नई दिल्ली। भारत और ब्रिटेन ने मंगलवार को एक बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (FTP) पर हस्ताक्षर किए। पीएम ने कहा कि उनकी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के बीच इस मामले में बात हुई और दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर मुहर लगी।
भारत और ब्रिटेन के बीच हुए इस समझौत पर मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू की गई टैरिफ अस्थिरता के कारण दोनों देशों ने व्हिस्की, कार और खाद्य पदार्थों के व्यापार को बढ़ाने के लिए इस समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप दिया।
दुनिया की पांचवीं और छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच यह समझौता तीन साल की रुक-रुक कर चली बातचीत के बाद पूरा हुआ है। इसका लक्ष्य 2040 तक द्विपक्षीय व्यापार को 25.5 बिलियन पाउंड (34 बिलियन डॉलर) तक बढ़ाना है, जिसमें उदार बाजार पहुंच और व्यापार प्रतिबंधों में ढील शामिल है।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समझौते को “महत्वाकांक्षी और दोनों पक्षों के लिए लाभकारी” बताया। वहीं, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा कि यह समझौता “व्यापार के नए युग” में गठजोड़ को मजबूत करेगा और व्यापारिक बाधाओं को कम करेगा।
मुक्त व्यापार समझौता (FTP) क्या है?
एफटीए दो देशों के बीच व्यापार को आसान और सस्ता बनाने वाला समझौता है, जिसमें आयात शुल्क (टैरिफ) को कम या समाप्त किया जाता है। यह कारोबारियों को सस्ते दामों पर वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार करने में मदद करता है, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं मजबूत होती हैं। भारत के 99% निर्यात को यूके में शून्य शुल्क का लाभ मिलेगा, जिससे उत्पादों की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
भारत में 90% टैरिफ लाइनों पर शुल्क कम होगा, 85% दस साल में शुल्क-मुक्त होंगी। व्हिस्की पर शुल्क 150% से 40% और ऑटोमोबाइल पर 100% से 10% होगा। कॉस्मेटिक्स, चिकित्सा उपकरण, चॉकलेट आदि पर शुल्क घटेगा। ब्रिटिश उपभोक्ताओं को सस्ते कपड़े, जूते और समुद्री खाद्य उत्पाद मिलेंगे।
व्यापार 25.5 बिलियन पाउंड बढ़ेगा, यूके की जीडीपी में 4.8 बिलियन पाउंड का योगदान होगा। भारत को आईटी, वित्तीय और शैक्षिक सेवाओं में लाभ मिलेगा। भारतीय कर्मचारियों को तीन साल तक सोशल सिक्योरिटी छूट मिलेगी। 2030 तक व्यापार दोगुना होकर 60 बिलियन डॉलर पहुंचेगा। भारतीय पेशेवरों को यूके में अवसर और डिजिटल सेवाओं में लाभ मिलेगा।