[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
टीवी डिबेट के दौरान वाल्मीकि पर टिप्पणी को लेकर पत्रकार अंजना ओम कश्यप और अरुण पुरी पर मुकदमा
बिहार चुनाव में नामांकन शुरू लेकिन महागठबंधन और NDA में सीट बंटवारे पर घमासान जारी
क्या है ननकी राम कंवर का नया सनसनी खेज आरोप?
EOW अफसरों पर धारा-164 के नाम पर कूटरचना का आरोप, कोर्ट ने एजेंसी चीफ सहित 3 को जारी किया नोटिस
रायपुर रेलवे स्टेशन पर लाइसेंसी कुलियों का धरना खत्म, DRM ने मानी मांगे, बैटरी कार में नहीं ढोया जाएगा लगेज
तालिबान के दबाव में विदेश मंत्रालय की प्रेस कांफ्रेंस में महिला पत्रकारों की एंट्री बैन
छत्तीसगढ़ संवाद के दफ्तर में झूमाझटकी, मामला पुलिस तक
काबुल में पाकिस्‍तान की एयर स्‍ट्राइक से क्‍यों चौकन्‍ना हुआ चीन, जारी की सुरक्षा चेतावनी
नक्सलियों के आईईडी ने फिर ली मासूम की जान
TATA में ट्रस्‍ट का संकट, जानिए क्‍या है विवाद?
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
सरोकारसेहत-लाइफस्‍टाइल

देशी बनाम विदेशी : कॉर्पोरेट अस्पताल किसके लिए?

Editorial Board
Last updated: May 17, 2025 10:47 am
Editorial Board
Share
Medical Tourism in India
SHARE
The Lens को अपना न्यूज सोर्स बनाएं
जे के कर

भारत में मेडिकल टूरिज्म ने पिछले कुछ वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है। विश्व स्तर पर भारत को एक ऐसे गंतव्य के रूप में मान्यता मिली है, जहाँ उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएँ पश्चिमी देशों की तुलना में 60-80% कम लागत पर उपलब्ध हैं। हृदय शल्य चिकित्सा, यकृत और गुर्दा प्रत्यारोपण, कैंसर उपचार, दंत चिकित्सा, ऑर्थोपेडिक सर्जरी, न्यूरोसर्जरी, और कॉस्मेटिक सर्जरी जैसी जटिल प्रक्रियाओं के लिए विदेशी मरीज भारत का रुख कर रहे हैं। यह उपलब्धि भारतीय चिकित्सा क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है, लेकिन इसके साथ एक कड़वी सच्चाई भी उजागर होती है। कॉर्पोरेट अस्पताल, जो मेडिकल टूरिज्म का केंद्र हैं, अपने ही देश के गरीब और मध्यम वर्ग के लिए सुलभ नहीं हैं। ये अस्पताल, जिन्हें अक्सर सरकारी सहायता और कर छूट के माध्यम से स्थापित किया गया है, मुनाफे को प्राथमिकता देते हैं, जिससे स्थानीय मरीज उपेक्षित रह जाते हैं। हम यहां मेडिकल टूरिज्म की वृद्धि, कॉर्पोरेट अस्पतालों की वास्तविकता, और इस असंतुलन को ठीक करने के उपायों पर चर्चा कर रहे हैं।

खबर में खास
मेडिकल टूरिज्म का उदयकॉर्पोरेट अस्पतालों की वास्तविकताउदाहरण और सबूतसामाजिक और नैतिक प्रश्नसमाधान क्या हैसमाधान यह है

मेडिकल टूरिज्म का उदय

भारत में मेडिकल टूरिज्म का विकास कई कारकों का परिणाम है। पहला, लागत में भारी अंतर। उदाहरण के लिए, एक हृदय बाइपास सर्जरी, जो अमेरिका में एक लाख  डॉलर से अधिक की हो सकती है, भारत में दस से पंद्रह हजार डॉलर में उपलब्ध है। इसी तरह, यकृत प्रत्यारोपण, जिसकी लागत विकसित देशों में तीन लाख डॉलर तक हो सकती है, भारत में 40 से 50 हजार डॉलर में संभव है।

दूसरा, भारत में विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएँ, अत्याधुनिक तकनीक, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षित चिकित्सक उपलब्ध हैं। तीसरा, अंग्रेजी भाषा का व्यापक उपयोग विदेशी मरीजों के लिए संचार को आसान बनाता है। इसके अलावा, भारत की सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन स्थल, जैसे ताजमहल, केरल के बैकवाटर, और राजस्थान के महल, मेडिकल टूरिज्म को और आकर्षक बनाते हैं। मेडिकल टूरिज्म एजेंसियाँ वीजा, उपचार, और पर्यटन की व्यवस्था करके इस अनुभव को और सुगम बनाती हैं।

