”एक शेर है, एक उम्र लग जाती है आशियाना बनाने में, तुम एक पल नहीं लगाते बस्तियां उजाड़ने में।” यह शेर इन दिनों छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के लिए सच हो रहा है। नगर निगम का अमला अवैध कब्जों के हटाने का काम कर रहा है। रायपुर से लगे बीरगांव में भी नगर निगम ने अवैध कब्जों को जमींदोज कर दिया। इस कार्रवाई में कई मकानों को तोड़ दिया गया। इन घरों को तोड़ने के बाद इसमें रहने वाले लोग अब बेघर हो गए हैं। यह कार्रवाई उरकुरा के वार्ड क्रमांक 16 में की गई है। इस कार्रवाई के बाद यहां के निवासियों का गुस्सा फूटा। लोगों ने इस कार्रवाई का विरोध भी किया। लेकिन, वो अपने घरों को नहीं बचा सके।

जिन लोगों के मकान टूटे उनमें ज्यादातर लोग रोज कमाते हैं और खाते हैं। गांव में स्थित ईंट भट्टे में ये परिवार काम करते हैं। इसी से इनका गुजारा चलता है। निगम अमले की इस बुलडोजर कार्रवाई के बाद कई खुलासे हुए हैं। इन लोगों ने वार्ड के पार्षद पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़ितों ने पार्षद पर पीएम आवास दिलाने और टैक्स भरने के नाम पर पांच, दस, पंद्रह और बीस हजार रूपए लेने का आरोप लगाया है। इस मामले में ग्रामीणों ने खमतराई थाने में लिखित शिकायत भी की है।

एक महिला जिसका घर आज जमींदोज किया गया, बताती हैं कि जब से उसकी शादी हुई तब से वो इस घर में रह रहीं है। करीब 20 साल से। मेरे घर में मेरे पति और एक बेटा रहता है। हम जब काम पर गए थे तो हमारे घर को निगम के लोगों ने तोड़ दिया। हमें सामान निकालने का मौका भी नहीं मिला। जितना भी खाने का सामान था सब मलबे के नीचे दब गया। जब ये सब हुआ तो हमारे घर पर ताला लगा हुआ था। हमें जैसे ही जानकारी मिली काम छोड़कर घर की ओर भागे। लेकिन, तबतक घर टूट चुका था। हमने अपने वार्ड के पार्षद को पीएम आवास के नाम पर पांच हजार रूपए दिए थे। लेकिन आज तक कोई कागज नहीं मिला है।

दूसरी महिला ने बताया कि मैं अपनी बहु बेटे और एक पोते के साथ रहती हूं। हमारे घर को तोड़ दिया गया है। मेरी बहू अभी गर्भवति है। अब घर भी नहीं है। इस हालत में लेकर कहां जाएंगे। जब तोड़ फोड़ हुई तब घर में कोई नहीं था। हमारे पास अब घर नहीं है। करीब 20 सालों से हम यहां रह रहें हैं। यहीं पास में ईंट भट्टा है वहीं काम करते हैं। अब रहने के लिए कोई जगह नहीं है। पार्षद ने पैसा लिया था पांच हजार लेकिन पीएम आवास नहीं मिला। एक बार लिस्ट में नाम आया था। फिर उससे भी नाम काट दिया गया। अब हम सड़क पर आ गए हैं।

एक व्यक्ति जिसका घर अभी नहीं टूटा है। लेकिन, निगम ने घर खाली करने के लिए दो दिनों का समय दिया है। यह व्यक्ति व्हीलचेयर पर है। एक-दो दिन पहले ही इलाज कराकर लौटा है। उसने बताया कि वो 30 सालों से यहीं रह रहा है। इसी घर से उसकी शादी हुई थी। नगर निगम ने नोटिस दिया है कि घर खाली कर दो। मैं इस हालत में अपनी पत्नी और बच्चों को कहां लेकर जाउंगा। मै एकलौता घर का कमाने वाला हूं। जब से तबियत खराब हुई तो पत्नी छोटा-मोटा काम करके घर चला रही है। मेरी हालत देखकर दो दिन का समय दिया गया है। लेकिन मैं कहीं जाने की हालत में नहीं हूं। हमारे वार्ड के पार्षद ने 10 हजार रूपए लिए थे प्रधानमंत्री आवास और टैक्स भरने के नाम पर। लेकिन आजतक उसका कोई कागज नहीं मिला है। जिस घर का इतने साल से हम टैक्स भर रहे हैं वो अवैध कैसे हो जाएगा। अगर घर टूटता है तो हम सड़क पर आ जाएंगे।
मुझे बदनाम करने की कोशिश, मानहानि का दावा करूंगा

इस पूरे मामले में द लेंस ने उरकुरा के वार्ड क्रमांक 16 के पार्षद शरद साहू से बातचीत की। उनका कहना है कि मैंने लगातार निगम में अवैध कब्जों को हटाने की मांग की थी। जो लोग वहां रह रहें हैं, वो उरकुरा के निवासी नहीं है। उन लोगों को 6 से 7 बार नोटिस मिल चुका है। मैं चाहता हूं मेरा वार्ड कब्जा मुक्त हो। सोमवार को इस पर कार्रवाई हुई है। जिस जगह पर कार्रवाई हुई है वहां स्कूल बनाया जाना है। बात रही पैसे लेने कि तो क्या प्रमाण है कि मैंने पैसे लिए हैं। मै भी थाने में शिकायत करूंगा। मेरे साथ मेरे स्थानीय 200 आदमी एफआईआर कराने खमतराई थाने जाएंगे। इन पर मैं बदनाम करने के लिए मानहानि का दावा भी करूंगा।