नई दिल्ली। भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी निर्णायक कार्रवाई, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (operation sindoor) को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। 22 मई से शुरू होने वाले 10-दिवसीय विदेश दौरे के लिए सरकार ने सभी दलों के सांसदों के आठ प्रतिनिधिमंडलों का गठन किया है। इनमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर, बीजेपी के रविशंकर प्रसाद, अनुराग ठाकुर, तेजस्वी सूर्या, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, एनसीपी की सुप्रिया सुले, टीएमसी की महुआ मोइत्रा, और आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा जैसे प्रमुख सांसद शामिल हैं। ये प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका, कतर, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), जापान, जर्मनी और रूस जैसे देशों में जाकर ऑपरेशन सिंदूर के महत्व और भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को दुनिया के सामने रखेंगे। इस पहल का लक्ष्य पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को बेनकाब करना और भारत के कठोर रुख को वैश्विक समुदाय तक पहुंचाना है।
विश्व को भारत का संदेश
ये सांसद विभिन्न देशों के नेताओं, नीति निर्माताओं, थिंक टैंक और मीडिया से मुलाकात करेंगे। उनका मुख्य उद्देश्य पहलगाम हमले की बर्बरता, पाकिस्तान के आतंकवाद को प्रायोजित करने के सबूत, और ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की कार्रवाई को स्पष्ट करना होगा। वे भारत की ‘आत्मरक्षा’ नीति और वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की आवश्यकता पर जोर देंगे। विदेश मंत्रालय ने प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल को विशेष दस्तावेज और प्रेजेंटेशन प्रदान किए हैं, जिनमें ऑपरेशन की समयरेखा, खुफिया जानकारी और इसकी सफलता के सबूत शामिल हैं।
वैश्विक समर्थन और कूटनीति
आतंकवाद के खिलाफ पहले ही अमेरिका, इजरायल, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों का समर्थन भारत को मिल चुका है। यूनाइटेड किंगडम के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और नीदरलैंड्स के सांसद गीर्ट वाइल्डर्स ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन को “आतंकवाद के खिलाफ सिर्फ एक ट्रेलर” बताया, जिससे भारत की भविष्य की नीति का संकेत मिलता है। यह दौरा भारत को वैश्विक समुदाय में अपनी स्थिति को और मजबूत करने का अवसर देगा।
एकजुटता का प्रतीक
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत में अभूतपूर्व एकता को दर्शाया है। सभी राजनीतिक दलों ने इस कार्रवाई का समर्थन किया, और दो सर्वदलीय बैठकों में यह स्पष्ट हुआ कि आतंकवाद के खिलाफ देश एकजुट है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी इस पहल का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी पार्टी इस कूटनीतिक मिशन में पूर्ण सहयोग देगी।
22 अप्रैल को हुआ था आतंकी हमला
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हुई। इस हमले में आतंकवादियों ने निर्दोष नागरिकों, खासकर महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाया, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। भारत ने इसका जवाब 6-7 मई 2025 को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर लक्षित मिसाइल हमलों के जरिए दिया। इस ऑपरेशन की कमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने संभाली थी, और इसका नाम ऑपरेशन सिंदूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखा। ‘सिंदूर’ नाम भारतीय संस्कृति में महिलाओं के सम्मान और सुहाग के प्रतीक के रूप में चुना गया, क्योंकि हमले में कई महिलाओं ने अपने जीवनसाथी खोए थे। इस ऑपरेशन ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति दृढ़ता से रखा।