प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले से आहत देश की भावनाओं को रेखांकित किया है और दो टूक कहा है कि भारत पाकिस्तान के न्यूक्लियर ब्लैकमेल के झांसे में नहीं आएगा और आतंकी हमलों का जवाब अपनी शर्तों पर देगा। पहलगाम के हमले के बाद भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर के आतंकी अड्डो को ध्वस्त कर दिया था, जिससे बौखलाकर पाकिस्तान ने भड़काने वाली कार्रवाई करते हुए उपमहाद्वीप को जंग के मुहाने पर ला खड़ा हुआ था। प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि इस हमले और आतंकवाद के खिलाफ सारा देश एकजुट है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है, खासतौर से इसलिए, क्योंकि पिछले कुछ दिनों में एक वर्ग को निशाना बनाने की कोशिश तो हुई ही, मीडिया के एक वर्ग ने भी गैरजिम्मेदाराना रुख दिखाया है। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की सख्त नीति का उल्लेख कर एक तरह से सारी दुनिया को संदेश दिया है कि टेरर और टॉक एक साथ नहीं चल सकते। टेरर और ट्रेड एक साथ नहीं चल सकते और खून और पानी एक साथ नहीं बह सकता। प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय संसद के उस संकल्प को दोहराया है कि पाकिस्तान से बात सिर्फ आतंकवाद और पाक अधिकृत कश्मीर पर हो सकती है। इस तनाव के बीच, जैसा कि खुद प्रधानमंत्री ने भी जिक्र किया है कि भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइलों की तो धज्जियां उड़ाई ही, भारतीय सेना के हमले में पड़ोसी मुल्क के सैन्य तंत्र को खासा नुकसान पहुंचा है।
इसमें तो कोई संदेह ही नहीं, कि सीमा पार आतंकवाद को लेकर भारत की नीति बेहद स्पष्ट है, इसके बावजूद पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम से कुछ सवाल भी उठे थे जिनके जवाब अभी नहीं मिले हैं। मसलन, भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की क्या भूमिका थी। यह जानना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि ट्रंप ने एक्स के जरिये इसकी घोषणा की थी।
आतंकवाद के खिलाफ दो टूक