आँकड़ों के अनुसार, 2024 में भारत का मेडिकल टूरिज्म बाजार 7.69 बिलियन डॉलर का था, और 2025 में इसके 8.71 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। 2030 तक यह 16.21 बिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है, 13.23% की संयुक्त वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के साथ। कुछ अनुमानों के अनुसार, 2035 तक यह 58.2 बिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है। 2024 में लगभग 73 लाख विदेशी मरीज भारत में उपचार के लिए आए, जो 2019 के 70 लाख के आँकड़े को पार कर गया। इन मरीजों में बांग्लादेश, अफगानिस्तान, इराक, नाइजीरिया, केन्या, मध्य पूर्व, और विकसित देशों जैसे अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, और ऑस्ट्रेलिया के मरीज शामिल हैं।

सरकार भी मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय है। ‘हील इन इंडिया’ अभियान, मेडिकल वीजा प्रक्रिया को सरल बनाना, और 165 देशों के लिए मेडिकल वीजा सुविधा जैसे कदम इस दिशा में महत्वपूर्ण हैं। 2025-26 के केंद्रीय बजट में वीजा नियमों में ढील दी गई है, जिससे मेडिकल टूरिज्म में और वृद्धि की उम्मीद है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, और हैदराबाद मेडिकल टूरिज्म के प्रमुख केंद्र हैं, जिसमें चेन्नई को “भारत की स्वास्थ्य राजधानी” कहा जाता है।

कॉर्पोरेट अस्पतालों की वास्तविकता

कॉर्पोरेट अस्पताल मेडिकल टूरिज्म के प्रमुख केंद्र हैं, जो अत्याधुनिक तकनीक और लक्जरी सुविधाओं के साथ विदेशी मरीजों को आकर्षित करते हैं। लेकिन इन अस्पतालों में उपचार की लागत इतनी अधिक है कि भारत का मध्यम वर्ग और गरीब तबका इनका उपयोग नहीं कर सकता। एक सामान्य सर्जरी की लागत लाखों रुपये तक हो सकती है, जो सामान्य भारतीय परिवार की पहुँच से बाहर है।

कई कॉर्पोरेट अस्पतालों को सरकारी सहायता, जैसे सस्ती जमीन, आयात शुल्क में छूट, और कर लाभ, प्राप्त हुए हैं। यह सहायता इस शर्त पर दी गई थी कि ये अस्पताल गरीब मरीजों के लिए मुफ्त या रियायती उपचार प्रदान करेंगे। लेकिन वास्तविकता निराशाजनक है। कई अस्पताल इन शर्तों का पालन नहीं करते और अपनी सेवाएँ अमीर वर्ग और विदेशी मरीजों पर केंद्रित करते हैं. गरीब मरीजों के लिए मुफ्त उपचार की व्यवस्था नाममात्र की होती है, और इसे लागू करने में पारदर्शिता की कमी रहती है।

उदाहरण और सबूत

दिल्ली में एक कॉर्पोरेट अस्पताल को सरकार से रियायती दरों पर जमीन दी गई थी, यह शर्त रखते हुए कि वह 10% बेड मुफ्त और 25% रियायती उपचार के लिए गरीब मरीजों को देगा। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2007 में इस शर्त को लागू करने का आदेश दिया था, लेकिन 2018-19 में दिल्ली सरकार की ऑडिट ने खुलासा किया कि कई अस्पताल इस नियम का पालन नहीं करते। गरीब मरीजों को लंबी प्रतीक्षा, जटिल प्रक्रियाओं, और असहयोग का सामना करना पड़ता है, जबकि विदेशी मरीजों के लिए विशेष सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

इसी तरह, गुरुग्राम के एक अस्पताल को हरियाणा सरकार से सस्ती जमीन और कर लाभ मिले थे, लेकिन यहाँ भी गरीब मरीजों के लिए मुफ्त उपचार की व्यवस्था अपर्याप्त है। 2019 में एक रिपोर्ट में पाया गया कि अस्पताल ने गरीब मरीजों के लिए आरक्षित बेड का उपयोग अमीर मरीजों के लिए किया, जो नियमों का उल्लंघन था। ऐसे उदाहरण कॉर्पोरेट अस्पतालों की प्राथमिकताओं को उजागर करते हैं।

सामाजिक और नैतिक प्रश्न

कॉर्पोरेट अस्पतालों की नीतियाँ कई नैतिक प्रश्न उठाती हैं। क्या सरकारी संसाधनों का उपयोग कर बनाए गए अस्पतालों को केवल अमीरों और विदेशी मरीजों की सेवा करनी चाहिए? क्या मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय मरीजों की चिकित्सा आवश्यकताओं की उपेक्षा उचित है? सरकार की विफलता, जो इन नियमों को लागू नहीं कर पाती, क्या दर्शाती है?

भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पहले से ही चिंताजनक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, प्रति 1,000 लोगों पर केवल 0.7 डॉक्टर और 1.7 बेड उपलब्ध हैं। सरकारी अस्पतालों पर अत्यधिक दबाव, संसाधनों की कमी, और लंबी प्रतीक्षा अवधि आम समस्याएँ हैं। लैंसेट के 2018 के अध्ययन के अनुसार, भारत में हर साल 24 लाख लोग ऐसी बीमारियों से मरते हैं, जिनका उपचार संभव है। इनमें 16 लाख मौतें खराब चिकित्सा गुणवत्ता और 8.38 लाख चिकित्सा सेवाओं तक पहुँच की कमी के कारण होती हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया (2015) के अनुसार, 2013 में 27% मौतें बिना चिकित्सा सहायता के हुईं।

समाधान क्या है

इस समस्या का समाधान जटिल है, लेकिन कुछ कदम इसे बेहतर बना सकते हैं। पहला, सरकार को कॉर्पोरेट अस्पतालों पर गरीब मरीजों के लिए मुफ्त और रियायती उपचार के नियमों को कड़ाई से लागू करना चाहिए। नियमित ऑडिट, पारदर्शी रिपोर्टिंग, और दंडात्मक कार्रवाई आवश्यक हैं। दूसरा, सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग बढ़ाना होगा, ताकि कॉर्पोरेट अस्पताल आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं में सक्रिय भूमिका निभाएँ. तीसरा, मेडिकल टूरिज्म से होने वाली आय का हिस्सा सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में लगाया जाना चाहिए। चौथा, कॉर्पोरेट अस्पतालों को सामाजिक जिम्मेदारी निभानी होगी, जैसे गरीब मरीजों के लिए विशेष क्लीनिक या टेलीमेडिसिन सेवाएँ शुरू करना।

समाधान यह है

मेडिकल टूरिज्म भारत के लिए आर्थिक अवसर है, जो विदेशी मुद्रा अर्जन और वैश्विक छवि को मजबूत करता है. लेकिन यह तब तक अधूरा है, जब तक इसका लाभ भारत के गरीब और मध्यम वर्ग तक नहीं पहुँचता। कॉर्पोरेट अस्पतालों को अपनी नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी निभानी होगी, और सरकार को नीतियों को सख्त करना होगा. मेडिकल टूरिज्म और सामाजिक समावेशिता के बीच संतुलन न केवल नैतिक रूप से सही है, बल्कि भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के दीर्घकालिक विकास के लिए भी आवश्यक है। एक ऐसी व्यवस्था, जहाँ विदेशी और स्थानीय मरीज दोनों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा मिले, भारत को मेडिकल टूरिज्म का केंद्र बनाएगी और एक समावेशी समाज की नींव रखेगी।

इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं और जरूरी नहीं कि वे Thelens.in के संपादकीय नजरिए से मेल खाते हों।

TAGGED:Corporate Hospitalsindian hospitalMedical Tourism in India
Previous Article Majdoor बिलासपुर में गौरक्षों ने की दो मजदूर की बेरहमी से पिटाई, मजदूर बोला- मुझेे मार डालो, वीडियो
Next Article Tribal Museum मुख्यमंत्री साय ने किया प्रदेश के पहले जनजातीय संग्रहालय लोकार्पण
Lens poster

Popular Posts

छत्तीसगढ़ का बजट GYAN 2.0, प्रदेश पर 91 हजार करोड़ का कर्ज, 25 वें बजट में कर्जमुक्ति का क्या है प्लान?

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में 3 मार्च को वित्त मंत्री ओपी चौधरी आम बजट पेश करेंगे।…

By नितिन मिश्रा

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, आम जनता देख सकेगी किस जज की कितनी संपत्ति

लेंस नेशनल ब्यूरो। नई दिल्‍ली न्यायपालिका में पारदर्शिता और जनता का विश्वास बढ़ाने की दिशा…

By Lens News Network

NHM कर्मचारियों का आंदोलन नहीं होगा खत्म, अब आंदोलन होगा उग्र

रायपुर। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के करीब 16,000 संविदा कर्मचारी प्रदेश के सभी…

By पूनम ऋतु सेन

You Might Also Like

सरोकार

गणेश शंकर विद्यार्थी:  सामाजिक सुधारों की मुखर आवाज

By Editorial Board
Ministry of Health and Family Welfare
सेहत-लाइफस्‍टाइल

समोसा-जलेबी पर सिगरेट की तरह चेतावनी लेबल की खबर झूठी, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी सफाई

By पूनम ऋतु सेन
Politics of revenge in emergency
सरोकार

इमरजेंसी में प्रतिशोध की राजनीति : गांधीवादी उद्योगपति के यहां डलवा दिए गए थे आयकर के छापे!

By रशीद किदवई
Indians financial condition
सरोकार

कहां गया मिडिल क्लास ?

By नारायण कृष्णमूर्ति

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?