नई दिल्ली। भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर शुरू किए जाने के बाद से न केवल हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के मीडिया आउटलेट में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया जगत में भी फर्जी खबरों की बमबारी शुरू हो गई है। पाकिस्तान द्वारा भारत में फ्रांसीसी लड़ाकू विमान राफेल समेत पांच विमान गिराए जाने से लेकर सियालकोट में भारत की एयर स्ट्राइक जैसी फर्जी खबरें पिछले 48 घंटों से जोर-शोर से परोसी और वायरल की जा रही हैं। हैरानी यह भी कि ट्विटर द्वारा फेक न्यूज का टैग लगाने के बाद भी लोगों ने वीडियो नहीं हटाए।
फर्जी खबरों का प्रचार-प्रसार न केवल मौजूदा तनाव में इजाफा कर रहा है बल्कि सीमावर्ती इलाकों में रहने वालों को परेशान भी कर रहा है। इनको लेकर तनाव इस कदर है कि आज हुई सर्वदलीय बैठक में फेक खबरों का मुद्दा जोर-शोर से उठाया गया। सरकार ने भी बाकायदे मीडिया आउटलेट का नाम लेकर माना है कि इस वक्त राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट फर्जी खबरों को प्रसारित कर रहे हैं।
हिन्दुस्तान-पाकिस्तान की इस जंग में गजा पर इजरायली हमलों के वीडियो जोर-शोर से शेयर हो रहे हैं वहीं अफगानिस्तान पर अमेरिकी कार्रवाई के वीडियो भी देखे जा रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार कहते हैं फर्जी खबरों का हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, यह दोनों तरफ हो रहा है। यह युद्ध के समय होता है और लोग कर रहे हैं।
राफेल के कोड का बड़ा झूठ
बुधवार की सुबह भारत द्वारा पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर हमले किए गए। यह हमला 22 अप्रैल को भारत द्वारा पहलगाम पर हमले के दो सप्ताह बाद हुआ जिसमें एक पर्यटक स्थल पर 28 लोग मारे गए थे। कारगिल युद्ध के बाद भारत द्वारा किए गए सबसे बड़े हमले को लेकर भ्रामक सूचनाओं का बाजार इस कदर गर्म रहा कि सीएनएन वर्ल्ड और रायटर जैसी एजेंसियों की सूचनाएं भी भ्रामक साबित हो रही हैं।
हमले के महज कुछ घंटों पहले कुछ पाकिस्तानी न्यूज आउटलेट में यह खबर तेजी से फैली कि फ्रांस ने भारत को राफेल का कोड देने से मना कर दिया है जबकि इसका किसी भी बड़े मीडिया आउटलेट ने जिक्र तक नहीं किया। खबर में कहा गया कि बिना कोड के राफेल काम ही नहीं करेगा, जबकि भारत ने अपने अभियान में राफेल का जमकर इस्तेमाल किया।
पाकिस्तानी सेना ने भी नहीं किया राफेल मार गिराने का दावा
भारत के स्ट्राइक के बाद सीएनएन वर्ल्ड और रायटर ने फ्रांसीसी सूत्रों के हवाले से यह खबर प्रसारित करनी शुरू की कि भारत के एक राफेल को पाकिस्तान ने मार गिराया है। जबकि सच्चाई यह थी कि यह सूचना पाकिस्तान के द्वारा दी गई थी कि हमने भारत के राफेल को भारत की सीमा में मार गिराया है।
गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने फिर पलटी मारी और खबर में सुधार करते हुए इसे पाकिस्तान के द्वारा किए गए दावों से जोड़ा। न्यूयार्क टाइम्स ने साफ-साफ लिखा कि हम इन दावों की पुष्टि नहीं करते, वहीं इंडिपेंडेंट का कहना था कि यह पाकिस्तान का दावा है। मुख्यधारा की समाचार एजेंसियों ने भी राफेल को मार गिराए जाने की कोई घटना नहीं बताई है। पीआईबी ने अब इस खबर को फेक बताया है।
रॉयटर्स ने भी 5 मई को भारत-पाकिस्तान सैन्य स्थिति के अपने विश्लेषण में हवा से हवा में मार गिराए जाने का कोई उल्लेख नहीं किया है, जिससे यह रेखांकित होता है कि दोनों पक्षों के पास आधुनिक बेड़े होने के बावजूद जे-10सी और राफेल के बीच हवाई लड़ाई का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।
इसके अलावा, पाकिस्तान के अपने सैन्य प्रवक्ताओं और आधिकारिक चैनलों ने राफेल को मार गिराने का दावा करते हुए कोई बयान जारी नहीं किया है। पाकिस्तान के डीजी-आईएसपीआर द्वारा व्यापक रूप से साझा किए गए पोस्ट में राफेल को मार गिराए जाने का कोई संदर्भ नहीं था, बल्कि हाल ही में अशांति के बाद सीमा पर बढ़ाए गए अलर्ट पर ध्यान केंद्रित किया गया था – यह इस बात का और सबूत है कि यह दावा भ्रामक है।
भारतीय मेनस्ट्रीम मीडिया भी शामिल
