नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित सोशल मीडिया पोस्ट लिखने के बाद गिरफ्तार हुए अशोका यूनिवर्सिटी के प्रो. अली खान महमूदाबाद का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। प्रो. अली खान की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जताई है। वहीं इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे खुलकर बीजेपी के विरोध में खड़े हो गए हैं। उन्होंने कहा है कि भाजपा किसी भी ऐसी राय से कितना डरती है, जो उन्हें पसंद नहीं है।
चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने एसोसिएट प्रोफेसर की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल द्वारा पेश की गई दलीलों पर विचार किया और निर्देश दिया कि याचिकाओं को सुनवाई के लिए मंगलवार या बुधवार को सूचीबद्ध किया जाए। सिब्बल ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया। चीफ जस्टिस ने कहा कि इसे अगले दिन या उसके बाद सूचीबद्ध किया जाए।
प्रोफेसर को रविवार को गिरफ्तार किया गया था, जब ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी सोशल मीडिया पोस्ट के संबंध में देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने जैसे गंभीर आरोपों के तहत दो प्राथमिकी दर्ज की गई थीं। हाल ही में हरियाणा राज्य महिला आयोग ने प्रोफेसर की टिप्पणियों पर आपत्ति जताते हुए उन्हें नोटिस जारी किया था।
कांग्रेस अध्यक्ष ने क्या कहा
Prof. Ali Khan arrest case : इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा है अशोका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी यह दर्शाती है कि भाजपा किसी भी ऐसी राय से कितना डरती है, जो उन्हें पसंद नहीं है। मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और मंत्री, जिन्होंने हमारे वीर सशस्त्र बलों के खिलाफ घृणित बयान दिए, को बर्खास्त करने के बजाय, भाजपा-आरएसएस इस नरेटिव को स्थापित करने में तुली है कि जो कोई भी बहुलवाद का प्रतिनिधित्व करता है, सरकार से सवाल करता है या केवल राष्ट्र की सेवा में अपनी पेशेवर जिम्मेदारी निभाता है, वह उनके अस्तित्व के लिए खतरा है।
क्या है गिरफ्तारी की वजह

प्रोफेसर अली खान पर आरोप है कि उन्होंने 8 मई को एक फेसबुक पोस्ट में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की मीडिया कवरेज और महिला सैन्य अधिकारियों की दक्षिणपंथी सराहना को “पाखंड” करार दिया। उनकी पोस्ट में कथित तौर पर शब्द जैसे ‘नरसंहार’, ‘पाखंड’, और ‘अमानवीकरण’ का उपयोग किया गया, जिसे हरियाणा राज्य महिला आयोग ने महिला सैनिकों के प्रति अपमानजनक और सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने वाला माना।
हरियाणा पुलिस ने बीजेपी युवा मोर्चा के महासचिव योगेश जठेरी की शिकायत पर दो अलग-अलग FIR दर्ज कीं। पहली FIR जठेड़ी गांव के सरपंच की शिकायत पर और दूसरी महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया की सिफारिश पर दर्ज की गई।
प्रोफेसर अली खान ने अपनी सफाई में कहा कि उनकी टिप्पणियों को गलत समझा गया। उन्होंने दावा किया कि उनकी पोस्ट का उद्देश्य महिला सैन्य अधिकारियों की तारीफ करना और समाज में मुस्लिम समुदाय के प्रति भेदभाव को उजागर करना था। एक बयान में उन्होंने कहा, “मैंने कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को भारत की विविधता का प्रतिनिधित्व करने के लिए सराहा था। मेरी टिप्पणी का मकसद युद्धोन्माद और असंवेदनशील भाषा पर चिंता जताना था, न कि सेना या महिलाओं का अपमान करना। उन्होंने कहा कि उनकी गिरफ्तारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) का उल्लंघन है।
अशोका यूनिवर्सिटी का बयान
अशोका यूनिवर्सिटी ने प्रोफेसर अली खान की टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया है। यूनिवर्सिटी ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “हमें जानकारी मिली है कि प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को पुलिस हिरासत में लिया गया है। यह प्रोफेसर का निजी बयान था और हम जांच में पुलिस और स्थानीय अधिकारियों के साथ पूर्ण सहयोग करेंगे।”
इस मामले में 1,100 से अधिक शिक्षाविदों, इतिहासकारों, और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने एक याचिका पर हस्ताक्षर कर महिला आयोग से समन वापस लेने और माफी मांगने की मांग की है।