फर्जी खबरों की इस बमबारी में भारत की ओर से फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज और उसके संस्थापकों में से एक मोहम्मद जुबैर ने अकेले मोर्चा संभाल रखा था। उनकी टीम द्वारा पिछले 48 घंटों में 100 से ज्यादा फर्जी सूचनाओं की हवा निकाली गई। उन्होंने सबसे पहले पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर के द्वारा शेयर किए गए उस पोस्ट की हवा निकाली जिसमें उन्होंने पुरानी तस्वीर को लगाकर भारतीय सेना द्वारा आबादी पर बम गिराने की बात कही थी।
ऑल्ट न्यूज ने पाकिस्तान के मीडिया आउटलेट ARY NEWS और DAILY TIMES द्वारा 2021 में पंजाब के मोगा में गिरे मिग को पाकिस्तान की हाल की सफलता बताने के फर्जीवाड़े का भी खुलासा किया। ऑल्ट न्यूज ने खुलासा किया कि हिंदी मीडिया आउटलेट आजतक ने अपनी वरिष्ठ पत्रकार अंजना ओम कश्यप द्वारा होस्ट किए गए एक सेगमेंट में मिसाइलों के दागे जाने के दृश्य प्रसारित किए।
अपनी रिपोर्ट में आउटलेट ने अकेले बहावलपुर शहर में सात हमलों की गिनती की। एक एक्स पोस्ट में चैनल ने उसी दृश्य को कैप्शन के साथ साझा किया, “यहां देखें कि जैश के आतंकवादी अड्डे को कैसे नष्ट किया गया”।
एबीपी ने भी अपने स्टार एंकर चित्रा द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कथित दृश्य प्रसारित किए। ज़ी न्यूज गुजराती ने ऑपरेशन सिंदूर पर एक फोटो गैलरी में वीडियो से स्क्रीनशॉट का इस्तेमाल किया, जबकि न्यूज 18 बांग्ला, बिजनेस टुडे, अमर उजाला और बार्टमान ने अपने लेखों में वीडियो से समान स्क्रीनशॉट का इस्तेमाल किया।
न्यूज18 की जानी-मानी पत्रकार रुबिका लियाकत ने भी एक्स पर वीडियो के साथ उन नौ आतंकवादी ठिकानों की सूची साझा की, जहां भारतीय सेना ने हमला किया लेकिन अफसोस इन सबने फर्जी वीडियो का इस्तेमाल किया। एक वीडियो 7 महीने पहले इरानी मिसाइलों पर इजरायली काउंटर अटैक का निकला, तो दूसरा गजा पर इजरायली हमले का।
सरकार की नाक में भी दम
फर्जी खबरों की इस बमबारी ने भारत सरकार के भी नाक में दम कर दिया है। प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो की फैक्ट चेक यूनिट को बार-बार सामने आकर बताना पड़ रहा है कि कौन-कौन सी खबर फर्जी है। प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) ने गुरुवार को पाकिस्तान के इस झूठे दावे की तथ्य-जांच की कि उसने अमृतसर में सैन्य अड्डे पर हमला किया है। फर्जी खबर में दावा किया गया कि कई लोग हताहत हुए हैं और कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं।
पीआईबी ने बताया कि सूचना में इस्तेमाल की गई तस्वीर दरअसल 2024 में लगी जंगल की आग का वीडियो है। गूगल रिवर्स इमेज सर्च और कीवर्ड सर्च से पता चला कि यह वीडियो 3 फरवरी, 2024 के एक टिकटॉक पोस्ट से जुड़ा है, जिसमें दावा किया गया था कि यह चिली के वालपाराइसो क्षेत्र में स्थित समुद्र तटीय रिसॉर्ट शहर विना डेल मार के पड़ोस अचुपल्लास में लगी आग को दिखाता है। पाकिस्तान द्वारा फाइटर प्लेन गिराने के दावे को भी पीआईबी को खारिज करना पड़ा है।
जर्मन न्यूज आउटलेट डायचे वैले ने फेक न्यूज की इस स्ट्राइक पर टिप्पणी करते हुए लिखा है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पोस्ट में पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर पर भारत के हमलों को दिखाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन कुछ वीडियो का इस्तेमाल संदर्भ से हटकर किया जा रहा है और ऐसा लगता है कि उनका उद्देश्य तनाव को और बढ़ाना है। उसने लिखा है कि दो दशकों में दो परमाणु शक्तियों के बीच सबसे भयंकर हिंसा भड़कने के साथ ही, सोशल मीडिया पर गलत सूचनाएं जंगल में आग की तरह फैल रही हैं।
पीआईबी ने जारी किया अलर्ट
इस बीच पीआईबी ने भी फेक न्यूज को लेकर अलर्ट जारी किया है। आने वाले दिनों में सोशल मीडिया पर पाकिस्तान प्रायोजित दुष्प्रचार सामग्री की बाढ़ आने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में आम नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार की जानकारी को साझा करने से पहले उसकी सत्यता की अच्छे से जांच करें।
विशेष रूप से भारतीय सशस्त्र बलों से जुड़ी किसी भी संदिग्ध जानकारी या वर्तमान हालात से संबंधित किसी भ्रामक पोस्ट को गंभीरता से लेने की जरूरत है।